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नकली इंजेक्शन के मामले में कंपनी के खिलाफ मुकदमा

इंजेक्शन में दवा की जगह सिर्फ पानी था प्रभात खबर में 16 मार्च को छपी थी खबर जैक्सन लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड अमृतसर ने बनाया है इंजेक्शन रांची : अौषधि निदेशालय ने नकली इंजेक्शन के मामले में इसकी निर्माता कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है. इससे पहले संबंधित कंपनी से यह स्वीकारोक्ति ले ली […]

  • इंजेक्शन में दवा की जगह सिर्फ पानी था
  • प्रभात खबर में 16 मार्च को छपी थी खबर
  • जैक्सन लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड अमृतसर ने बनाया है इंजेक्शन
रांची : अौषधि निदेशालय ने नकली इंजेक्शन के मामले में इसकी निर्माता कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है. इससे पहले संबंधित कंपनी से यह स्वीकारोक्ति ले ली गयी है कि संबंधित इंजेक्शन उसी का उत्पाद है. स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध झारखंड राज्य मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 2018 में एंटी रिएक्टिव इंजेक्शन (डेक्सामेथासोन सोडियम फॉस्फेट) की खरीद की थी.
इसका निर्माण जैक्सन लेबोरेटरी प्रा. लि मजिठा रोड, अमृतसर ने किया है. उक्त इंजेक्शन का दिसंबर 2017 में बने एक बैच (संख्या 1-15826) का देवघर से लिया गया सैंपल जांच में जाली पाया गया था. इसलिए देवघर सत्र न्यायालय में ही अभियोजन दायर हुआ है. इस बैच का करीब 25 हजार वॉयल (सीसी) इंजेक्शन होने का अनुमान है.
औषधि निदेशालय के अनुसार, जांच में उक्त इंजेक्शन में सिर्फ पानी मिला था. इसमें दवा थी ही नहीं. इस एंटी रिएक्टिव इंजेक्शन का उपयोग किसी एलर्जी को दूर करने में होता है. कॉरपोरेशन ने खरीद के बाद इस इंजेक्शन की जांच दिल्ली के किसी मुल्तानी लैब से करायी थी.
इस लैब की जांच में इंजेक्शन को ठीक बताया गया था. इसके बाद कंपनी को भुगतान कर दवा राज्य भर में वितरित कर दी गयी. श्रावणी मेला के दौरान राज्य के औषधि निरीक्षक ने देवघर से इस इंजेक्शन का सैंपल लिया था.
सरकारी लैब में इसकी जांच करायी गयी, जिसकी रिपोर्ट अभी आठ मार्च को भेजी गयी है. इसमें इंजेक्शन नकली पाया गया. इधर, इस इंजेक्शन के एक दूसरे बैच से लिया गया सैंपल भी जांच के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आयी है.
सरकारी लैब में जांच ही मान्य : दरअसल, कॉरपोरेशन ने सरकार से निबंधित देश के कुछ निजी ड्रग टेस्ट लैब को सूचीबद्ध (इंपैनल्ड) किया है. दवा की खरीद के दौरान इन्हीं लैब में सभी दवाओं की जांच करायी जाती है.
इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही दवाओं की खरीद फाइनल होती है तथा दवाओं को उपयोग के लिए राज्य भर के सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाता है. सरकार के अपने लैब की जांच को ही मान्यता दी जाती है.
अभी 26 अप्रैल को ही कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है. अब उक्त इंजेक्शन की निर्माता कंपनी के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रावधानों के तहत सुनवाई होगी. इससे पहले एक बार फिर से इंजेक्शन की जांच होनी है.
ऋतु सहाय, निदेशक, अौषधि

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