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रांची : 58 साल से एमबीबीएस में 150 सीटों पर हो रहा दाखिला

स्थापना काल से बरकरार है वही आधारभूत संरचना, फैकल्टी भी कमोबेश वही रांची : झारखंड अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) का नाम बदल कर राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेंस (रिम्स) कर दिया गया . लेकिन, यहां एमबीबीएस की सीटें नहीं बढ़ीं. जबकि पड़ोसी राज्यें के मेडिकल […]

स्थापना काल से बरकरार है वही आधारभूत संरचना, फैकल्टी भी कमोबेश वही
रांची : झारखंड अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) का नाम बदल कर राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेंस (रिम्स) कर दिया गया . लेकिन, यहां एमबीबीएस की सीटें नहीं बढ़ीं. जबकि पड़ोसी राज्यें के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ती चली गयीं.
वर्ष 1960 में (58 साल पहले) पहले बैच में एमबीबीएस की 150 सीटों पर नामांकन हुआ था. आज भी स्थिति यथावत है. राज्य बनने के बाद सीटों के बढ़ने के बजाय कम भी हुईं. यानी सीटों की संख्या 150 से घटकर 100 हो गयी थीं.
अब तक नहीं बढ़ीं आधारभूत संरचनाएं : राज्य के पुनाने मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि स्थापना काल के समय जो आधारभूत संरचनाएं थीं, आज भी वही हैं. लेक्चर थिएटर, लाइब्रेरी, हॉस्टल की संख्या जस की तस है. नर्सिंग सेवाएं, मैनपावर की संख्या भी वर्तमान सीट के हिसाब से भी कम हैं.
कई ऐसे विभाग के कोर्स हैं, जिसकी मान्यता आज तक नहीं मिल पायी है. उदाहरण के तौर पर रेडियोलॉजी विभाग का पीजी कोर्स है, जो करीब 40 साल से मान्यता की आस में है. एमसीआइ ने कई बार निरीक्षण किया, लेकिन फैकल्टी व उपकरण की कमी के कारण मान्यता नहीं मिल पायी. जब भी एमबीबीएस की 150 सीटों की मान्यता के लिए एमसीआइ का निरीक्षण हुआ, कुछ न कुछ कमियां पायी गयीं.
एमबीबीएस के 250 सीट के लिए हमारी तैयारी पूरी हो गयी है. प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसको केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के पास भेजा गया है. उम्मीद है कि अगले सत्र के लिए हमें अनुमति भी मिल जाये.
डॉ मंजू गाड़ी, प्रभारी डीन

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