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आदेश के बाद भी अवैध होर्डिंग्स हट नहीं रहे, कहां जा रहा है पैसा
रांची : मेयर आशा लकड़ा ने मंगलवार को शहर में लगे अवैध होर्डिंग्स, प्रधानमंत्री आवास योजना व स्वच्छ भारत मिशन को लेकर निगम अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में मेयर ने निगम के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि बार-बार आदेश देने के बाद भी शहर से अवैध होर्डिंग्स हट नहीं रहे हैं. […]
रांची : मेयर आशा लकड़ा ने मंगलवार को शहर में लगे अवैध होर्डिंग्स, प्रधानमंत्री आवास योजना व स्वच्छ भारत मिशन को लेकर निगम अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में मेयर ने निगम के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि बार-बार आदेश देने के बाद भी शहर से अवैध होर्डिंग्स हट नहीं रहे हैं. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर अवैध होर्डिंग्स के पैसे किसकी जेब में जा रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि निगम अधिकारियों के प्रश्रय में ही अवैध होर्डिंग्स का सारा खेल फल-फूल रहा है.
मेयर ने बाजार शाखा प्रभारी को निर्देश दिया कि 48 घंटे के अंदर शहर के अवैध ओवर हेड साइन एज को हटाया जाये. साथ ही एक्सटेंशन खत्म होने के बाद भी 766 पोल कियोस्क पर लगे विज्ञापन पट्ट काे लेकर संबंधित एजेंसी पर पेनाल्टी लगायी जाये. बैठक में उप नगर आयुक्त संजय कुमार, सहायक कार्यपालक पदाधिकारी रामकृष्ण कुमार, सहायक नगर आयुक्त ज्योति कुमार सहित निगम के सभी सिटी मैनेजर उपस्थित थे.
आवास योजना में चल रहा है खेल, अधिकारी क्यों हैं खामोश : मेयर ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयनित लाभुकों से खुलेआम वसूली हो रही है.
लोग अवैध वसूली की शिकायत निगम में भी कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. जिस एजेंसी को जियो टैगिंग करने का काम दिया गया है, उसके कर्मचारी केवल उन्हीं घरों का फोटो खींच रहे हैं, जहां से उन्हें पैसा मिलने की संभावना दिखती है. इस कार्य में निगम के पीएमसी (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट) की पूरी सहभागिता दिखती है. अगर यह साबित हो जाता है कि जियो टैगिंग के लिए पैसे की मांग की जा रही है तो निगम के पीएमसी पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए.
सुबह दो घंटे के लिए खोले जायें सभी पार्क : मेयर ने शहर के सभी पार्कों को सुबह में दो घंटे के लिए खोलने का आदेश दिया. कहा कि ऐसा करने से सुबह की सैर करने वाले लोगों को काफी फायदा होगा.
रांची. खादगढ़ा बस स्टैंड के प्रशासनिक भवन में बने 22 दुकानों के लिए रांची नगर निगम सभागार में 16 व 17 फरवरी को खुली बाेली लगायी गयी थी. इसमें से नौ दुकानों के लिए 10 हजार रुपये प्रति वर्गफीट प्रतिमाह की दर से बोली लगायी गयी थी. बोली लगाने के बाद निगम ने सभी दुकानदारों को कहा कि वे एक सप्ताह के अंदर आकर निगम से दुकान आवंटन के संबंध में एग्रीमेंट कर लें. लेकिन आज दो सप्ताह होने को है. किसी दुकानदार ने एग्रीमेंट कराने के लिए निगम में आवेदन नहीं दिया.
पहले नहीं पता था, अब कर रहे हैं आग्रह
जिन नौ दुकानदारों ने 100 वर्गफीट की दुकान के लिए 10 हजार रुपये प्रति वर्गफीट की बोली लगायी थी. उनमें से अधिकतर दुकानदारों ने निगम के बाजार शाखा के पदाधिकारियों से आग्रह किया कि उन्होंने गलतफहमी में इतनी बोली लगा दी है.
कहा कि उन्हें शुरू में यह पता था कि दुकान लेने के एवज में सालाना 10 हजार रुपये किराया के रूप में निगम को देने होंगे. लेकिन जब अखबारों में खबर छपी तब पता चला कि जिस दुकान का किराया हम सालाना 10 हजार समझते थे, उन दुकानों के प्रति माह का किराया सर्विस टैक्स मिला कर 12 लाख रुपये के अास-पास आ रहा है. ऐसे में हम गरीब लोग भला प्रतिमाह किराया के रूप में 12 लाख की राशि कहां से देंगे.
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