जर्जर हो चुकी हैं ग्रामीण सड़कें, नींद से अब जागी है राज्य सरकार
रांची : राज्य की जर्जर हो चुकी ग्रामीण सड़कों की मरम्मत का प्रावधान 17 साल बाद किया गया है. फिलहाल इसके लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इस राशि से अभी ग्रामीण इलाकों की सबसे खराब टूटी सड़कों को दुरुस्त करने को कहा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही मरम्मत का काम शुरू करा दिया जायेगा.
यह प्रावधान प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के लिए ही किया गया है. इसके तहत प्राथमिकता के आधार पर सड़कें दुरुस्त की जायेंगी. इस दौरान सड़क के महत्व और उनकी उपयोगिता को देखते हुए उन्हें चिह्नित करने का भी निर्देश दिया गया है. मरम्मत कराने के बाद और राशि की जरूरत होगी, तो उसका प्रबंध किया जायेगा. केंद्र सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह नयी सड़क के निर्माण के लिए पैसे देगी, लेकिन मरम्मत की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी. ऐसे में राज्य सरकार को यह प्रावधान करना पड़ा है.
चलने लायक नहीं हैं सड़कें
ग्रामीण इलाकों की सड़कें चलने लायक नहीं है. पहली बार 2001 में झारखंड के लिए पीएमजीएसवाइ की योजना स्वीकृत हुई थी. 2002 में कई योजनाएं पूर्ण भी हुई थी.
इसके बाद हर साल सड़क योजनाएं पास होती रहीं और बनती भी रहीं. केवल नयी सड़क बनाने का काम होता रहा. पुरानी की मरम्मत पर का कोई प्रावधान ही नहीं हुआ. इस वजह से वर्षों से सड़कें खराब पड़ी हैं. धीरे-धीरे कई सुदूर गांवों की सड़कों का नामोनिशान मिट गया. सड़क दिख भी नहीं रही है, केवल गड्ढे नजर आ रहे हैं.
बार-बार उठ रही थी मरम्मत की मांग
जर्जर सड़कों की मरम्मत को लेकर बार-बार मांग उठ रही थी. जनप्रतिनिधियों के साथ ही ग्रामीणों की ओर से भी सरकारी तंत्र को जर्जर सड़कों से अवगत कराया जा रहा था, लेकिन सड़क की मरम्मत की कोई व्यवस्था ही नहीं थी. अब जाकर सरकार जगी है और प्रबंध हुआ है.