17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड : संसाधनों की कमी नहीं, फिर भी भुखमरी से हो रही मौत : रिटायर्ड जस्टिस केजी बालाकृष्णन

ऑल इंडिया एससी, एसटी, ओबीसी फोरम के कार्यक्रम में बोले रिटायर्ड जस्टिस केजी बालाकृष्णन रांची : सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने कहा कि झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है. इसके बाद भी भुखमरी से मौत हो रही है. दूसरी तरफ, हम लोग खाद्यान्न निर्यात कर रहे हैं. फिर भी लोग […]

ऑल इंडिया एससी, एसटी, ओबीसी फोरम के कार्यक्रम में बोले रिटायर्ड जस्टिस केजी बालाकृष्णन
रांची : सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने कहा कि झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है. इसके बाद भी भुखमरी से मौत हो रही है. दूसरी तरफ, हम लोग खाद्यान्न निर्यात कर रहे हैं.
फिर भी लोग गरीबी रेखा से नीचे रहने को विवश हैं. इसके लिए हमलोग गवर्नेंस को दोष नहीं दे सकते हैं. वे रविवार को राजधानी के एसडीसी हॉल में आयोजित बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की 127वीं जयंती समारोह में बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन ऑल इंडिया एससी, एसटी ओबीसी फोरम की ओर से किया गया था.
हमें अपनी आवाज उठानी होगी : जस्टिस बालाकृष्णन ने कहा कि हमें समाज की विसंगतियों को समझना होगा. समाज में कुछ ही ऐसे वर्ग हैं, जो सुविधा संपन्न हैं. इसके बाद भी हम नीति निर्धारक नहीं हैं. हमें नीति बनाने का अधिकार नहीं है. राजनीतिक लोगों और नौकरशाहों के पास यह ताकत है. इसलिए हमें अपनी आवाज उठानी होगी.
एक छोटी सी बात समाज में बदलाव ला सकती है. उन्होंने उदाहरण के जरिये समझाया कि ट्यूनिशिया में एक सब्जी विक्रेता था. जिसे पुलिस पकड़ कर ले गयी थी. उसे मारा-पीटा भी. इस घटना ने लोगों को आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया. इससे अरब देशों में छोटी-छोटी घटनाओं पर आंदोलन होने लगा. उन्होंने कहा कि हमारी आवाज सुनी जायेगी. लेकिन उसे उठानी होगी. आप उन लोगों की आवाज बनें, जिनकी बातों को कोई नहीं सुनता है या सुनना चाहता है.
आरक्षण के मुद्दे पर चुप ही रहे
आरक्षण के मसले पर पूछे जाने पर बालाकृष्णन ने कहा कि मैं इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना चाहता हूं. मैं किसी राजनीतिक विषय पर कुछ नहीं कहूंगा. हमारे संविधान में कहा गया है कि प्राकृतिक संसाधनों पर सभी का बराबर का हक है. पानी, बिजली और अन्य प्राकृतिक संसाधन सभी जगह हैं, इस पर राज्यों को प्रावधान करना चाहिए.
अच्छा जीवनयापन, अच्छी शिक्षा, बाल मृत्यु दर को कम करने की आवश्यकता है. तभी मानव अधिकार की रक्षा हो सकेगी. इस लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए. बालाकृष्णन ने यह भी कहा कि भारत में चंद लोग बैंकों से कर्ज लेकर व्यवसाय कर रहे हैं.
वे इस बात को भूल गये हैं कि यह लोगों का पैसा है. इस पैसे से उन्हें निजी संपत्ति बनाने का अधिकार नहीं है. फोरम के महासचिव सहदेव राम ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कितने प्रतिशत लोग हैं. सरकार इसकी विवेचना करे. सभी को सातवें वेतनमान का लाभ मिलना चाहिए. कार्यक्रम में अजय चौधरी, आइपीएस शीतल उरांव, शिक्षाविद करमा उरांव, फोरम के अध्यक्ष ब्रजेंद्र हेंब्रम, झारखंड सचिवालय सेवा संघ के अध्यक्ष अरविंद बेसरा समेत अन्य मौजूद थे.
और नाराज हो गये जस्टिस
जस्टिस केजी बालाकृष्णन कार्यक्रम में उस समय नाराज हो गये जब उन्हें पता चला कि जिला प्रशासन का कोई नुमाईंदा नहीं आया है. जबकि राज्य सरकार ने उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा दिया था. लिहाजा वे कार्यक्रम स्थल से दो घंटे के लिए चले गये. दोपहर बाद तीन बजे दुबारा आये और बतौर मुख्य अतिथि भाषण दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें