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रांची : ई-सिगेरट के नशे की चपेट में आ रहे युवा, बेचनेवालों पर होगी कार्रवाई

कोलकाता लैब में ई-सिगरेट की जांच करायेगा विभाग, रांची : झारखंड में खासकर रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो के युवाओं में इन दिनों ई-सिगरेट की लत देखी जा रही है. हालांकि, इसके इस्तेमाल करनेवालों की संख्या का अनुमान अब तक नहीं लगाया गया है. लेकिन, जानकार बताते हैं कि मध्यम व उच्च आय वर्ग के […]

कोलकाता लैब में ई-सिगरेट की जांच करायेगा विभाग,
रांची : झारखंड में खासकर रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो के युवाओं में इन दिनों ई-सिगरेट की लत देखी जा रही है. हालांकि, इसके इस्तेमाल करनेवालों की संख्या का अनुमान अब तक नहीं लगाया गया है.
लेकिन, जानकार बताते हैं कि मध्यम व उच्च आय वर्ग के युवा तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. वह शहर के प्रतिष्ठित स्कूल और कॉलेज जानेवाले युवाओं में इसकी लत है. मामले का खुलासा तब हुआ जब औषधि निदेशालय ने छापेमारी कर रांची चार दुकानों में ई-सिगरेट के डिवाइस और रिफिल जब्त किये हैं.
औषधि निदेशक ऋतु सहाय बताती हैं कि पिछले कई दिनों से इसकी रेकी की जा रही थी. फिर रांची के उपायुक्त को सूचित कर छापेमारी की गयी.
चार दुकानों में ई-सिगरेट के डिवाइस और रिफिल पाये गये, जिन्हें जब्त कर लिया गया है. इसे कोलकाता स्थित लैब में जांच करने के लिए भेजा जायेगा. जांच रिपोर्ट आने के बाद चारों दुकानदारों पर ड्रग एवं कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी. श्रीमती सहाय ने बताया कि हमारे स्कैनर में जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो शहर भी हैं. गुपचुप तरीके से जांच करायी जायेगी. सबूत मिलते ही कार्रवाई होगी.
मेट्रो और मिनी मेट्रो सिटी में प्रचलित है ई-सिगरेट
सोशियो इकोनॉमिक एंड एजुकेशन डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) देश भर में धूम्रपान और तंबाकू नियंत्रण पर काम करता है. सीड्स के कार्यकारी निदेशक दीपक मिश्रा बताते हैं कि हाल के दिनों में किशोरों और युवा वर्ग में ई-सिगरेट का प्रचलन बढ़ा है.
इंटरनेट और सोशल साइट्स के जरिये युवा इसके बारे में जानते हैं. मेट्रो सिटी और मिनी मेट्रो सिटी में इसका प्रचलन देखा जा रहा है. कहीं-कहीं हुक्का बार में भी ई-सिगरेट की सुविधा उपलब्ध रहती है. हालांकि, अभी इसके इस्तेमाल करने वाले युवाओं की संख्या काफी कम है. कीमत अधिक रहने की वजह से ज्यादातर हायर इनकम ग्रुप के युवा ही इसकी चपेट में आते हैं. पर जिस तरह इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है और आनेवाले समय में युवाओं के लिए यह एक बड़ा खतरा साबित होगा.
बैटरी से चलनेवाला उपकरण होता है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट का मतलब होता है इलेक्ट्रोनिक निकोटिन डिलेवरी सिस्टम(इंड्स) यानी निकोटिन को लेने का इलेक्ट्रोनिक तरीका. यह वर्तमान स्कूल और कॉलेज जानेवाले किशोरों में प्रचलित है. यह एक बैटरी चलित उपकरण होता, जिसमें पोलिप्रापाइलिन ग्लाइकोल, गिलसरोल, डिस्टिल वाटर और सुगंध के साथ निकोटिन को गर्म कर भाप में परिवर्तित किया जाता है.
जब इसका सेवन किया जाता, तो निकोटिन धुएं के माध्यम से ग्रहण किया जाता है. यह धुआं लिक्विड को बैटरी के माध्यम से हीट करके बनता है. बैटरी को चार्ज करने के लिए इसके सेट में चार्जर भी आता है. युवाओं में बढ़ती लोकप्रियता के कारण इसका बाजार बहुत बढ़ गया है. यह ज्यादातर अॉनलाइन शापिंग साइट से मंगाई जाती है. कई प्रसिद्ध साइट्स हैं, जो धड़ल्ले से ई-सिगरेट बेच रही हैं. इसकी लोकप्रियता देख अब कुछ दुकानदार भी अॉनलाइन शापिंग साइट से मंगाकर इसे महंगी दरों पर युवाओं को बेचते हैं.
यह निकोटिन पर निर्भरता, गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव, हृदय रोगों, मानसिक समस्याओं एवं कई अन्य विकारों के लिए जिम्मेदार होता है. इसके खतरों को देखते हुए ही झारखंड सरकार स्वास्थ्य विभाग द्वारा सात मार्च 2019 को ही इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है. प्रतिबंध में इसके सेवन, व्यापार, अॉनलाइन मार्केटिंग पर प्रतिबंध है.

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