नियामक आयोग ने की सुनवाई, कहा
रांची : झारखंड में उपभोक्ताओं को अब कॉमर्शियल रेट पर बिजली मिलेगी. इस बार बिजली की दर पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक होगी. राज्य सरकार ने झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम को रिसोर्स गैप के रूप में दिये जानेवाले फंड को बंद कर दिया है. इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
सोमवार को होटल अशोका में आयोजित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद ने कहा, रिसोर्स गैप के रूप में मिलनेवाले फंड के कारण ही निगम सस्ती दर पर बिजली देता था. पर अब उपभोक्ताओं को कॉमर्शियल रेट पर बिजली दी जायेगी. उपभोक्ताओं को क्वालिटी बिजली मिले, यह भी सुनिश्चित करना होगा. इसके लिए स्टैंडर्ड परफॉरमेंस रेगुलेशन बना हुआ है.
अतिरिक्त रिसोर्स चाहिए : डॉ अरविंद प्रसाद ने कहा, बिजली की गुणवत्ता व मेंटेनेंस के लिए अतिरिक्त रिसोर्स चाहिए. सरकार के रिसोर्स पर बिजली दर निर्भर नहीं होगी. टैरिफ आवेदन पर 13 फरवरी तक सुझाव मांगे गये हैं. इसके बाद आयोग टैरिफ पर बैठक और जनसुनवाई करेगा.
उन्होंने कहा : जिस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति करनेवाले दो लाइसेंसी हैं, वहां के उपभोक्ता अपनी पसंद के लाइसेंसी से बिजली ले सकते हैं. मुंबई में यही व्यवस्था है. बैठक में वितरण निगम के एक्शन टेकन रिपोर्ट, प्रतिभूति जमा पर ब्याज, रूफ टॉप सोलर प्लांट और कंंज्यूमर ग्रीवांस के एजेंडे पर भी चर्चा हुई. बैठक में झारखंड बिजली वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार ने कार्यों और योजनाओं के बारे में बताया.
उपभोक्ता प्रजा नहीं, कस्टमर हैं : झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के सदस्य तकनीक आरएन सिंह ने कहा कि उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता युक्त बिजली मिलनी चाहिए.
सब स्टेशन, ट्रांसफॉरमर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉरमर की आर्थिंग सही होनी चाहिए. 11 और 33 केवी की लाइन की लंबाई छोटी होगी, तो निर्बाध बिजली मिलेगी. ब्रेकर दुरुस्त होने चाहिए. हर गांव में बिजली पहुंचाना बड़ा काम है. मैनपावर की कमी बता कर बचा नहीं जा सकता है. प्रति यूनिट मेनटेनेंस तय करना होगा. काम प्लानिंग से होना चाहिए. टैरिफ तय होना एक रूटीन प्रक्रिया है. अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है.
हुकिंग पर निगाह रखें
सलाहकार समिति के सदस्यों ने कहा कि शत-प्रतिशत फीडरों की मीटिरिंग के बाद एकाउंटिबिलिटी फिक्स होनी चाहिए. पता चलेगा कि किस अधिकारी के फीडर में सबसे अधिक लॉस हो रहा है.
पेनाल्टी भी तय होनी चाहिए. इंडस्ट्रियल फीडर से जुड़े अन्य लोगों को अलग किया जाना चाहिए. स्ट्रीट लाइट की मीटरिंग होनी चाहिए. हुकिंग से बिजली चोरी करनेवालों पर नजर रखी जानी चाहिए. डीवीसी कमांड एरिया में 20-20 घंटे बिजली नहीं रहती है. पदाधिकारी मैनपावर की कमी होने का बहाना बनाते हैं. डीवीसी चार्ज ले लेता है और परेशानी उपभोक्ताओं को होती है. पतरातू, जसीडीह, इरबा और बरही फीडर पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है.
2016-17 के लिए 67.83% वृद्धि का दिया था प्रस्ताव
बिजली कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 67.83 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इसके विरुद्ध आयोग ने 12.24 फीसदी ही वृद्धि की थी. वितरण निगम ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 8836.66 रुपये राजस्व का प्रस्ताव दिया था. इसके एवज में आयोग ने 5244 करोड़ रुपये राजस्व की ही स्वीकृति दी. पिछले साल ओवर आॅल 21.12 फीसदी की वृद्धि की गयी थी.
वर्तमान में क्या है विभिन्न श्रेणी की दर
श्रेणी दर(रुपये प्रति यूनिट)
डीएसवन कुटीर ज्योति मीटर 1.25
डीएसवन मीटर(50-100 यूनिट) 1.25
डीएस वन मीटर(0-100 यूनिट) 1.60
डीएसवन मीटर(201 यूनिट से अधिक) 1.70
डीएस टू(0-100 यूनिट) 3.00
डीएस टू(101 से 200 यूनिट) 3.00
एनडीएस थ्री(0-250 यूनिट) 6.80
एनडीएस थ्री(251-500 यूनिट) 6.80
एनडीएस थ्री(500 यूनिट से अधिक) 6.80
लो टेंशन 5:50
आइएएस(सिंचाई) 0.70
आइएएस टू(सिंचाई) 1.20
हाई टेंशन श्रेणी
11 केवी 6.25
33 केवी 6.25
132 केवी 6.25
हाई टेंशन स्पेशल
11 केवी 4.00
33 केवी 4.00
132 केवी 4.00
स्ट्रीट लाइट वन 5.25
रेलवे 6.00
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सात रुपये प्रति यूनिट का प्रस्ताव
ऐसे है बिजली दर का प्रस्ताव
रुपये प्रति यूनिट में
घरेलू (ग्रामीण) 6.25
घरेलू (शहरी) 7.00
कॉमर्शियल (ग्रामीण) 6.50
कॉमर्शियल(शहरी) 6.50
एलटी डिमांड बेस्ड 5.50
एचटी 6.00
766.34 करोड़ रुपये का है रेवेन्यू गैप
झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने जो नयी बिजली दर के लिए आवेदन दिया है, उसके मुताबिक घरेलू बिजली दर सात रुपये प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 12053.7 मिलियन यूनिट और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 12676 मिलियन यूनिट की जरूरत बतायी गयी है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 6660 करोड़ और 2018-19 में 7359.4 करोड़ राजस्व की जरूरत बतायी गयी है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में रेवेन्यू गैप 766.34 करोड़ रुपये दिखाया गया है.