रांची : झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित राष्ट्रीय पूर्वोत्तर नाट्य समारोह में आज दूसरे दिन ‘लोकथेल’ का मंचन होगा. मणिपुरी समाज पर आधारित यह नाटक एक लड़की ‘सिंगरेई’ के जीवन पर है, सिंगरेई दुखों में डूबी एक आत्मा है.सिंगरेई का किरदार लेशराम सुचित्रा ने निभाया है. इस नाटक की निर्देशक लेशराम रंधोनी देवी हैं.
Advertisement
रांची : आर्यभट्ट सभागार में आज मणिपुरी नाटक ”लोकथेल” का मंचन
रांची : झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित राष्ट्रीय पूर्वोत्तर नाट्य समारोह में आज दूसरे दिन ‘लोकथेल’ का मंचन होगा. मणिपुरी समाज पर आधारित यह नाटक एक लड़की ‘सिंगरेई’ के जीवन पर है, सिंगरेई दुखों में डूबी एक आत्मा है.सिंगरेई का किरदार लेशराम सुचित्रा ने निभाया है. इस नाटक की निर्देशक लेशराम रंधोनी देवी हैं. […]
किसी तंग वादी में एक उदास अलौकिक आत्मा रहती थी जो हर वक्त अपनी पिछली जिंदगी के लिए विलाप किया करती थी. हालांकि यह आत्मा मानवों के बीच पैदा हुई और पली – बढ़ी, वह जीवन में सच्चा आनंद नहीं ले पायी और अब वह अपना समय अन्य आत्माओं के साथ खेलने में बीता रही थी. ये आत्माएं स्वतंत्र और शांतिपूर्ण जीवन जी नहीं पायी, वे हमेशा अपने विषम और उदास जीवन के बारे में शिकायत करते रहती है. लेकिन खाली जगहों को फुसफुसाहट से भरने के सिवा उनके शिकायतों का उन्हें कभी कोई सिला नहीं मिला. ऐसी ही एक आत्मा यहां उस शख्स को अपनी जिंदगी की कहानी बता रही थी जो हवाओं की फुसफुसाहट की भाषा जानती है. उसका विलाप मौसमी बरसात, तूफान और बर्फबारी के बीच अब भी गूंज रहा है और अनसुना है
पूर्वोत्तर भारत में लोग अपनी संस्कृति को लेकर काफी सजग रहते हैं. यहां की जीवनशैली बेहद सीधा व सरल है. नाटक के माध्यम से इसे आसानी से समझा जा सकता है. प्रकृति के करीब रहने वाला यह समुदाय कैसे बदलते वक्त में भी अपनी समृद्ध परंपराओं को आने वाली पीढ़ी को सौंप रहा है. विशिष्ट भौगोलिक बनावट व घने जंगलों के बीच यहां की जीवनशैली में कई कहानियां है. अगर मणिपुर के समाज को समझना है तो यह नाटक बढ़िया जरिया हो सकता है.
नाटक का निर्देशन लेशराम रंधोनी देवी ने किया है. लेशराम रंधोनी देवी इम्फाल में जन्मी और बढ़ी. कई महान नाटककार राजेन्द्र सिंह, एच कन्हाईलाल, हबीब तनवीर और लोकेंद्रो नीलध्वज के साथ काम कर चुकी हैं. लेशराम रंधोनी देवी को मणिपुर की पहली महिला रंग निर्देशिका होने का गौरव इन्हें प्राप्त है. उन्होंने चिंगनुंगी शीरोल, तस चांग थोक – ए, केगे लाम्जा, कुमारी रामवगी मंग, नवा खोरी चिनेई, इंगेगी नोंगेहो जैसे नाटक का निर्देशन किया है.
इम्फाल, मणिपुर के रहने वाले नाटककार अखम नीलध्वज खुमान ने नेशनल थियेटक स्टडीज ऑव एवॉगार्ड से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है. देश विदेश में कई राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित अखम नीलध्वज को 1987 और 1988 में पटना, बिहार में आयोजित पूर्वी क्षेत्र युवा रंग निर्देशक महोत्सव में पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया. नीलध्वज खुमान ने कई कहानियों का स्क्रिप्ट लिखा है. इनमें नक्केथा, लोई – चानू, शरमचत, मोंगफाम्गी, नंगबीशिंग, स्वर्ण शिंघासन प्रमुख है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement