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रोज साढ़े पांच करोड़ की शराब पीते हैं झारखंडी
रांची : झारखंड में लोग रोज 5.5 करोड़ रुपये की शराब गटक जाते हैं. उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में शराब की सबसे ज्यादा बिक्री राजधानी रांची में होती है. रांची में रोज 1.10 करोड़ रुपये की शराब बिकती है. उसके बाद जमशेदपुर का नंबर आता है. जमशेदपुर में प्रतिदिन 85 लाख रुपये […]
रांची : झारखंड में लोग रोज 5.5 करोड़ रुपये की शराब गटक जाते हैं. उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में शराब की सबसे ज्यादा बिक्री राजधानी रांची में होती है. रांची में रोज 1.10 करोड़ रुपये की शराब बिकती है.
उसके बाद जमशेदपुर का नंबर आता है. जमशेदपुर में प्रतिदिन 85 लाख रुपये की शराब खरीदी जाती है. धनबाद में 65 लाख रुपये की शराब रोज बिकती है. वहीं, बोकारो में 40 लाख रुपये की शराब की खपत रोज होती है. राज्य के शेष जिलों में औसतन 20 से 30 लाख रुपये की शराब बिकती है.
जनवरी तक मिला 713 करोड़ का राजस्व : उत्पाद विभाग ने अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक शराब से 713 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया है.
वर्ष 2016-17 में उत्पाद विभाग को शराब से 957 करोड़ रुपये राजस्व मिला था. उसके बाद राज्य सरकार ने राजस्व में वृद्धि की योजना बनाते हुए झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन के माध्यम से शराब का व्यवसाय करने का फैसला लिया. हालांकि, यह निर्णय फायदेमंद नहीं साबित हुआ. पिछले वित्तीय वर्ष में शराब का राजस्व घट कर 846 करोड़ हो गया. चालू वित्तीय वर्ष में भी विभाग शराब से 1200 करोड़ रुपये राजस्व वसूली का निर्धारित लक्ष्य पाना संभव नहीं प्रतीत होता है.
शुरू हुई लॉटरी की प्रक्रिया, अप्रैल से निजी व्यापारी बेचेंगे शराब
राज्य में शराब की दुकानों का लाइसेंस आवंटित करने के लिए लॉटरी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. उत्पाद विभाग द्वारा सेल नोटिफिकेशन राजस्व पर्षद की स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है.
राजस्व पर्षद से अनुमति मिलने के बाद लॉटरी के लिए आवेदन आमंत्रित कर दिया जायेगा. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक मार्च में लॉटरी की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. अप्रैल महीने से शराब की दुकानों का संचालन निजी हाथों में चला जायेगा.
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