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रांची : बेसहारा महिलाओं के लिए है सिर्फ एक स्वाधार गृह

रांची : बेसहारा, परित्यक्ता व असहाय महिलाअों के लिए राज्य के सभी जिलों में अावासीय गृह बनने थे, पर सिर्फ तीन जिलों रांची, बोकारो व डालटनगंज में ही यह शुरू हुए. इन्हें स्वाधार गृह कहा जाता था. इन गृहों में बेसहारा महिलाएं अधिकतम एक वर्ष के लिए रह सकती थीं. इन्हें रहने-खाने के अलावा साबुन-तेल […]

रांची : बेसहारा, परित्यक्ता व असहाय महिलाअों के लिए राज्य के सभी जिलों में अावासीय गृह बनने थे, पर सिर्फ तीन जिलों रांची, बोकारो व डालटनगंज में ही यह शुरू हुए. इन्हें स्वाधार गृह कहा जाता था. इन गृहों में बेसहारा महिलाएं अधिकतम एक वर्ष के लिए रह सकती थीं.
इन्हें रहने-खाने के अलावा साबुन-तेल व पॉकेट खर्च तक भी यहां दिया जाता था. केंद्र प्रायोजित स्वाधार गृह योजना के तहत सभी जिलों में 50-50 महिलाअों व उनके बच्चों को रहने की सुविधा थी. पर अब तीन में से सिर्फ एक जिले (डालटनगंज) में ही स्वाधार गृह का संचालन हो रहा है.
सेसा नाम की गैर सरकारी संस्था के माध्यम से संचालित इस गृह के लिए भी फंड समय पर नहीं मिलता. मिली जानकारी के अनुसार इस संस्था को वित्तीय वर्ष 2016-17 का पैसा अभी 2018-19 में मिला है.
इधर, रांची में गैर सरकारी संस्था ह्यूमैनिटी के माध्यम से हरमू में संचालित स्वधार गृह भी राज्य सरकार की सुस्ती से बंद हो गया. केंद्र सरकार से इस संस्था को वर्ष 2008 में 4.88 लाख रुपये मिले थे. पर फंड के अभाव में वर्ष 2011 में यह गृह बंद हो गया. दरअसल इस योजना में राज्य सरकार भी रुचि नहीं दिखा रही. यही कारण है कि देवघर में केंद्र संचालित राज्य का अकेला शॉर्ट होम भी अब बंद हो गया है. यानी सिर्फ डालटनगंज में राज्य का अकेला स्वधार गृह धन के अभाव में किसी तरह संस्था के अपने बलबूते चल रहा है.
क्या लाभ होता
आपात स्थिति में महिलाअों के लिए कोई आश्रय होना उनके लिए बड़ी बात है. अभी शहर के विभिन्न नारी निकेतन या स्टे होम में महिलाअों व बच्चों से संबंधित विभिन्न तरह की बातें सामने आ रही हैं. जानकारों के अनुसार समाज कल्याण निदेशालय की देखरेख में गैर सरकारी संस्थाअों के माध्यम से आश्रय का संचालन होना ही चाहिए. ऐसे लोग हर जिले में ऐसे नारी निकेतन या स्वाधार गृह की जरूरत बताते हैं.

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