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रांची : शिक्षकों, पुलिस और मेडिकल स्टाफ को बताये जायेंगे आत्महत्या रोकने के उपाय
मनोज सिंह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश व राज्य सरकार के आदेश पर रिनपास ने बनायी कमेटी रांची : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और झारखंड सरकार के आदेश पर रिनपास के प्रभारी निदेशक डॉ सुभाष सोरेन ने उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है. यह कमेटी राज्य में बढ़ रही आत्महत्या की घटना पर रोक लगाने की दिशा […]
मनोज सिंह
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश व राज्य सरकार के आदेश पर रिनपास ने बनायी कमेटी
रांची : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और झारखंड सरकार के आदेश पर रिनपास के प्रभारी निदेशक डॉ सुभाष सोरेन ने उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है. यह कमेटी राज्य में बढ़ रही आत्महत्या की घटना पर रोक लगाने की दिशा में कार्य करेगी. आत्महत्या की घटनाएं रोकने के लिए स्कूलों, अस्पतालों, पुलिस अधिकारियों और सामाजिक संस्थाओं के बीच जागरूकता अभियान चलाने की योजना है.
उच्चस्तरीय कमेटी इसकी रूपरेखा तैयार करेगी. साथ ही कार्यक्रम की मॉनिटरिंग भी करेगी. सरकार ने कमेटी से एक सप्ताह के अंदर आत्महत्या रोकने को लेकर किये जानेवाले आयोजन या रोकने के उपाय बताने को कहा है. दरअसल, सभी राज्यों को भारत सरकार के ‘मेंटल हेल्थ एक्ट’ के तहत आत्महत्या रोकने का उपाय करने का आदेश दिये गये हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी एक्ट का पालन करने का निर्देश राज्यों को दिया है. रिनपास के निदेशक द्वारा बनायी गयी कमेटी में रिनपास की पूर्व निदेशक डॉ जयति शिमलई को अध्यक्ष बनाया गया है. उनके अलावा अपर प्राध्यापक डॉ मसरूर जहां, साइकेट्रिक सोशल वर्कर सुजीत मिश्र, साइकेट्रिक सोशल वर्कर रेखा राय तथा मनोचिकत्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा को कमेटी का सदस्य बनाया गया है.
ये निर्देश दिये गये हैं : स्वास्थ्य विभाग ने रिनपास को मेंटल हेल्थ एक्ट-2017 की धारा 29, 30 और 115 का पालन करने के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया है. एक्ट का पालन नहीं होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था. एक्ट की धारा 29 में आत्महत्या रोकने संबंधित कार्यक्रम बनाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया था.
धारा-30 में आत्महत्या रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कही गयी है. इसके लिए विज्ञापन तैयार करने की जिम्मेदारी भी इसी कमेटी के पास है. विशेषज्ञ टीम द्वारा सभी जिला अस्पतालों, अनुमंडल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों, परिचारिकाओं व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करना है. विभागीय कर्मियों के अतिरिक्त पुलिस अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित करना है. इसके लिए रिनपास के निदेशक को ही आवश्यकतानुसार टीम बनाने का निर्देश दिया गया है.
शिक्षण संस्थानों में भी जागरूकता चलाने का निर्देश
एक्ट में शिक्षण संस्थानों, प्रमुख चौक-चौराहों, पार्क आदि में एक निश्चित अंतराल में नुक्कड़ नाटक द्वारा जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए एनजीओ की मदद लेने की बात कही गयी है.
सभी शिक्षण संस्थानों के आसपास दीवार लेखन भी करने का निर्देश दिया गया है. प्रत्येक संस्थान के एक-एक शिक्षक को रिनपास के निदेशक द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति प्रशिक्षित करेगी. इस शिक्षक का काम समय-समय पर विद्यार्थियों की काउंसेलिंग करनी होगी. धारा 115 में प्रावधान है कि जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करेगा, उनकी काउंसेलिंग रिनपास के विशेषज्ञ समिति द्वारा की जायेगी.
2016 में 1292 लोगों ने की थी आत्महत्या
नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध के आकड़ों का ताजा रिपोर्ट जारी की है. आकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016 में झारखंड में कुल 1296 लोगों ने आत्महत्या की थी. इसके अनुसार महीने में करीब 40 लोग आत्महत्या करते हैं.
झारखंड में बिहार से अधिक आत्महत्या के मामले आ रहे हैं. बिहार में 2016 में 444 लोगों ने आत्महत्या की थी. पूरे देश में होनेवाली आत्महत्या का करीब 51 फीसदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होता है. एक लाख में करीब 11 लोग आत्महत्या करते हैं. वहीं, झारखंड में प्रति एक लाख में करीब चार लोग आत्महत्या करते हैं.
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