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रांची : सेना पर सरना स्थल तोड़ने का आरोप, लोगों ने किया हंगामा

मंगलवार की देर रात हुंडरू गांव में हुई घटना रांची : हुंडरू गांव स्थित सरना स्थल को तोड़ने का आरोप ग्रामीणों ने सेना के जवानों पर लगाया है़ ग्रामीणों का कहना है कि जवानों ने मंगलवार देर रात सेना कॉलाेनी के पीछे बने सरना स्थल को तोड़ दिया़ हर वर्ष सरहुल पर्व के पूर्व जवान […]

मंगलवार की देर रात हुंडरू गांव में हुई घटना
रांची : हुंडरू गांव स्थित सरना स्थल को तोड़ने का आरोप ग्रामीणों ने सेना के जवानों पर लगाया है़ ग्रामीणों का कहना है कि जवानों ने मंगलवार देर रात सेना कॉलाेनी के पीछे बने सरना स्थल को तोड़ दिया़ हर वर्ष सरहुल पर्व के पूर्व जवान अधिकारियों के कहने पर सरना स्थल को तोड़ देते हैं और असामाजिक तत्वों द्वारा सरना स्थल तोड़ने का आरोप लगाया जाता है़ सरना स्थल तोड़े जाने के बाद ग्रामीण आक्रोशित है़ं
जानकारी मिलते ही वार्ड-50 की पार्षद पुष्पा तिर्की भी पहुंचीं और विरोध जताया़ ग्रामीणों का कहना है कि हुंडरू में आदिवासी, ईसाई व हिंदू रहते है़ं सभी लोग सबके पर्व में शामिल होते है़ं यहां पूरी तरह सामाजिक सौहार्द्र का वातावरण है़ सेना के जवान हमारे बीच फूट डालने का प्रयास कर रहे है़ं
घटना के बाद एयरपोर्ट थाना प्रभारी नीरज मिश्रा ने सरना स्थल का शुद्धिकरण कराने का जिम्मा लिया है, इसमें ग्रामीण भी सहयोग करेंगे़ बाद में ग्रामीणों ने आठ अप्रैल को धूमधाम से सरहुल पर्व मनाने का निर्णय लिया़ वहीं, सरना स्थल तोड़ने पर विरोध करने की जानकारी जैसे ही एयरपोर्ट ओपी प्रभारी नीरज मिश्रा को मिली, तो उन्होंने ग्रामीणों को समझा बुझा कर मामला शांत कराया़ बाद में हटिया डीएसपी प्रभात रंजन बरवार, डोरंडा थाना प्रभारी रमेश कुमार सिंह सहित कई पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे़
डीएसपी ने ग्रामीणों काे कहा कि सरना स्थल की सुरक्षा बढ़ाई जायेगी और यहां सरहुल पर्व धूमधाम से मनेगा़ सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी पुलिस की होगी़ ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से सरना स्थल की घेराबंदी की मांग की है ताकि इस किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचायी जा सके़ ग्रामीणों ने कहा कि यदि भविष्य में सरना स्थल को क्षति पहुंचायी गयी तो ग्रामीण आरपार की लड़ाई लड़ेंगे़
1932 से पूजा-पाठ करते आ रहे हैं पूर्वज
ग्रामीणों, एयरपोर्ट विस्थापित मोर्चा के सचिव व आदिवासी अधिकार मंच के जिला संयोजक प्रकाश कुमार का कहना है कि हमारे पूर्वज वर्ष 1932 से यहां पूजा पाठ करते आ रहे है़ं
उस समय यहां जंगल था. तब से सरना स्थल पर हर वर्ष पूजा की जाती है लेकिन सेना के अधिकारी उसे सेना की जमीन मान रहे है़ं ग्रामीणों का कहना है कि यदि सेना ने इस जमीन का अधिग्रहण किया है तो कागजात पेश करे़ं यह जमीन पूर्ण रूप से रैयती है और सरकार के रिकॉर्ड में भी दर्ज है़
पिछले वर्ष सरना स्थल के साथ मकान भी तोड़ दिया था : ग्रामीणों ने अारोप लगाया है कि पिछले वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे एक मकान के साथ-साथ सरना स्थल को भी सेना के जवानों ने जेसीबी मशीन से तोड़ दिया था़ जिसका काफी विरोध हुआ था़ बाद में ग्रामीणों ने राजभवन के पास एक दिवसीय धरना दिया था. साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया था. उस समय भी आश्वासन ही मिला था़ यदि सेना इस जमीन को अपना बता रही है तो सरकार के नुमांइदे, सेना के अधिकारी व गांव के रैयत कागजात लेकर एक साथ बैठेे़ं उसके बाद निर्णय लिया जाये़ जमीन जिसकी होगी उसे दे दी जायेगी.
हमें कोई आपत्ति नहीं होगी़ विरोध करनेवालों में पार्षद के अलावा प्रकाश कुमार, सुरेश गोप, संजू कच्छप, विमला कच्छप, लखिया तिग्गा, सिसलिया कच्छप, सिनगी लिंडा, लीला कच्छप, सरिता कच्छप, अनिल उरांव, बिरसा कच्छप, अमित कच्छप, संतोष,दीपक कच्छप, मंजीत लिंडा, मंटू लिंडा, सुशील कच्छप, लोरेंस कच्छप, पवन खलखो,सोनू मिंज,सुखदेव साहू, बुधुवा कच्छप सहित कई ग्रामीण शामिल थे.

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