रांचीः सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूल को जमीन देने के मामले में आवास बोर्ड के फैसले पर रोक लगा दी है. केपी सिंह की जनहित याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को विशेष निर्देश देते हुए मास्टर प्लान जमा करनेकहा है.
आवास बोर्ड ने रांची स्थित हरमू कॉलोनी के पटेल पार्क स्थित लगभग एक एकड़ जमीन एक निजी स्कूल को नीलामी में 90 वर्षो के लिए दे दी. इस क्षेत्र के आवंटियों का कहना है कि यह जमीन पार्क के लिए चिह्न्ति है. आवंटन के दौरान उनके कागजात में उक्त भूमि पार्क के लिए दर्शायी गयी है. सार्वजनिक उपयोग की जमीन को बेचना पूर्णत: गैर कानूनी है. केपी सिन्हा ने इसे जनहित का मामला बताकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जो खारिज हो गयी थी. आवास बोर्ड के पास हरमू हाउसिंग कॉलोनी का मूल मास्टर प्लान की है.
बाद में समय-समय पर बोर्ड ने कई बार मनमाफिक तरीके से ले आउट प्लान में बदलाव किया है. एक क्षेत्र विशेष में आवंटन के बाद ले आउट प्लान में बदलाव नहीं हो सकता. वर्ष 2008 में हरमू के ले आउट प्लान में बदलाव कर कई निजी बिल्डरों को कई एकड़ जमीन का आवंटन किया गया था. बोर्ड के इस निर्णय के पीछे बोर्ड के अधिकारियों व बिल्डरों की साठ गांठ थी. बाद में मामला कोर्ट में जाने पर सरकार ने बोर्ड के आवंटन के फैसले को रद्द कर दिया था. सरकार के निजी क्षेत्र को भूमि आवंटन गैरकानूनी बरतने के बावजूद बोर्ड के पूर्व एमडी ने पार्क की जमीन स्कूल के लिए निजी क्षेत्र को कैसे आवंटित कर दी, यह भी जांच का विषय है. बोर्ड के प्रावधान के अनुरूप बोर्ड द्वारा पूर्व में ही प्राथमिक स्कूल को बनाया जा चुका है. फिलहाल यहां बोर्ड का एक कार्यालय कार्यरत है. बोर्ड ने जो जमीन स्कूल को दी है उसमें भी नियमों की अवहेलना की गयी है.
आवासीय सह व्यावसायिक भूखंड बोर्ड 60 वर्षो के लिए ही दे सकता है. जबकि स्कूल को 90 वर्षो के लिए दिया गया है. इन मामले में विशेष छूट देते हुए ब्याज दर भी 21 प्रतिशत से घटा कर 14 प्रतिशत कर दी गयी है. इस मामले की अगली सुनवाई 30 जून को है.