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रांची : रिम्स में इंसेफलाइटिस से दो माह में सात बच्चों की हुई मौत

राजीव पांडेय विभिन्न जिलों से गंभीर अवस्था में बच्चों को कराया गया था भर्ती रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इंसेफलाइटिस से दो माह में सात बच्चों की मौत हो चुकी है. इन बच्चों को राज्य के विभिन्न जिलों से बेहतर इलाज के लिए रिम्स के शिशु विभाग में भर्ती कराया गया […]

राजीव पांडेय
विभिन्न जिलों से गंभीर अवस्था में बच्चों को कराया गया था भर्ती
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इंसेफलाइटिस से दो माह में सात बच्चों की मौत हो चुकी है. इन बच्चों को राज्य के विभिन्न जिलों से बेहतर इलाज के लिए रिम्स के शिशु विभाग में भर्ती कराया गया था. गंभीर अवस्था में अस्पताल लाने के बाद उनका इलाज शुरू किया गया, लेकिन चिकित्सक बच्चाें को बचाने में सफल नहीं हो पाये. अस्पताल आये बच्चों में तीन बच्चों की मौत तो 24 घंटे में ही हो गयी थी. वहीं दो बच्चों का इलाज एक सप्ताह तक चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.
रिम्स के शिशु विभाग के डेथ रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों की मानें, तो इंसेफलाइटिस से सबसे ज्यादा मौत जुलाई माह में हुई है. इस माह में पांच बच्चों मौत दर्ज की गयी है. जुलाई में पश्चिमी सिंहभूम की एक साल की मासूम राेशनी टूडू की माैत इंसेफलाइटिस से हुई.
वहीं बोकारो के रहने वाले साढ़े तीन साल के अयान, रामगढ़ की 14 वर्षीय सविता कुमारी, गढ़वा की पांच साल की लक्ष्मी कुमारी, लातेहार के सात माह के प्रियरंजन कुमार, डालटेनगंज के राजन (10 वर्ष) व चतरा के साढ़े तीन साल के अनुज शामिल हैं.
सबसे ज्यादा जुलाई माह में हुई पांच बच्चों की मौत
पांच साल के बच्चे का चल रहा है इलाज, स्थिति सुधरी
रिम्स के शिशु विभाग में पांच साल के दिलीप मुंडा का इलाज चल रहा है. लातेहार से उसे 15 अगस्त को भर्ती कराया गया. बच्चे का इलाज डॉ एके चौधरी की देखरेख में चल रहा है. परिजन ने बताया कि अचानक झटका आने लगा था, जिसके बाद हमलोग लातेहार सदर अस्पताल ले गये. वहां के डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए रिम्स रेफर कर दिया. यहां आने पर भी झटका आ रहा था. इलाज के बाद स्थिति सुधर रही है. अब झटका आना बंद हो गया है.
क्या है इंसेफलाइटिस
लक्षण
बुखार, सर्दी व खांसी, उल्टी,सिर में दर्द, झटका आना,बेहोशी
इन बच्चों की हुई है मौत
नाम मौत की तिथि
सविता कुमारी (24 जुलाई)
राेशनी टुडू (14 जुलाई)
अयान कुमार (11 जुलाई)
लक्ष्मी कुमारी (आठ जुलाई)
प्रियरंजन (छह जुलाई)
राजन कुमार (18 अगस्त)
अनुज कुमार (आठ अगस्त)
अस्पताल में मरीज को बेहोशी की अवस्था में परिजन लेकर अाते हैं. ऐसे में उनको संभालना चुनौतीपूर्ण होता है. अगर मरीज को समय पर अस्पताल लाया जाये, तो उनको बचाया जा सकता है. हमारे यहां से कई मरीज स्वस्थ होकर जाते भी हैं.
डॉ एके चौधरी, विभागाध्यक्ष, शिशु विभाग

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