फोटो : सुनील गुप्तापारा शिक्षकों ने किया प्रदर्शन रांची. पांच सूत्री मांग को लेकर पारा शिक्षक एकता महासंघ ने सोमवार को बिरसा चौक में धरना-प्रदर्शन किया. महासंघ के विनोद तिवारी ने कहा कि राज्य के 88 हजार पारा शिक्षक विगत 14 वर्षों से ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पढ़ा रहे हैं लेकिन राज्य सरकार पारा शिक्षकों की समस्याओं पर गंभीर नहीं है. जबकि अन्य राज्यों में पारा शिक्षकों को 12 से 15 हजार रुपया मानदेय के अलावा 60 वर्ष की सेवा जोड़ी गयी है. उन्होंने सरकार से पारा शिक्षकों को उत्तर प्रदेश की भांति सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त करने, प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 18 हजार रुपया व अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 16 हजार रुपया मानदेय देने, टेट पास पारा शिक्षकों को जिलावार वरीयता के आधार पर सीधे नियुक्त करने और शेष बचे पारा शिक्षकों के लिए टेट परीक्षा आयोजित करने की मांग की. धरना को संजय कुमार दुबे, एनसी मुंडा, विनोद बिहारी महतो, विक्रांत ज्योति ने भी संबोधित किया. शाम 4.30 बजे पारा शिक्षकों ने मुख्यमंत्री और मंत्री गीताश्री उरांव का पुतला जलाया. घटवार आदिवासी महासभा का अर्द्धनग्न प्रदर्शन रांची. घटवार आदिवासी महासभा ने 13 सूत्री मांग को लेकर अर्द्धनग्न प्रदर्शन किया. धरना को संबोधित करते हुए रामाश्रय सिंह ने कहा कि मैथन और पंचेत डीवीसी में हुई नियुक्त की सीबीआइ जांच करवायी जाये. उन्होंने कहा कि 2006 से 2014 तक 33 बार जिला प्रशासन की अध्यक्षता में डीवीसी से समझौता हुआ लेकिन अभी तक उसे लागू नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार विस्थापितों की मांगों को पूरा नहीं करती है तो सात अगस्त से लोग बिना कपड़ों के भूख हड़ताल पर बैठेंगे. धरना में लाल गोविंद सिंह, राम प्रसाद सिंह, कृष्णा सोरेन, किशोर मरांडी, चंदना सोरेन, यमुना प्रसाद सिंह, शाहदेव सिंह, अजीज अंसारी, मुबारक अंसारी, अशोक गोराइ, साधु मलिक, हाबू महतो, विश्वनाथ मंडल, बादल पंडित ने भी संबोधित किया. बरखास्त दारोगा ग्रुप का धरना छठे दिन भी जारी रांची. बरखास्त दारोगा ग्रुप का अनिश्चितकालीन धरना सोमवार को छठे दिन भी बिरसा चौक में जारी रहा. ग्रुप के लोग अपने हाथ में बैनर लेकर नौकरी दो या मौत दो, गलती हमारी नहीं तो सजा हमें क्यों? नक्सलियों के लिए समर्पण नीति, हमारे लिए बरखास्तगी नीति क्यों? जैसे नारे लगा रहे थे. परशुराम यादव ने कहा कि सरकार अविलंब बरखास्त दारोगा की बहाली करे. धरना पर आनंद नायक, रोशन उरांव, राज रोशन, देवनीश बेक, जितेंद्र उरांव, सेवा दास सहित दो दर्जन से अधिक बरखास्त दारोगा उपस्थित थे. झारखंड जेनरल कामगार यूनियन ने दिया धरना समता जजमेंट लागू करने व खदान से मशीन हटा कर काम देने की मांग को लेकर बॉक्साइट, चूना पत्थर व लौह अयस्क खदान के किसान एवं मजदूरों ने सोमवार को नंग-धड़ंग प्रदर्शन किया. झारखंड जेनरल कामगार यूनियन के बैनर तले दर्जनों की संख्या में लोग बिरसा चौक में जुटे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. अध्यक्ष सनिया उरांव ने कहा कि लोहरदगा, गुमला जिले के सैकड़ों किसान की हालत दयनीय है. हिंडालको कंपनी मजदूरी का भी काम नहीं दे रही है. सभी खदान के जमीन देने वाले विस्थापित दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. एसीसी झींकपानी के लीज धारी रैयतों की हालत अत्यंत खराब है. रैयत लकड़ी, दातुन, पत्ता बेच कर जीवन यापन करने को मजबूर है. उन्होंने सरकार से गरीब लोगों की रक्षा करने और उचित हिस्सेदारी दिलाने की मांग की. धरना को जोन मिरन मुंडा ने भी संबोधित किया.सशक्त लोकायुक्त कानून बनाने की मांग चौहत्तर चेतना मंच ने सोमवार को बिरसा चौक में चार सूत्री मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया. धरना को संबोधित करते हुए मंच के प्रदेश सचिव अशोक वर्मा ने कहा कि सरकार की घोषणा के बाद भी लोकायुक्त कानून नहीं बना. उन्होंने सरकार से सशक्त लोकायुक्त कानून बना कर इसकी जांच के दायरे में मुख्यमंत्री को भी शामिल करने की मांग की. उन्होंने झारखंड में बिहार की भांति भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जब्त करने का कानून बना कर भ्रष्टाचार के मुकदमों के स्पीड ट्रायल के लिए विशेष अदालत के गठन करने की मांग की. धरना को प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद मिश्र ने भी संबोधित किया.
बिरसा चौक में धरना-प्रदर्शन
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