19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आदिवासी साहित्य अन्य साहित्यों का अग्रदूत

रांची : डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान व साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय जनजातीय अखड़ा 2019 में शनिवार को उत्तर-पूर्व और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय आदिवासी लेखक सम्मेलन, आदिवासी साहित्य और सामाजिक सांस्कृतिक संघर्ष की स्थिति पर चर्चा की गयी तथा काव्य पाठ हुआ़ उदघाटन सत्र में साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने कहा […]

रांची : डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान व साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय जनजातीय अखड़ा 2019 में शनिवार को उत्तर-पूर्व और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय आदिवासी लेखक सम्मेलन, आदिवासी साहित्य और सामाजिक सांस्कृतिक संघर्ष की स्थिति पर चर्चा की गयी तथा काव्य पाठ हुआ़

उदघाटन सत्र में साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने कहा कि आदिवासी इस धरती के प्रथम निवासी है़ं जब वे प्रथम निवासी हैं, तो उनका साहित्य भी प्रथम साहित्य और अन्य साहित्यों का अग्रदूत है़ यह कहना गलत नहीं है कि सभी साहित्य आदिवासी साहित्य से उत्पन्न हुए है़ं
साहित्य अकादमी, पूर्वी क्षेत्रीय बोर्ड के कन्वेनर सुबोध सरकार ने कहा कि शहर के लेखक आदिवासी लेखकों की नकल कर रहे हैं. शेक्सपीयर का ज्यादातर लेखन भी उनसे लिया गया़ दुनिया की कोई भी भाषा छोटी या बड़ी नहीं होती़ उसे बड़ा या छोटा हम बनाते है़ं टीआरआइ के निदेशक रणेंद्र कुमार ने कहा कि टीआरआइ जनजातीय राजवंशों पर काम करेगा़ टीआरएल के पूर्व एचओडी डॉ केसी टुडू ने भी विचार रखे़
अपनी भाषा में साहित्य की रचना होना जरूरी तभी भाषाएं भी जीवित रहेंगी
उत्तर पूर्व और उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय आदिवासी लेखक सम्मेलन सत्र में दार्जीलिंग से आयी लिंबू जनजाति की सृजना सुब्बा ने कहा कि अपनी भाषा में साहित्य होगा, तो भाषाएं जीवित रहेंगी़ जनार्दन गोंड ने कहा कि अंगरेजों के आने के बाद गोंड जनजनाति का इतिहास गायब हुआ है़, जबकि आइन-ए- अकबरी और जहांगीर नामा में इसकी चर्चा है़
ये दस्तावेज अरबी- फारसी में है़ं छत्तीसगढ़ से आये उपन्यासकार संदीप बक्षी ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में संवेदनशील, ईमानदार और सेवा के भाववाले सरकारी पदाधिकारी पदस्थ होने चाहिए़
शुरू से आदिवासियों को हाशिये पर रखा जा रहा है
सिती संगमा ने कहा कि मेघालय में गारो समुदाय की आबादी एक तिहाई है़ पर, उनका साहित्य ज्यादा चर्चित नहीं रहा है़ इसकी स्थिति दयनीय है़ राहुल सिंह ने कहा कि आदिवासियों को हाशिये पर रखा जा रहा है़ यह दुखद है कि रांची विवि के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में 25 सालों से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है़
इस िदशा में शीघ्र पहल करने की जरूरत है. कवि राजा पुनियानी ने कहा कि ‘विकास’ विस्थापन व पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं लेकर आता है़ मौके पर संजय कुमार तांती ने असम के आदिवासियों की बात रखी़ इस अवसर पर मिथिलेश प्रियदर्शी, डॉ मिथिलेश कुमार और नितिशा खलखो ने भी संबोधित किया़

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें