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बकोरिया कांड पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, जानें किसने क्‍या कहा?

आठ जून 2015 को पलामू जिले के सतबरवा ओपी क्षेत्र में हुई थी घटना, सीबीआइ करेगी जांच आठ जून 2015 को पलामू जिले के सतबरवा ओपी क्षेत्र में हुए बकोरिया कांड मामले में एक ओर जहां हाइकोर्ट ने सीबीआइ से जांच कराने का अादेश दिया है , वहीं दूसरी ओर मंगलवार को विपक्ष ने इस […]

आठ जून 2015 को पलामू जिले के सतबरवा ओपी क्षेत्र में हुई थी घटना, सीबीआइ करेगी जांच
आठ जून 2015 को पलामू जिले के सतबरवा ओपी क्षेत्र में हुए बकोरिया कांड मामले में एक ओर जहां हाइकोर्ट ने सीबीआइ से जांच कराने का अादेश दिया है , वहीं दूसरी ओर मंगलवार को विपक्ष ने इस मामले में सरकार पर जम कर निशाना साधा है़ नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने जहां पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है
वहीं झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि दोषी व दागी अधिकारियों को दंडित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं कर रही है़
दूसरी तरफ, माले ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा न सिर्फ सीआइडी जांच काे प्रभावित किया गया, बल्कि प्रशासन को भी बचाने की कोशिश की. इधर भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि रघुवर सरकार में किसी निर्दोष को सताया नहीं जाता और किसी दोषी को बख्शा भी नहीं जाता़ जैसे ही अदालत की कॉपी उपलब्ध होती है, उस पर आगे उचित कार्रवाई होगी.
रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा, दागी व दोषी अफसरों को संरक्षण दे रखा है सीएम ने
रांची : झाविमो अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि किसी भी राज्य में दोषी व दागी अधिकारियों को दंडित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन झारखंड में दोषियों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है. प्रदेश में डीजीपी, एडीजी सहित सीएस रहीं राजबाला वर्मा जैसे तीन शीर्ष अधिकारियों से जुड़ा मामला सामने आया.
तीनों मामले में कई अहम जानकारी होने के बावजूद सरकार ने अपनी ओर से इन पर कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा. वहीं इनके बचाव में हर मुमकिन कोशिश की गयी. श्री मरांडी ने कहा कि जब हाइकोर्ट, सीबीआइ या चुनाव आयोग का डंडा चला, तब भी सरकार ने कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करने का काम किया.
श्री मरांडी ने कहा कि ताजा मामला बकोरिया कांड है. जिसमें राज्य की पुलिस का चेहरा कोर्ट ने बेनकाब किया है. डीजीपी सवालों के घेरे में हैं. मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास गृह मंत्रालय है.
अहम सवाल है कि जांच में तेजी लाने वाले एमवी राव ने डीजीपी पर जब जांच धीमा करने का दबाव बनाने का सार्वजनिक आरोप लगाया, तब सीएम सह गृह मंत्री ने क्या कार्रवाई की, इसे भी बताना चाहिए. सरकार द्वारा अदालत में जो भी एफिडेविट दायर किया गया है, उससे यह साफ है कि यह सभी गृह विभाग से होकर ही गुजरा होगा.
राजबाला को भी बचाने में लगी रही सरकार : मरांडी ने कहा कि तत्कालीन सीएस राजबाला वर्मा प्रकरण में राज्य सरकार की मेहरबानी किसी से छिपी नहीं है़ चारा घोटाले में सीबीआई द्वारा राजबाला को जिम्मेवार ठहराने के बावजूद सरकार उसे बचाने में लगी रही.
इसके लिए सरयू राय को संसदीय कार्यमंत्री का पद तक छोड़ना पड़ा. श्री मरांडी ने कहा कि इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है. यह सरकार दोषी अधिकारियों काे संरक्षण देती रही है. कहा कि सीएम में नैतिकता बची हो, तो पहले डीजीपी, एडीजी को बर्खास्त करें और फिर खुद इस्तीफा देकर एक उदाहरण पेश करें.
डीजीपी को हटाये सरकार, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा
रांची : पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने बकोरिया कांड में हाइकोर्ट द्वारा सीबीआइ जांच के लिए दिये गये फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने घटना की जांच हाइकोर्ट की मॉनिटरिंग में ही कराने की बात कही है. साथ ही डीजीपी डीके पांडेय को तत्काल प्रभाव से हटाने की भी मांग की है. श्री सोरेन ने कहा कि झामुमो समेत पूरा विपक्ष शुरू से ही बकोरिया कांड की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग कर रहा था. इसके लिए सदन से लेकर सड़क तक मांग की गयी थी.
मामले को उठाये जाने के बाद भी राज्य सरकार सच को उजागर करने से भाग रही थी. उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से झामुमो समेत पूरा विपक्ष बकोरिया कांड के कोल्ड ब्लडेड मर्डर को लेकर सीबीआइ जांच की मांग करते आ रहा है, लेकिन सरकार के कानों में जूं भी नहीं रेंगा. इस मामले में शुरू से शासन, प्रशासन और पुलिस अधिकारियों का टालमटोल वाला रवैया रहा है.
सीटिंग जज की देखरेख में हो बकोरिया की जांच: माले
रांची : माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने बकोरिया कांड में हाइकोर्ट द्वारा सीबीआइ जांच का आदेश दिये जाने पर संतोष व्यक्त किया है. उन्होंने घटना की हाइकोर्ट के सीटिंग जज की देखरेख में जांच कराने की मांग की है. श्री प्रसाद ने कहा कि आठ जून 2015 को झारखंड पुलिस के आला अधिकारियों ने योजनाबद्ध ढंग से उग्रवादी संगठन जेजेएमपी के साथ मिलकर कई मासूम बच्चों की हत्या कर दी थी.
इस घटना के तुरंत बाद भाकपा माले तथा एआइपीएफ द्वारा मामले की जांच की गयी थी. भाकपा माले द्वारा इस घटना को सार्वजनिक किये जाने के बाद भी पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा न सिर्फ सीआइडी जांच काे प्रभावित किया गया, बल्कि प्रशासन को भी बचाने की कोशिश की.
राज्य सरकार को कभी भी किसी जांच से परहेज नहीं
इधर, भाजपा ने किया पलटवार
रांची : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि राज्य सरकार को कभी भी किसी भी जांच से परहेज नहीं है. रघुवर दास की सरकार में विपक्ष को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है. यह हास्यास्पद बात है कि आज विपक्ष के नेता सीबीआइ जांच के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. कल तक यही नेता सीबीआइ जांच पर प्रश्न उठाया करते थे. रघुवर दास की सरकार किसी को बचाने का प्रयास नहीं करती है. भ्रष्टाचार और काम के प्रति कोताही सरकार को बर्दाश्त नहीं है. कर्मठ और काम के प्रति संवेदनशील अधिकारी ही इस सरकार के साथ चल सकते हैं. विपक्ष इस सरकार की साख खराब करने के लिए भ्रामक बयानबाजी कर रहा है. उच्च न्यायालय के फैसले पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से पहले अदालत के आदेश को देखना होगा. कोर्ट के आदेश के आलोक पर ही सरकार कार्रवाई करेगी.
प्रवक्ता श्री शाहदेव ने कहा के प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने तो सीबीआई से प्रताड़ित होकर कॉलेज की पढ़ाई तक छोड़ने की बात कही थी. यूपीए शासनकाल में केंद्र सरकार के मंत्रियों पर सीबीआइ ने दर्जनों मुकदमे दर्ज किये थे. रघुवर दास की सरकार में किसी निर्दोष को सताया नहीं जाता और किसी दोषी को बख्शा भी नहीं जाता़ इसलिए जैसे ही अदालत की कॉपी उपलब्ध होती है, उस पर आगे उचित कार्रवाई होगी. भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस, झामुमो और झाविमो तथ्यों को जाने बिना अनाप-शनाप बोल रहे है़ं

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