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ये हैं स्वच्छता के सजग प्रहरी

बदल रहे तसवीर. राष्ट्रपिता से ली स्वच्छता की प्रेरणा और हजारों लोगों के लिए मिसाल बन गये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने पूरे जीवन काल में स्वच्छता के प्रति बेहद संवेदनशील रहे. बापू कहते थे : यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वच्छता के साथ दूसरों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील नहीं है, तो ऐसी स्वच्छता बेईमानी है. […]

बदल रहे तसवीर. राष्ट्रपिता से ली स्वच्छता की प्रेरणा और हजारों लोगों के लिए मिसाल बन गये
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने पूरे जीवन काल में स्वच्छता के प्रति बेहद संवेदनशील रहे. बापू कहते थे : यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वच्छता के साथ दूसरों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील नहीं है, तो ऐसी स्वच्छता बेईमानी है. उदाहरण के लिए इसे अपना घर साफ कर कूड़ा दूसरे घर के बाहर फेंक देने के रूप में देखा जा सकता है.
अगर सभी लोग ऐसा करने लगें, तो ऐसे में तथाकथित स्वच्छ लोग अस्वच्छ वातावरण तथा अस्वच्छ समाज का ही निर्माण करेंगे. आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनायी जायेगी है. इस मौके पर प्रभात खबर झारखंड के विभिन्न शहरों, गांवों और कस्बों के कुछ ऐसे ही स्वच्छता प्रहरियों की कहानी प्रस्तुत कर रहा है, जिन्होंने राष्ट्रपिता के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने घर, गांव और शहर की सफाई के लिए अकेले ही जंग छेड़ी थी. आज ये लोग हजारों लोगों के लिए स्वच्छता का प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं.
पिछले 30 वर्षों से मोहल्ले की सफाई कर रहे जगन्नाथ साहू
रांची : जगन्नाथ साहू (50 वर्ष) अपर चुटिया स्थित गोंसाईटोली निवासी है. पिछले 30 वर्षों से इनकी दिनचर्या अलसुबह झाड़ू अौर फावड़ा के साथ होती है. अपने घर के सामने स्थित गली में झाड़ू देते हैं. नालियों में जमा कचरे को फावड़े से साफ करते हैं. जगन्नाथ साहू पेशे से दुकानदार हैं. इनकी जेनरल स्टोर की दुकान है.
सफाई करने की प्रेरणा कैसे मिली? इस सवाल पर श्री साहू कहते हैं कि योगदा स्कूल में पढ़ने के दौरान ही सफाई की आदत लग गयी थी. इन्होंने कहा कि बचपन से ही यह कहावत सुन रखी थी कि जहां सफाई होती है, वहीं लक्ष्मी भी वास करती हैं. इनके दोस्तों का एक ग्रुप था, जिसमें बेनी गली मोहल्ला निवासी बेनी प्रसाद, नायक टोली के मैनू नायक, अंबेडकर नगर के जितेंद्र नायक सहित अन्य लोग थे.
ये सभी मिलकर सफाई अभियान चलाते थे. जगन्नाथ साहू ने कहा, कुछ दशक पहले जब मोहल्ले की आबादी कम थी अौर कच्ची सड़क थी तब गंदगी बहुत कम होती थी. बचपन में तो देखा था कि घर से कचरा के रूप में सिर्फ राख निकलती थी. उसका भी 20 प्रतिशत बर्तन मांजने में इस्तेमाल हो जाता था. अब मोहल्ले में पक्की सड़कें हैं, लेकिन गंदगी बढ़ी है अौर नालियों पर भी लोग कचरा फेंक कर उसे जाम कर देते हैं. इसकी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है. यह सच है कि सभी लोग सड़क पर कचरा नहीं फेंकते हैं, लेकिन कुछ लोगों की वजह से मोहल्ले में गंदगी बढ़ती है. लोगों को चाहिए कि वे सिर्फ अपने घर को ही साफ न रखें, बल्कि अपने गली-मोहल्ले को भी साफ रखने में सहयोग करें.
शिबू साव
14 वर्षों से लोगों को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं शिबू साव
कोडरमा : झुमरीतिलैया के अड्डी बंगला निवासी शिबू साव स्वच्छता के महत्व को समझते हुए 14 वर्षों से अपने मोहल्ले को स्वच्छ व सुंदर बना कर रख रहे हैं. उनका यह प्रयास आज हर जगह चर्चा का विषय है. शिबू प्रतिदिन सुबह उठ कर अपने घर के निकट दुर्गा मंडप प्रांगण में दुकान के इर्द-गिर्द की सफाई करते हैं. इस दौरन मंडप परिसर में लावारिस पशुओं के द्वारा किये गये गोबर को भी उठाते हैं और इसको खाद में परिवर्तित कर वहां स्थित पौधे में डालते हैं. यही नहीं, परिसर में लगे सभी पेड़-पौधों में पानी डालने का काम भी उन्हीं का है. परिसर में सुबह-शाम जहां इलाके के बुजुर्ग, युवक-युवतियां टहलने आते हैं. वहीं, मोहल्ले के सभी बच्चों के खेलने के लिए यह एकमात्र मैदान है.
ऐसे में इसकी सफाई रहने से अलग एहसास होता है. शिबू कहते हैं कि अगर परिसर स्वच्छ व सुंदर नहीं रहेगा, तो यहां खेलने और टहलने वाले लोग अस्वस्थ हो सकते हैं. वह कहते हैं कि ऐसा करने से इन्हें सुकून मिलता है. तबीयत खराब होने पर भी वे सफाई करना नहीं भूलते हैं. इनसे प्रेरणा लेकर कई लोग आज इनका साथ देने लगे हैं. शिबू स्टेशन रोड में अपना एक छोटी सी पूजा सामग्री की दुकान चलाते हैं. इनके नेक कार्य को देख कर कई बार नगर पर्षद व अन्य संगठनों के द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया है.
30 साल से स्वच्छता की जंग लड़ रहे हैं दुलेराय
धनबाद : 30 साल पहले मोटर पार्ट्स व्यवसायी दुलेराय चावड़ा का स्वच्छता को लेकर ऐसा जुनून चढ़ा कि पौ फटते ही दुलेराय हाथ में झाड़ू व फावड़ा लेकर मुहल्ले में निकल जाते हैं. कचरा चुनना व सड़क पर झाड़ू लगाना इनकी दिनचर्या बन गयी है. कुछ लोग इन्हें सफाई वाला भी समझ लेते हैं. लेकिन, सबसे बेपरवाह दुलेराय सफाई के मिशन से जुड़े हैं. 77 वर्षीय मोटर पार्ट्स व्यवसायी दुलेराय चावड़ा गुजराती मुहल्ला बैंक मोड़ में रहते हैं.
स्कूटर से ढोते हैं कचरा
दुलेराय सुबह छह बजे उठते हैं और नौ बजे तक मुहल्ले की साफ-सफाई करते हैं. घर से प्लास्टिक का बोरा लेकर निकलते हैं. कचरा चुनकर उस बोरे में भरते हैं. स्कूटर में बोरा को लादकर कहीं दूर ले जाकर फेंकते हैं. सफाई को लेकर दुलेराय के जुनून से प्रेरणा लेकर उनके भतीजे भी सफाई में उनका सहयोग करते हैं.
नगर निगम के ब्रांड एंबेसडर
साफ-सफाई के प्रति दुलेराम चावड़ा के जुनून को देखते हुए नगर निगम ने इन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाया है. पिछले दो वर्षाें से निगम के स्वच्छता अभियान में अपनी महती भूमिका निभा रहें हैं और लोगों को स्वच्छता का संदेश भी दे रहे हैं.
स्वच्छता ही मेरी पूजा है : दुलेराय
दुलेराय चावड़ा कहते हैं : स्वच्छता ही मेरी पूजा है. मोदी सरकार में स्वच्छता को लेकर माहौल बना है. हम सभी का दायित्व बनता है कि स्वच्छता अभियान से जुड़ें. कम से कम अपने घर के सामने साफ-सफाई रखें. देखा-देखी दूसरे लोगों की भी आदत बन जायेगी. मुझे देखकर दूसरे लोग प्रेरणा लेते हैं, यही मेरी उपलब्धि है.
जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के टाटानगर स्टेशन से तीन किमी दूर सुंदरनगर क्षेत्र के जोंड्रागोडा गांव स्वच्छता की मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव की आबादी करीब 1500 है. गांव में पानी निकासी के लिए नाली नहीं है.
कहीं पीसीसी, तो कहीं बिल्कुल कच्ची सड़क है. बावजूद इसके गांव की गलियों में कूड़ा-कचरा या जल जमाव तो दूर एक कंकड़-पत्थर तक नजर नहीं आता है. यह संभव हो पाया है ग्रामीणों की इच्छाशक्ति, संयुक्त प्रयास और एकता की बदौलत. गांव के माझी बाबा चंपाई मुर्मू स्वयं सुबह-शाम बागवानी व आसपास के सफाई कार्यों में लगे रहते हैं. इससे ग्रामीणों को भी अपने घरों को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखने की प्रेरणा मिल रही है.
जोंड्रागोड़ा गांव
जोंड्रागोड़ा : जहां स्वच्छता मिशन रोजाना का काम है
जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के टाटानगर स्टेशन से तीन किमी दूर सुंदरनगर क्षेत्र के जोंड्रागोडा गांव स्वच्छता की मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव की आबादी करीब 1500 है. गांव में पानी निकासी के लिए नाली नहीं है.
कहीं पीसीसी, तो कहीं बिल्कुल कच्ची सड़क है. बावजूद इसके गांव की गलियों में कूड़ा-कचरा या जल जमाव तो दूर एक कंकड़-पत्थर तक नजर नहीं आता है. यह संभव हो पाया है ग्रामीणों की इच्छाशक्ति, संयुक्त प्रयास और एकता की बदौलत. गांव के माझी बाबा चंपाई मुर्मू स्वयं सुबह-शाम बागवानी व आसपास के सफाई कार्यों में लगे रहते हैं. इससे ग्रामीणों को भी अपने घरों को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखने की प्रेरणा मिल रही है.
महिलाओं की अहम भूमिका
माझी बाबा (ग्राम प्रधान) चंपाई मुर्मू बताते हैं कि गांव स्वच्छ रखने में महिलाओं की अहम भूमिका है. वे सुबह उठकर सबसे पहले अपने घर-आंगन और गली की सफाई करती हैं. उसके बाद गोबर लगाती है. यह एक दिन बल्कि रोज होता है.
1994 से ही स्वच्छता अभियान से जुड़े हैं चंदन डे
रविकांत साहू
सिमडेगा : चंदन डे अपने काम से आज पूरे शहरी क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं. सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद चंदन डे अपने घर सिमडेगा आ गये. 1994 से ही वे अकेले ही शहरी क्षेत्र में सफाई अभियान चलाने लगे. उनके लगातार प्रयास को देख कर 2002 तक कुछ और लोग उनके साथ जुड़ गये.
इसके बाद श्री डे ने 18 अगस्त 2002 में ‘नगर अपना’ नाम की संस्था का गठन किया. इसके बाद स्वच्छता अभियान को और तेज किया गया. शहरी क्षेत्र के विभिन्न टोलों-मुहल्लों में झाड़ी कटाई, रोड मरम्मत, झाड़ू लगा कर कचरा उठाने का काम लगातार किया जाने लगा. जन सहयोग से श्री डे ने संस्था के बैनर तले शहरी क्षेत्र के विभिन्न मुहल्लों में ग्रामीणों को पेयजल मुहैया कराने के लिए 16 डाड़ी का निर्माण भी कराया. रोड के किनारे के खड्डों के अलावा मार्केट कांप्लेक्स, भट्ठी टोली कॉलेज मोड़ सहित कई जगहों पर ईंट के टुकड़े डाल कर सड़क की मरम्मत करायी गयी. श्री डे के साथ नगर अपना संस्था के कार्यकर्ता कोलेबिरा घाटी से लेकर केरिया घाटी तक रोड पर जमी धूल को भी हटाने का कार्य कर चुके हैं. श्री डे स्वच्छता के लिए हर स्तर पर अपनी आवाज उठाते रहते हैं.
अनवरत सफाई अभियान में जुटे हैं रामकिंकर
पीरटांड़ : पीरटांड प्रखंड के पालगंज निवासी रामकिंकर उपाध्याय वर्ष 2002 से ही स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण में अनवरत रूप से जुटे हैं. वर्ष 2015 में पारा से सरकारी शिक्षक बने और गांव के मध्य विद्यालय में ही नियुक्त हुए. गांव में स्वच्छता अभियान चलाने में स्कूली बच्चे भी उनके साथ देने लगे. वे स्कूल में अवकाश या विशेष कार्यक्रमों में किसी भी मुहल्ले में जाकर बच्चों के साथ सफाई में लग जाते हैं.
जो कभी मेरा मजाक उड़ाते थे, अब वे भी समर्थन करने लगे हैं. जब भी समय मिलता है, टोले-मुहल्ले के लोगों को प्लास्टिक के दुष्परिणाम व स्वच्छता अभियान का महत्व बताता हूं. हाट-बाजारों व दुकान के बाहर कपड़े के झोले का मुफ्त में बांटकर लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करता हूं.
श्री रामकिंकर उपाध्याय
अपनी उम्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं राजेश
सुनील ठाकुर
साहिबगंज : जिला मुख्यालय से सात किमी दूर सकरीगली रामपुर इंग्लिश मुहल्ला निवासी राजेश कुमार अपने घर और आसपास की सफाई कर ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं. साहिबगंज महाविद्यालय में बीए पार्ट वन की पढ़ाई कर रहे राजेश वर्ष 2017 में एनएसएस से जुड़े हैं. जबकि, 2014 से ही सफाई अभियान से जुड़े हैं.
राजेश ने बताया कि एनएसएस समन्वयक डॉ रंजीत सिंह के सहयोग व पूरे देश में चल रहे स्वच्छता अभियान से प्रेरणा लेकर प्रतिदिन अपने गांव में घूम-घूमकर झाड़ू लगाना, गंदगी को दूर फेंकना और पूरे मुहल्ले में स्वच्छता दूत के रूप में सफाई अभियान में भाग लेना इनकी दिनचर्या में शामिल है. वे खुद नियमित रूप से अपने मुहल्ले की सफाई करते हैं
साथियों की मदद से लोगों में फैला रहे जागरूकता
राजेश मदनशाही निवासी साथी महताब आलम की मदद से मदनशाही, घोघी सहित कई गांव में जाकर जागरूकता अभियान में व्यस्त रहते हैं. उनकी सफाई कार्यक्रम से पूरे गांव के लोग, प्रोफेसर एवं अन्य सहयोगी भी प्रभावित हैं. अलसुबह गांव में लोगों को जगा कर इकट्ठा करते हैं और सफाई अभियान चलाते हैं. गांव की सफाई के प्रति उनका जज्बा पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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