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रांची : असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पर लगेगी रोक
संजीव सिंह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर यूजीसी ने जारी किया आदेश रांची : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर यूजीसी द्वारा जारी आदेश के आलोक में झारखंड में भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया रुक जायेगी. असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति में आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक […]
संजीव सिंह
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर यूजीसी ने जारी किया आदेश
रांची : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर यूजीसी द्वारा जारी आदेश के आलोक में झारखंड में भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया रुक जायेगी. असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति में आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने नियुक्ति प्रक्रिया रोकने का निर्देश दिया है.
राज्य में भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गयी है. हालांकि यूजीसी का निर्देश अभी तक विवि ने आयोग को नहीं भेजा है अौर न ही सरकार की अोर से कोई दिशा-निर्देश आयोग को प्राप्त हुआ है. यूजीसी के निर्देश के आलोक में विवि द्वारा आयोग से अधियाचना वापस ली जा सकती है. झारखंड में विवि द्वारा जो आरक्षण रोस्टर व बैकलॉग की जानकारी आयोग को दी गयी है, उसमें भी त्रुटि सामने आयी है. विवि को यूनिट के आधार पर आरक्षण रोस्टर तैयार कर आयोग को भेजना था, लेकिन आयोग ने विभाग वार रिक्ति के आधार पर रोस्टर तैयार कर आयोग को भेजा है. इसलिए कई विषयों में कई केटोगरी को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है.
रांची विवि में जनजातीय भाषा में पहली बार नियुक्ति हो रही है, इसके बावजूद विवि ने बैकलॉग में जनजातीय भाषा में रिक्तियां दिखायी हैं.
आरक्षण रोस्टर व नि:शक्त को दिये जा रहे लाभ में भी त्रुटि रहने का आरोप अभ्यर्थियों ने लगाया है. इधर, आयोग से अधियाचना वापस लेने के बाद अगर यूनिट के आधार पर रिक्तियां भेजने का निर्णय लिया जाता है, तो एक बार फिर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में काफी विलंब होने की संभावना है. इसका कारण फिर से रिक्ति को खोजना व नये सिरे से आरक्षण रोस्टर तैयार करना है. मालूम हो कि राज्य में वर्ष 2008
के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई है. इसके लिए 31 अगस्त 2018 तक आवेदन जमा करने को कहा गया है. राज्य में नेट/जेट/पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गये हैं, जबकि झारखंड बनने के बाद जेट एक ही बार हुआ है अौर वह भी सीबीआइ जांच के दायरे में है.
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