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रिम्स का हर ऑपरेशन थिएटर मॉड्यूलर होगा

जर्मनी की कंपनी को मिला है जिम्मा, लगाये जायेंगे नये उपकरण रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के न्यूरो सर्जरी और इएनटी के ऑपरेशन थिएटर (ओटी) को मॉड्यूलर बनाने का काम पूरा हो चुका है. अब अन्य विभागों के एचओडी के अनुरोध पर अस्पताल प्रबंधन उनके ऑपरेशन थिएटर को भी माॅड्यूलर बनाने की […]

जर्मनी की कंपनी को मिला है जिम्मा, लगाये जायेंगे नये उपकरण
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के न्यूरो सर्जरी और इएनटी के ऑपरेशन थिएटर (ओटी) को मॉड्यूलर बनाने का काम पूरा हो चुका है. अब अन्य विभागों के एचओडी के अनुरोध पर अस्पताल प्रबंधन उनके ऑपरेशन थिएटर को भी माॅड्यूलर बनाने की तैयारी कर रहा है. इसका जिम्मा जर्मनी की उसी कंपनी को दिया जायेगा, जिसने न्यूरो सर्जरी और इएनटी का ओटी तैयार किया है.
गौरतलब है कि रिम्स के कई विभागों के ऑपरेशन थिएटर 58 साल पुराने हैं. हालांकि, समय-समय पर इन ऑपरेशन थिएटर को अपडेट किया जाता रहा है, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में हुए बदलावों को देखते हुए इन्हें नये सिरे से अत्याधुनिक रूप देना जरूरी है. रिम्स के सूत्र बताते हैं कि सबसे पहले हड्डी रोग विभाग के ऑपरेशन थिएटर को माॅड्यूलर बनाया जायेगा. इसके बाद शिशु रोग विभाग, सामान्य सर्जरी और स्त्री रोग विभाग के ऑपरेशन थिएटर को माॅड्यूलर बनाया जायेगा.
24 से शुरू होगा कार्डियेक सर्जरी के माॅड्यूलर ओटी का काम
रिम्स के सुपरस्पेशिएलिटी विंग के कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के माॅड्यूलर ओटी का काम 24 फरवरी से शुरू हो जायेगा. ओटी को तैयार करने के लिए जर्मनी से कर्मचारियों का दल रिम्स पहुंच चुका है. विभागाध्यक्ष डॉ अंशुल कुमार ने बताया कि माॅड्यूलर ओटी का उपकरण कोलकाता बंदरगाह पर आ गये हैं. चार-पांच दिन में काम शुरू हो जायेगा. वहीं, ओटी के उपकरणों के लिए निविदा भी अंतिम चरण में है.
डेंटल कॉलेज में ओटी पर शासी परिषद में नहीं बनी सहमति
रिम्स के डेंटल कॉलेज में ऑपरेशन थिएटर पर आठ फरवरी को हुए शासी परिषद की बैठक में निर्णय नहीं हो पाया. डेंटल कॉलेज के फैकल्टी को यह उम्मीद थी कि शासी परिषद की बैठक में डेंटल कॉलेज का मुद्दा भी उठेगा. गौरतलब है कि कॉलेज में ओटी नहीं होने के कारण दंत सर्जन को सामान्य सर्जरी व इएनटी ओटी पर निर्भर रहना पड़ता है. कई मरीजों को कामचलाऊ सर्जरी कर भेज दिया जाता है.
समय पर नहीं मिली, अब धूल फांक रही हैं सैकड़ों मरीजों की जांच रिपोर्ट
रिम्स में मरीजों को समय पर जांच रिपोर्ट नहीं मिलती है. कई बार रिपोर्ट के लिए चक्कर लगाने के बाद मरीज मेडाॅल या किसी अन्य निजी लैब से जांच करा लेते हैं. क्याेंकि जांच रिपोर्ट के इंतजार में डॉक्टर दवाओं को परामर्श नहीं देते हैं. कई बार मरीज रिपोर्ट लेने आता है, तो रिपोर्ट की परची पर लिखा रहता है कि मरीज को सैंपल दोबारा देना पड़ेगा. सेंट्रल लैब में सैकड़ों जांच रिपोर्ट धूल फांक रही है. रिपोर्ट लेने वाला कोई नहीं है.
रांची : पंजीयन काउंटर के सामने स्थित सेंट्रल लैब के प्रवेश द्वार पर किनारे टेबल रखा हुआ है. टेबल में कई दराज बने हुए है, जिसमें सैकड़ों मरीजों की जांच रिपोर्ट पड़ी हुई है. कई मरीजों की जांच रिपोर्ट तो 10 माह पुरानी हो गयी है, लेकिन उसे कोई लेने वाला नहीं है. एक मरीज बिगनी देवी, जिनका पंजीयन संख्या 630962 है. मरीज ने 13 जून में थायराइड, सुगर, लिपिड प्रोफाइल, सिरम क्रीटिनिन की जांच के लिए सैंपल दिया था. लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट टेबल में पड़ी हुई है. वहीं एक मरीज जिसका पंजीयन संख्या 22850 है, जिन्होंने 15 दिसंबर को सुगर, लीवर, क्रिटनीन की जांच करायी थी. उनकी जांच रिपोर्ट भी दराज में पड़ी है. सूत्रों ने बताया कि दराज में ऐसे मरीजों की जांच रिपोर्ट पड़ी हुई हो, जो दूर-दराज से आते हैं. वह ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के बाद जांच कराते हैं, लेकिन समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने पर अन्य लैब से जांच कराने के बाद डॉक्टर से दवा लिखवा कर चले जाते है. वहीं कर्मचारियों के अनुसार मरीज ही समय पर रिपोर्ट नहीं लेने आते हैं, जिसके कारण यहां सैकड़ों की रिपोर्ट पड़ी हुई है.
रिपोर्ट तो जमा है, लेकिन इसमें कई ऐसे मरीज है जो जांच की रिपोर्ट लिये बिना ही चले जाते है. कुछ एेसे मरीज भी होंगे जिनको समय पर रिपोर्ट नहीं मिला होगा. सोमवार को पता किया जायेगा कि क्या मामला है.
डॉ एसके चौधरी, अधीक्षक
रिम्स में सिर्फ ब्लड सैंपल की जांच रिपोर्ट ही 10 माह से नहीं पड़ी हुई है, बल्कि अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट भी सात से ज्यादा समय से पड़ी हुई है. अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट की फाइल देखने से पता चलता है कि नंदी देवी ने 27 सितंबर को रिम्स में अल्ट्रासाउंड की जांच करायी थी, लेकिन अभी भी उनकी रिपोर्ट फाइल में पड़ी हुई है. कर्मचारियों की मानें, तो मरीज जांच रिपोर्ट समय पर नहीं ले जाते हैं. जबकि, मरीजों का कहना है कि जांच के लिए मशक्कत के बाद रिपोर्ट लेने के लिए उससे भी ज्यादा दिक्कत होती है. समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण मरीज अन्य जांच घर में जांच करा लेते हैं. इसके बाद वे डॉक्टर को जांच रिपोर्ट दिखा कर दवा लिखवा कर चले जाते हैं. हालांिक रिम्स के कर्मचारियों का कहना है कि मरीज ही रिपोर्ट नहीं लेने आते हैं.

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