रांची : झारखंड में पहली बार इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के आयोजन का एलान हुआ, तो फिल्म और कला जगत के लोगों में जबरदस्त उत्साह का संचार हो गया. उनकी आंखों ने तरह-तरह के सपने देखने शुरू कर दिये. अपनी कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाने का उमंग उनके मन में भर गया. लेकिन, समारोह के समापन से पहले ही लोगों के मन में इस आयोजन के प्रति विरक्ति आ गयी.
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भारी अव्यवस्था के बीच झारखंड में संपन्न हुए इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन ने कुछ लोगों को अपना चेहरा चमकाने का भरपूर मौका दिया. देश-विदेश के कलाकार रांची आये. रांची की सरजमीं पर तीन दिनों तक फिल्मी सितारों का मेला लगा रहा, लेकिन वो नहीं हुआ, जिसके सपने झारखंड को दिखाये गये थे. अब लोग कह रहे हैं कि यह सब्सिडी, पब्लिसिटी और पैसे कमाने का जरिया था. सरकार को चूना लगाने का जरिया था झारखंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड्स. हालांकि, आयोजक इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं.
आयोजकों का कहना है कि सरकार से पैसा लेने वाला आरोप बेबुनियाद है. उन्हें सरकार की ओर से कोई फंडिंग नहीं हुई. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (पीआरडी झारखंड) ने सिर्फ 5 लाख रुपये मंजूर किये. इसमें भी एक शर्त जोड़ दी गयी कि विभाग यह राशि JIFFA के सफल आयोजन के बाद दी जायेगी. इसी का नतीजा रहा कि कार्यक्रम के आयोजन में परेशानियों का सामना करना पड़ा और अव्यवस्थाआें का सामना करना पड़ा, वह अलग से. हालांकि, आयोजकों ने स्वीकार किया कि स्थानीय कलाकारों को परेशानियां हुईं. उन्हें सम्मान नहीं मिला. उन्होंने तर्क दिया कि बॉलीवुड और विदेशों से आये कलाकार हमारे मेहमान थे आैर यहां के मेजबान. मेहमान का स्वागत करना जरूरी था. उन्हें महत्व दिया जाना चाहिए था, सो दिया गया.
आयोजन से जुड़ी खामियों के बारे में पूछे जाने पर आयोजक उखड़ गये. उन्होंने कहा कि बिना सरकारी मदद के झारखंड में इससे बेहतर आयोजन की उम्मीद किसी को नहीं करनी चाहिए. ज्ञात हो कि फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने के लिए झारखंड के कोने-कोने से लोग आये थे. आलम यह कि इसमें शामिल होने के लिए छोटे-छोटे बच्चे आये थे. बॉलीवुड की नामचीन हस्तियों के वर्कशॉप में शामिल होने आये थे. लेकिन, यहां आकर उन्हें निराशा हाथ लगी. कई बच्चों ने कहा कि उनसे रजिस्ट्रेशन फीस 100 रुपये लिये गये, लेकिन वर्कशॉप नहीं हुआ. प्यास से वे बिलबिला रहे थे. उनके लिए खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं था.
इतना ही नहीं, कई लोगों को यह कहकर बुला लिया गया था कि उन्हें सम्मानित किया जायेगा, लेकिन यह नहीं बताया गया कि किसलिए सम्मानित किया जायेगा. कब सम्मानित किया जायेगा. 27 मई, 2018 की रात अवॉर्ड नाइट में महेश भट्ट, रमेश सिप्पी, सपना चौधरी, विजय राज, रवि किशन, राजपाल यादव, अखिलेंद्र मिश्र, संजय मिश्र, शिखा मल्होत्रा के अलावा ईरान, पोलैंड, मलयेशिया, रूस जैसे देशों से आये कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद 2500 की क्षमता वाला हरवंश टाना भगत स्टेडियम पूरा नहीं भर पाया.
संभवत: JIFFA पहला अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल होगा, जिसमें स्क्रीनिंग के लिए नामित फिल्मों को ज्यूरी को दिखाया तक नहीं गया. आयोजकों ने इसे स्वीकार किया कि पहला आयोजन होने की वजह से सभी फिल्मकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किसी को वापस नहीं किया गया. जिन लोगों ने अपनी फिल्में भेजीं, सबको इसमें शामिल किया गया. उन्होंने कहा कि चूंकि पुरस्कारों की संख्या बहुत ज्यादा थी, इसलिए 27 मई की रात को अवॉर्ड फंक्शन में सिर्फ बॉलीवुड के सितारों को सम्मानित किया जा सका. फिल्म जगत से जुड़े झारखंड के लोगों के लिए ‘रांची प्रेस क्लब’ में अलग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया और उन्हें पुरस्कृत किया गया.
कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही JIFFA 2018 के आयोजन समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रकाश मिश्र ने आयोजन की तमाम खामियों के लिए झारखंड के लोगों से माफी मांगी. उन्होंने कहा कि बेहद सीमित संसाधनों में यह आयोजन हुआ. इसलिए फिल्म फेस्ट में आने वालों के लिए नाश्ता, भोजन और पानी का इंतजाम नहीं कर पाये. आने वाले वर्षों में फिर से इसका आयोजन होगा और तब लोगों के सारे गिले-शिकवे दूर हो जायेंगे. पहले आयोजन के बाद बहुत कुछ सीखने को मिला है. इस बार का अनुभव अगली बार काम आयेगा. श्री मिश्रा ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि अगली बार JIFFA के पास भरपूर संसाधन होंगे. इस बार झारखंड ने फिल्म फेस्ट का आयोजन कर इतिहास रचा है, अगली बार इससे बेहतर आयोजन करेंगे.