शराब की खुदरा िबक्री की बदल सकती है व्यवस्था
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शराब की खुदरा िबक्री की बदल सकती है व्यवस्था 10% दुकानों का संचालन कॉरपाेरेशन व शेष दुकानों के लिए लॉटरी करने का सुझाव रांची : वित्तीय वर्ष 2017-18 में झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन की ओर से शराब की खुदरा बिक्री किये जाने पर राजस्व में आयी 110 करोड़ रुपये की गिरावट के बाद अब उत्पाद […]
10% दुकानों का संचालन कॉरपाेरेशन व शेष दुकानों के लिए लॉटरी करने का सुझाव
रांची : वित्तीय वर्ष 2017-18 में झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन की ओर से शराब की खुदरा बिक्री किये जाने पर राजस्व में आयी 110 करोड़ रुपये की गिरावट के बाद अब उत्पाद विभाग शराब की खुदरा बिक्री से तौबा करना चाहता है. विभाग ने शराब की खुदरा बिक्री की मौजूदा व्यवस्था बदलने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है. प्रस्ताव में राज्य की 10 फीसदी दुकानों का ही संचालन कॉरपोरेशन के माध्यम से कराने की बात है. कहा गया है कि यह दुकानों मॉडल शॉप की तरह होंगी. वहीं, शेष दुकानों के संचालन के लिए लाइसेंसी का चयन लॉटरी के माध्यम से करने का सुझाव दिया गया है.
मालूम हो कि एक अगस्त 2017 से राज्य में शराब की सौ फीसदी दुकानों का संचालन कॉरपोरेशन के माध्यम से किया जा रहा है. आगामी एक अगस्त को शराब दुकानों को मैन पावर उपलब्ध करानेवाली कंपनियों शोमुख और फ्रंटलाइन का कांन्ट्रैक्ट समाप्त हो रहा है. उत्पाद विभाग उसके पहले मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करना चाहता है. संबंधित प्रस्ताव मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी की जा रही है.
शराब बिक्री की…
प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलने की स्थिति में पहली अगस्त से राज्य में शराब की खुदरा बिक्री की व्यवस्था में परिवर्तन किया जा सकता है.
उत्पाद विभाग खड़े कर चुका है हाथ
राजस्व वसूली के लिए निर्धारित किये गये रोडमैप की समीक्षा के दौरान उत्पाद सचिव राहुल शर्मा ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को शराब की खुदरा बिक्री के लिए पूर्व की व्यवस्था पर फिर से विचार करने का सुझाव दे चुके हैं. उन्होंने कुछ दुकानों का संचालन कॉरपोरेशन के माध्यम से और अन्य दुकानों की बंदोबस्ती लॉटरी के माध्यम से करने की बात भी कही थी. उसके बाद मुख्यमंत्री ने विभाग के अधिकारियों को अन्य राज्यों में खुदरा शराब बिक्री की व्यवस्था का अध्ययन कर रिपोर्ट मांगी थी. विभागीय अधिकारियों की टीम ने दिल्ली, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल में शराब बिक्री की व्यवस्था का अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार किया गया है.
छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लिया गया था फैसला
झारखंड में कॉरपोरेशन के माध्यम से शराब की खुदरा बिक्री की मौजूदा व्यवस्था पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ को मॉडल मानते हुए की गयी थी. छत्तीसगढ़ सरकार को शराब से राजस्व का बड़ा हिस्सा मिलता है. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में भी सरकार द्वारा शराब की खुदरा बिक्री के फैसले के बाद राजस्व में काफी कमी आयी है. छत्तीसगढ़ सरकार को शराब से पहले की तुलना में 35 फीसदी कम राजस्व की प्राप्ति हुई है.
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