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विधानसभा का शीतकालीन सत्र : पारा शिक्षकों के मुद्दे पर नहीं चला सदन, सत्ता पक्ष चर्चा के लिए तैयार
रांची : विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ रहा है़ दूसरे दिन विधानसभा का सत्र पारा शिक्षकों के आंदोलन के मुद्दे पर नहीं चल पाया़ दिनभर इस मुद्दे को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी रहा़ स्पीकर दिनेश उरांव को हो-हल्ला और हंगामे के कारण तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी़दूसरी […]
रांची : विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ रहा है़ दूसरे दिन विधानसभा का सत्र पारा शिक्षकों के आंदोलन के मुद्दे पर नहीं चल पाया़ दिनभर इस मुद्दे को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी रहा़ स्पीकर दिनेश उरांव को हो-हल्ला और हंगामे के कारण तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी़दूसरी पाली में हो-हल्ला के बीच 1117़ 12 करोड़ का अनुपूरक बजट पास हुआ़ सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल नहीं चल पाया़ उधर पहली पाली में पारा शिक्षकों की मांगों के समर्थन, स्कूल विलय जैसे मुद्दे पर विपक्ष की ओर से कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया गया़ स्पीकर ने इसे अमान्य कर दिया़ इसके बाद झामुमो और कांग्रेस के विधायक वेल मेंघुस गये़ पारा शिक्षकों की मांगों के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी़
सत्ता पक्ष पारा शिक्षकों के मुद्दे पर चर्चा कराने की बात कर रहा था़ सत्ता पक्ष का कहना था कि विपक्ष समस्या का समाधान नहीं चाहता है, इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है़ पहली पाली में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि पारा शिक्षकों का मामला ज्वलंत समस्या है़ इसका अविलंब निदान होना चाहिए़ विपक्ष ने इसको लेकर ही कार्यस्थगन दिया है़ पारा शिक्षकों की 42 दिनों से जारी हड़ताल के कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है.
श्री यादव के बोलते ही सत्ता पक्ष के विधायक भी अपनी-अपनी जगह पर खड़े हो गये़ राधाकृष्ण किशोर का कहना था कि इस मामले में ध्यानाकर्षण लाया गया है़
इस पर चर्चा हो जाये़ श्री किशोर ने हो-हंगामा के बीच ध्यानाकर्षण भी पढ़ना शुरू कर दिया़ उनका कहना था कि इसे सदन पटल पर रख दिया है, अब विपक्ष चर्चा करे़ सत्ता पक्ष के समर्थक रहे विधायक भानु प्रताप शाही भी सदन में उबाल पर थे़ वह जोर-जोर से कह रहे थे कि पारा शिक्षक लगातार भूख हड़ताल पर है़ं हार्टअटैक से एक पारा शिक्षक का निधन भी हो गया है़ सरकार कब विचार करेगी़ हम सदन में नहीं बोले, तो कहां जायेंगे़ सत्ता पक्ष की ओर से विरंची नारायण, अनंत ओझा, निर्भय शाहाबादी, नवीन जायसवाल, रामकुमार पाहन, साधु चरण महतो विपक्ष को चर्चा से भागने के मुद्दे पर विपक्ष को घेर रहे थे़ पक्ष-विपक्ष के बीच नोंक-झोंक जारी था़
बहस की नहीं, निर्णय लेने की जरूरत है : हेमंत
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य गठन से पारा शिक्षक काम कर रहे है़ं इतनी भयावह स्थिति कभी नहीं हुई़ हड़ताल अवधि में 17-18 पारा शिक्षकों की मौत हो चुकी है़ मौजूदा सरकार संवेदनहीन है़ क्रूरता का परिचय दिया है़ इसमें बहस की नहीं, सरकार को निर्णय लेने की जरूरत है़ मुख्यमंत्री काे जवाब देना चाहिए़ इस पर सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर का कहना था कि चाहते क्या हैं, बताये़ं राजनीतिक बात ना करे़ं समाधान बताना चाहिए़
क्रूरता : संसदीय कार्यमंत्री
संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सरकार वार्ता करना चाहती है़ यह पक्ष-विपक्ष का विषय नहीं है़ पूरे सदन का विषय है, राज्य का विषय है़ सरकार पीछे नहीं हट रही है, चर्चा के लिए तैयार है़ उन्होंने हेमंत सोरेन द्वारा क्रूरता शब्द का प्रयोग किये जाने पर कहा कि हम ऐसी पार्टी से आते हैं जिसमें ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता.
उन्होंने कहा कि कोलेबिरा उपचुनाव में क्रूरता का अंदाज लगाया जा सकता है़ इसके बाद झामुमो के विधायक वेल में घुस गये़ झामुमो सहित पूरे विपक्ष का हो-हंगामा बढ़ता देख़ स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी़ पहली पाली में दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई, वहीं दूसरी पाली में भी दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही स्पीकर ने स्थगित कर दी़
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