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रांची : पांच साल में 20 हजार किसानों को जोड़ा, 1.35 लाख लीटर से अधिक दूध का हो रहा है संग्रह
एक अप्रैल को समाप्त हो रहा है झारखंड सरकार के साथ नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का एमओयू रांची : नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) का झारखंड सरकार के साथ एमओयू एक अप्रैल को समाप्त हो रहा है. राज्य सरकार के साथ पांच साल के लिए एमओयू हुआ था. बोर्ड के जनसंपर्क और कम्यूनिकेशन के ग्रुप […]
एक अप्रैल को समाप्त हो रहा है झारखंड सरकार के साथ नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का एमओयू
रांची : नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) का झारखंड सरकार के साथ एमओयू एक अप्रैल को समाप्त हो रहा है. राज्य सरकार के साथ पांच साल के लिए एमओयू हुआ था. बोर्ड के जनसंपर्क और कम्यूनिकेशन के ग्रुप हेड अभिजीत भट्टाचार्जी ने मंगलवार को राजधानी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान बोर्ड के पांच साल के कार्यों की जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि पांच साल पहले गव्य विकास विभाग यहां काम करता था. इसमें चार हजार किसानों से करीब 14 हजार लीटर दूध जमा होता था. राज्य सरकार से काम लेने के बाद अभी 20 हजार किसानों को जोड़ा जा चुका है. एक लाख 35 हजार लीटर से अधिक दूध हर दिन जमा हो रहा है. इसमें 85 हजार लीटर दूध की बिक्री हर दिन हो रही है. इससे करीब 115 करोड़ रुपये की बचत राज्य में हो रही है.
एनडीडीबी गठन से पहले किसानों से 10 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से भुगतान होता था. आज 28 से 30 रुपये लीटर किसानों को मिल रहा है. इस दौरान एनडीडीबी ने होटवार में एक हजार लीटर का एक प्रोसेसिंग प्लांट लगाया है. कोडरमा में 10 और देवघर में 25 हजार लीटर का प्लांट लगाया जा रहा है. दुग्ध उत्पादकों के बीच 115 करोड़ रुपये बांटा जा रहा है. मेधा के नाम से कई दुग्ध उत्पाद भी बाजार में लाया है.
स्कूली बच्चों को मिल रहा मुफ्त दूध : एनडीडीबी अपने फाउंडेशन के माध्यम से राज्य के करीब 18 हजार बच्चों को मुफ्त में फ्लैवर्ड मिल्क दे रहा है. यह स्कीम लातेहार के 43 स्कूलों में चल रहा है. एडीडीबीबी के इस स्कीम को राज्य सरकार अपनाने जा रही है. इसके अतिरिक्त एनडीडीबी ने यहां कैटल फीड प्लांट भी लगाया है.
देश के कई राज्यों में भेजी जा रही हैं सब्जियां : एनडीडीबी ने मदर डेयरी के नाम से एक प्लांट नगड़ी में लगाया है. यहां मटर, टमाटर, मक्के का प्रोसेसिंग हो रहा है. यहां का कटहल देश के कई राज्यों में बेचा जा रहा है. इससे किसानों को सीधा फायदा हो रहा है. इससे मिलने वाला पैसा सीधे किसानों के खाते में जा रहा है. इससे बिचौलिया खत्म हो रहे हैं.
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