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एससी-एसटी केस में 42% मामले सही, 41% में साक्ष्य नहीं

42.24% केस (2515) सही पाते हुए चार्जशीट 41.59% केस (2476) में पुलिस को शिकायत के अनुरूप साक्ष्य नहीं मिला 16.49% केस (982) अभी लंबित हैं रांची : झारखंड के जिलों के विभिन्न थानों में एससी-एसटी एक्ट के तहत वर्ष 2010 से लेकर 2्र17 तक कुल 5953 मामले दर्ज किये गये. इसमें से 42.24 फीसदी केस […]

42.24% केस (2515) सही पाते हुए चार्जशीट

41.59% केस (2476) में पुलिस को शिकायत के अनुरूप साक्ष्य नहीं मिला
16.49% केस (982) अभी लंबित हैं
रांची : झारखंड के जिलों के विभिन्न थानों में एससी-एसटी एक्ट के तहत वर्ष 2010 से लेकर 2्र17 तक कुल 5953 मामले दर्ज किये गये. इसमें से 42.24 फीसदी केस (2515) सही पाते हुए चार्जशीट किया गया. जबकि 41.59 फीसदी केस (2476) में पुलिस को शिकायत के अनुरूप साक्ष्य नहीं मिला. वहीं 16.49 फीसदी केस (982) अभी लंबित है. इसका अनुसंधान चल रहा है. उक्त आठ वर्षों में आंकड़ों से पता चलता है कि हत्या के पांच, गंभीर मारपीट के 62, रेप के 164, आगजनी के 171 मामले सामने आये.
प्रदेश में दर्ज एससी-एसटी केस की स्थिति
वर्ष एससी चार्जशीट साक्ष्य नहीं लंबित
एसटी केस
2010 386 192 162 32
2011 444 197 207 40
2012 575 287 253 35
2013 946 414 444 88
2014 932 436 398 98
2015 941 280 380 281
2016 846 303 290 253
2017 903 406 342 155
कुल 5953 2515 2476 982
नाली में गोबर बहाने के विवाद में कराया एससी-एसटी एक्ट में केस
रांची के एससी-एसटी थाना में केस नंबर 18/17, 19 नवंबर 2017 को दर्ज किया गया था. एससी-एसटी एक्ट, मारपीट व गाली-गलौज के आरोप में सेंदुआर टोली निवासी महिला मंजू देवी ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें आरोपी अशोक यादव, सुशीला देवी व रंजीत यादव को बनाया गया. केस की जांच के बाद सिटी एसपी अमन कुमार ने 13 दिसंबर, 2017 को रिपोर्ट जारी की. उन्होंने लिखा कि दोनों पक्ष का विवाद नाली में गोबर का पानी बहाने को लेकर हुआ था. आरोपियों ने सिर्फ गाली-गलौज की थी. शिकायतकर्ता को जातिसूचक शब्दों से संबोधित नहीं किया गया था.
बरियातू थाना में केस दर्ज होने पर कराया एससी-एसटी थाना में झूठा केस
एससी-एसटी थाना में पांच फरवरी 2015 को रिम्स के जूनियर डॉक्टर रवि रोशन बाड़ा की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था. केस में उन्होंने रिम्स के विभिन्न बैच के 49 जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौज व जातिसूचक शब्दों से संबंधित करते हुए एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोप लगाया था. इस केस में सिटी एसपी ने 31 अक्तूबर 2017 को रिपोर्ट जारी की. उन्होंने लिखा कि चार फरवरी को शिकायतकर्ता व उसके साथियों के खिलाफ बरियातू थाना में केस दर्ज हुआ था. रवि ने जिन पर आरोप लगाये हैं, उनमें से कई लोग घटना के दिन वहां नहीं थे. मारपीट व एससी-एसटी एक्ट के तहत लगाये गये आरोप की पुष्टि नहीं होती है. इसलिए केस को असत्य करार दिया जाता है.
रांची के एसटी-एससी थाने मेें 15 माह में 32 केस
एसटी-एससी थाना में रांची जिला के केस दर्ज किये जाते हैं. वर्ष 2017 में एसटी-एससी थाना में कुल 20 मामले दर्ज हुए, जिनमें आठ मामले अनुसंधान में फाॅल्स पाये गये. जबकि 2018 में एसटी-एससी थाना मेें मार्च तक 12 केस दर्ज किये गये़ उनमें से चार मामले फॉल्स पाये गये. इस प्रकार सवा साल में कुल 32 मामले दर्ज किये गये, जिसमें से दर्ज 12 मामले फॉल्स निकले़
अन्य मामलों पर अभी अनुसंधान चल रहा है. वर्ष 2017 के जनवरी में दो, फरवरी मेें दो, मार्च में दो, अप्रैल में दो, मई में चार, जून में एक, जुलाई व अगस्त में एक भी नहीं, सितंबर में दो, अक्तूबर में दो, नवंबर में दो व दिसंबर में एक मामले दर्ज हुुए, जबकि 2018 के जनवरी में सात, फरवरी में चार व मार्च में कुल 12 मामले दर्ज किये गये़
इस संबंध में एसटी-एससी थाना के थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर शाहदेव टोप्पो ने कहा कि इनमें अधिकतर मामले जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज करने का है. जबकि कुछ मामले जमीन विवाद के दौरान गाली-गलौज का है़ 2017 मार्च के दो मामले कोर्ट कंप्लेन केस हैं, वह भी झूठा केस जान पड़ता है. इसमें एक केस एेसा है जिसमें वादिनी को इसकी जानकारी नहीं है. एक वकील ने उस केस में उसे वादिनी बना दिया था. जब उससे पूछा गया, तो उसने एसटी-एससी थाना की पुलिस को बताया कि उसने कोई केस ही नहीं कराया.

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