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रांची : कोऑपरेटिव बैंक में गड़बड़ी को ले स्पेशल ऑडिट कराने की अनुशंसा

कृषि-सहकारिता सचिव पूजा सिंघल ने अपर मुख्य सचिव वित्त को पत्र लिखा है शकील अख्तर रांची : कोऑपरेटिव बैंक में हुई गड़बड़ी के मद्देनजर कृषि-सहकारिता सचिव पूजा सिंघल ने स्पेशल ऑडिट कराने की अनुशंसा की है. इस सिलसिले में उन्होंने अपर मुख्य सचिव वित्त को एक पत्र लिखा है. इसमें कोऑपरेटिव बैंक द्वारा सरकारी आदेशों […]

कृषि-सहकारिता सचिव पूजा सिंघल ने अपर मुख्य सचिव वित्त को पत्र लिखा है
शकील अख्तर
रांची : कोऑपरेटिव बैंक में हुई गड़बड़ी के मद्देनजर कृषि-सहकारिता सचिव पूजा सिंघल ने स्पेशल ऑडिट कराने की अनुशंसा की है. इस सिलसिले में उन्होंने अपर मुख्य सचिव वित्त को एक पत्र लिखा है.
इसमें कोऑपरेटिव बैंक द्वारा सरकारी आदेशों का उल्लंघन करते हुए निजी बैंकों में पैसा रखे जाने सहित अन्य प्रकार की अनियमितताओं का उल्लेख किया है. साथ ही यह भी लिखा है कि विकास आयुक्त ने भी कोऑपरेटिव बैंकों के कामकाज पर नाराजगी जतायी है.
अपर मुख्य सचिव वित्त को भेजी गयी रिपोर्ट में सचिव ने लिखा है कि विकास आयुक्त के निर्देश पर बैंक के सीइओ से रिपोर्ट मांगी गयी थी. सीइओ ने फरवरी 2018 में एक रिपोर्ट भेजी.
इससे पता चलता है कि कोऑपरेटिव बैंक ने विभिन्न बैंकों में 2081.50 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसमें से 1298.84 करोड़ रुपये सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया गया है.
136.91 करोड़ रुपये राज्य के निजी व कुछ सरकारी बैंकों में फिक्स डिपोजिट (एफडी) है. सहकारी बैंक ने आइडीबीआइ में 64.93 करोड़ रुपये फिक्स डिपोजिट कर रखा है. साथ ही इस बैंक के करेंट अकाउंट में 244.71 करोड़ रुपये रखा है. इसके अलावा एक्सिस बैंक के करेंट अकाउंट में 64.84 करोड़ रुपये जमा कर रखा है. बैंकों में जमा करायी गया राशि के ब्योरे के विश्लेषण से इस बात का पता चलता है कि एेसा निजी बैंकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है.
यह पूरी तरह सरकार की नीतियों और हितों के खिलाफ है. दूसरी तरफ सहकारी बैंक का सीडी रेशियो मात्र 11 प्रतिशत है. यह सहकारी बैंक की प्रासंगिकता पर सवाल है. निजी बैंकों में सरकार की अनुमति के बिना पैसा जमा करना घोर वित्तीय अनियमितता और सरकारी आदेशों का उल्लंघन है.
यह निबंधक सहयोग समितियां सह प्रशासक विजय कुमार सिंह की पूर्ण विफलता को दर्शाता है. निबंधक की कार्यशैली से एेसा लगता है कि सहकारी बैंक उनका निजी बैंक है. निबंधक सह प्रशासक पूरी तरह से मनमाने और सरकारी नियमों के विरुद्ध काम कर रहे हैं. झारखंड राज्य सहकारी बैंक वित्तीय अनुशासन में नहीं है. इसलिए कोऑपरेटिव बैंक का स्पेशल ऑडिट कराया जाये.
बैंकों में जमा राशि का ब्योरा (करोड़ में)
बैंक का नाम एफडी
आइडीबीआइ 64.93
बंधन बैंक 5.43
पंजाब एंड सिंध 4.21
पंजाब नेशनल बैंक 31.08
यूको बैंक 7.53
एसबीआइ 2.99
एक्सिस बैंक 9.14
इलाहाबाद बैंक 3.30
यूनियन बैंक 8.30
कोऑपरेटिव बैंक ने पुराने एनपीए में से "12 करोड़ वसूले : सीइओ
रांची : कोऑपरेटिव बैंक के सीइओ ने बैंक के करोड़ों रुपये डूबने से संबंधित प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को भ्रामक बताया है.
उन्होंने इस खबर को बैंक की छवि धूमिल करनेवाला बताया है. उन्होंने कहा है कि एनपीएम का अर्थ पैसों का डूबना नहीं है. एनपीए हो चुके रुपयों की वसूली की कोशिश की जा रहा है. पिछले साल पुराने एनपीए में से 12 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है. इसके अलावा एक मुश्त समझौते के तहत दो करोड़ रुपये की वसूली की गयी. बैंक लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है. पिछले साल बैंक ने मुनाफा कमाया है. बैंक में ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है.
संवाददाता का जवाब : तथ्यों व आंकड़ों का उल्लेख नहीं
प्रभात खबर में प्रकाशित खबर में ब्रांचवार एनपीए का ब्योरा दिया गया है. सीइओ ने खबर को गलत करार देने के लिए यह नहीं बताया कि मार्च 2018 तक एनपीए कितना था.
सीइओ ने पिछले साल बैंक के मुनाफा कमाने का दावा किया है. खबर में घाटे का उल्लेख करते हुए बैलेंस शीट का हवाला दिया गया है.सीइओ ने प्रभात खबर में प्रकाशित किसी भी खबर को गलत करार देने के लिए आंकड़ों और तथ्यों का उल्लेख नहीं किया है.

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