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महेश भट्ट और बेटी पूजा भट्ट ने किया ‘डैडी’ नाटक का मंचन

एजेंसियां, नयी दिल्लीमशहूर फिल्मकार महेश भट्ट ने वर्ष 1989 में आयी अपनी क्लासिक फिल्म ‘डैडी’ पर आधारित एक नाटक का मंचन किया. यह फिल्म उनकी बेटी पूजा भट्ट के अभिनय करियर की शुरुआत थी. भट्ट ने कहा, अर्थ को नाटक के रूप में पेश करने पर मिली सफलता के बाद मैंने सोचा कि ‘डैडी’ भी […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीमशहूर फिल्मकार महेश भट्ट ने वर्ष 1989 में आयी अपनी क्लासिक फिल्म ‘डैडी’ पर आधारित एक नाटक का मंचन किया. यह फिल्म उनकी बेटी पूजा भट्ट के अभिनय करियर की शुरुआत थी. भट्ट ने कहा, अर्थ को नाटक के रूप में पेश करने पर मिली सफलता के बाद मैंने सोचा कि ‘डैडी’ भी ऐसी फिल्म है, जिसे मंच पर बेहतरीन ढंग से पेश किया जा सकता है. इसमें भी कोमल मानवीय भावनाएं और जीवन के बारे में कड़वे सच हैं इसलिए यह उसी तरह का प्रभाव बना सकती है. यहां प्रदर्शित किये गये नाटक में इमरान जाहिद ने मुख्य नायक की भूमिका निभायी. फिल्म में यह भूमिका अनुपम खेर ने निभाई थी.भट्ट ने कहा, इमरान में वह अनुशासन और सामंजस्य है, जो काम को अपने हाथ में लेने और बेहतरीन तरीके से उसे पूरा करने के लिए जरूरी है. हर किसी में ऐसी जिद नहीं होती कि वह किसी विचार को उसकी शुरुआत से अंत तक ले जा पाये. जाहिद ने भट्ट की एक और फिल्म ‘अर्थ’ को नाटक में रुपांतरित किये जाने पर भी मुख्य भूमिका निभायी थी. उन्होंने कहा, यह भूमिका मेरे लिए बेहद खास है. भट्ट साहब ने निर्देशन छोड़ दिया है लेकिन उनकी बेहद खास फिल्मों में से एक के किरदार को निभाने ने मुझे पुरानी यादों से भर दिया. यह एक सपने के सच होने जैसा है.मुद्दा आज भी प्रासंगिकइस नाटक के मंचन के दौरान पूजा भट्ट भी दर्शकों मंे मौजूद थीं. पूजा ने कहा, डैडी मेरी पहली फिल्म थी और मुझे याद है कि भट्ट साहब ने मुझसे पूछा था कि मैं एक अभिनेत्री के तौर पर पहचानी जाना चाहूंगी या एक स्टार के तौर पर? वे मुझे एक ऐसी फिल्म का प्रस्ताव देना चाहते थे, जिसका जिक्र मेरे जीवन परिचय में भी किया जायेगा. उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि ‘डैडी’ ने बहुत लोगों के दिलों को छुआ. यह मुद्दा आज भी प्रासंगिक है और मुझे उम्मीद है कि इसका नाटक के रूप में रूपांतरण सफल होगा.एक -दूसरे को प्रेरित करते फिल्म और नाटकयह फिल्म और नाटक पूजा नामक एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसे अपनी मां या पिता के बारे में कुछ भी याद नहीं है. उसे कहा जाता है कि उसके पिता का निधन हो चुका है. फिर किसी तरह वह अपने पिता से मिलती है और शराब की लत छुड़ाने में उनकी मदद करती है. फिल्म में पिता का किरदार अनुपम खेर ने निभाया था. उन्होंने कहा, यह अच्छा है कि दर्शकों को फिल्म और उसकी भावनाओं को मंच पर जीवंत देखने का मौका मिलेगा. मैं हमेशा से भट्ट साहब में बारीकियों की समझ का कायल रहा हूं. अनुपम ने कहा, जब नाटक फिल्मों को प्रेरित कर सकते हैं तो फिल्मंे नाटकों को क्यों नहीं. इस नाटक का निर्देशन थियेटर निर्देशक-लेखक दानिश इकबाल ने किया है. उनका कहना है कि जिस समय लोग थियेटर से फिल्म इंडस्ट्री का रुख कर रहे हैं, ऐसे समय में भट्ट जैसे प्रसिद्ध निर्देशक द्वारा मंच को महत्व दिया जाना एक अच्छा संकेत है. इसका नाट्य रूपांतरण राजेश कुमार ने किया है, जो पहले ‘द लास्ट सेल्यूट’ और ‘ट्रायल ऑफ एरर्स’ पर काम कर चुके हैं.

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