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मानवीय मुद्दे की बलि नहीं चढ़ने देंगे

खाद्य सुरक्षा पर विश्व व्यापार संगठन में कड़े रुख पर सरकार का लोस में बयानएजेंसियां, नयी दिल्लीखाद्य सुरक्षा पर विश्व व्यापार संगठन में कड़ा रुख अपनाने के बाद सरकार ने मंगलवार को दो टूक शब्दों में कहा कि देश के नागरिकों के जीवन और आजीविका संबंधी मौलिक अधिकार की सुरक्षा करना उसका कर्तव्य है और […]

खाद्य सुरक्षा पर विश्व व्यापार संगठन में कड़े रुख पर सरकार का लोस में बयानएजेंसियां, नयी दिल्लीखाद्य सुरक्षा पर विश्व व्यापार संगठन में कड़ा रुख अपनाने के बाद सरकार ने मंगलवार को दो टूक शब्दों में कहा कि देश के नागरिकों के जीवन और आजीविका संबंधी मौलिक अधिकार की सुरक्षा करना उसका कर्तव्य है और किसी अंतरराष्ट्रीय दायित्व का उल्लंघन किये बिना वह खाद्य सुरक्षा जैसे मानवीय मुद्दे को किसी व्यापारिक दृष्टिकोण की बलि नहीं चढ़ने देगी. वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) निर्मला सीतारमण ने हाल में हुई डब्ल्यूटीओ की बैठक में भारत द्वारा रखे गये मत के बारे में लोकसभा में अपनी ओर से दिये बयान में यह बात कही.सीतारमण ने सदन को बताया कि विकसित देशों के रुख को देखते हुए भारत ने यह मत रखा कि जब तक अल्प विकसित देशों से जुडे मुद्दों सहित सार्वजनिक स्टाक होल्डिंग तथा बाली में लिये गये निर्णयों से संबंधित अन्य सभी मुद्दों पर स्थायी समाधान ढूंढने का आश्वासन नहीं मिलता, तब तक व्यापार सुगमीकरण करार के लिए संशोधन प्रोटोकाल पर मतैक्य में भारत का शामिल होना कठिन होगा.सत्ता पक्षा और विपक्ष के सदस्यों द्वारा मेजें थपथपाए जाने के बीच उन्होंने कहा, ‘खाद्य सुरक्षा एक मानवीय मुद्दा है …और इसकी व्यापारिक दृष्टिकोण पर बलि नहीं चढाई जा सकती.’ सीतारमण ने कहा कि काफी दबाव के बावजूद भारत अपने रुख पर अडिग है और सरकार विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारे किसान विपरीत परिस्थितियों में कठिन परिश्रम करते हैं और अधिकतर कृषक मानसून की दया पर जीवित हैं. उन्होंने कहा कि कई विकासशील देशों में किसानों के लिए कृषि आजीविका का एक साधन है, ना कि व्यवसाय. ऐसे में सरकार किसानों के हित के प्रति वचनबद्ध है.

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