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संघर्ष जारी रहेगा, नयी तैयारी के साथ विधानसभा में उतरेंगे

रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर आश्चर्यचकित हैं. उनका मानना है कि कांग्रेस चार सीटों पर मजबूत स्थिति में थी. ऐसे परिणाम की उम्मीद कहीं नहीं थी. हमलोगों ने अच्छा प्रदर्शन किया. हार जीत होती रही है. अानेवाले विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ेंगे. झारखंडी […]

रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर आश्चर्यचकित हैं. उनका मानना है कि कांग्रेस चार सीटों पर मजबूत स्थिति में थी. ऐसे परिणाम की उम्मीद कहीं नहीं थी. हमलोगों ने अच्छा प्रदर्शन किया. हार जीत होती रही है. अानेवाले विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ेंगे. झारखंडी मुद्दों के साथ हमेशा संघर्ष करते रहेंगे. जनता के साथ रहने की कोशिश करेंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से ब्यूरो प्रमुख अानंद मोहन ने हार के कारणों को लेकर बात की.

महागठबंधन की बड़ी हार हुई. क्या एनडीए की इतनी बड़ी जीत की उम्मीद थी?
हमलोग (मैं) अपनी पार्टी की चार सीटों पर जीत मानकर चल रहे थे. खूंटी, लोहरदगा में बड़े कम मार्जिन से हारे. रांची में ऐसी स्थिति बनेगी, उम्मीद नहीं थी. इस तरह बड़े मार्जिन से हार होगी, यह समझ से परे था. हमसे कहीं ना कहीं चूक हुई है. हम इस वेब को समझ नहीं सके. अंदर इतना बड़ा करेंट था. यह चुनाव के समय पता नहीं चला. हम अपने समीकरण पर टिके थे.
महागठबंधन के दल अपना वोट एक-दूसरे को नहीं दिला पाये?
ऐसा नहीं है. सारे दल चुनाव में लगे थे. लोगों ने दिन रात मेहनत की. हम अपने मुद्दे के साथ जनता के बीच में गये. यह चुनाव मोदी वर्सेज अदर था. हम जनता के बीच अपने मुद्दों को लेकर गये. जो राजनीतिक लड़ाई थी, उसे लड़ रहे थे.
शिबू सोरेन हार गये, बाबूलाल मरांडी हार गये, क्या यह हार आपको आश्चर्य में डालती है?
ऐसे परिणाम की उम्मीद किसी को नहीं थी. शिबू सोरेन हार गये, बाबूलाल बड़े अंतर से हारे यह उम्मीद नहीं थी. सुखदेव भगत का हारना भी मुझे आश्चर्य में डाल रहा है. सुबोधकांत सहाय को लेकर भी अच्छी रिपोर्ट थी. कहीं ना कहीं यह समीकरण जो हम मानकर चल रहे थे, वह कमजोर पड़ा. उम्मीदवार भी अपनी शिद्दत से लगे थे.
उम्मीदवार चयन को लेकर कोई चूक हुई क्या ?
मैं ऐसा नहीं मानता हूं. सारी पार्टियों ने बेहतर उम्मीदवार दिया. जिनके पास जो बेहतर उम्मीदवार थे, उसे चुनाव में उतारा गया.
क्या यही स्थिति विधानसभा के चुनाव में भी होगी?
लोकसभा का चुनाव राष्ट्रीय स्तर के राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर था. इसके मुद्दे दूसरे थे. अब राज्य का चुनाव होनेवाला है. उसके इश्यू अलग होंगे. महागठबंधन पर इस लोकसभा चुनाव का असर नहीं पड़ेगा. हम मजबूती के साथ राज्य के चुनाव में उतरेंगे.
महागठबंधन का स्वरूप बदलेगा या यही रहेगा ?
महागठबंधन विधानसभा में जरूर रहेगा. हम अब नयी रणनीति के साथ मैदान में होंगे. स्वरूप पर कोई असर नहीं पड़ना है. आज भी जेएमएम बड़ी राजनीतिक पार्टी है. जेएमएम की बड़ी हिस्सेदारी होगी. भूमिका अहम होगी. हम धरातल पर नयी रणनीति के साथ भाजपा से मुकाबला करेंगे.
मुद्दे क्या होंगे, विकल्प क्या है?
जनता के मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष करना है. हार जीत लगी रहती है. हमारे पास विकल्प काफी हैं. झारखंड वीरों की भूमि है. हार गये, चोट खाये, सब सही है. लेकिन एक वीर की तरह लड़ना होगा. मेहनत में कमी नहीं करनी होगी. दिल लगाकर काम करेंगे. मरते दम तक झारखंड के मुद्दों के लिए संघर्ष करना है. आज राजनीतिक विकल्प खत्म नहीं हुए हैं. 62 फीसदी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने मोदी के खिलाफ वोट किया है. इनके भी अपने इश्यू हैं. आनेवाले समय में महागठबंधन के नये स्वरूप के साथ हम विधानसभा के चुनाव में होंगे.

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