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झारखंड : हंगामे में बीते आठ दिन, जनता के छूटे सवाल, जानें…सदन के बाहर और अंदर किसने क्या कहा

बाधित. पक्ष-विपक्ष में तकरार के कारण एक दिन भी सदन की कार्यवाही ठीक से नहीं चली रांची : विधानसभा सत्र के आठ दिन गुजर गये. एक दिन भी सदन की कार्यवाही ठीक से नहीं चली़ पक्ष-विपक्ष में तकरार होता रहा़ सदन का पूरा समय हंगामे में बीत गया और जनता के सवाल छूट गये़ सोमवार […]

बाधित. पक्ष-विपक्ष में तकरार के कारण एक दिन भी सदन की कार्यवाही ठीक से नहीं चली
रांची : विधानसभा सत्र के आठ दिन गुजर गये. एक दिन भी सदन की कार्यवाही ठीक से नहीं चली़ पक्ष-विपक्ष में तकरार होता रहा़ सदन का पूरा समय हंगामे में बीत गया और जनता के सवाल छूट गये़ सोमवार को भी सदन में यही हुआ़ दोनों तरफ से हठधर्मिता चली़
पक्ष-विपक्ष दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं है़ पिछले आठ दिनों से सदन में एक ही मुद्दा छाया रहा़ विपक्ष तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है. वहीं सरकार कार्रवाई के लिए तैयार नहीं है़ स्पीकर ने सोमवार को तीन बार कार्यमंत्रणा की बैठक बुलायी़ कार्यमंत्रणा की बैठक में स्पीकर ने सदस्यों से साफ-साफ जानना चाहा कि सदन चलाना चाहते हैं या नहीं.
सबका का कहना था कि सदन चले, लेकिन गतिरोध कैसे दूर हो इसका रास्ता नहीं निकला़ विपक्ष इस मुद्दे पर बहस कराना चाहता था, लेकिन सत्ता पक्ष तैयार नहीं था़ विपक्ष के हेमंत सोरेन, प्रदीप यादव व आलमगीर आलम का कहना था कि सदन की कार्यवाही स्थगित न हो़ बहस और चर्चा हो़ सरकार जवाब दे़ सरकार की ओर से कहना था कि इस मुद्दे पर जो बोलना था, बोल दिया गया़ अब दबाव नहीं डाला जा सकता है़ यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है़ कार्य मंत्रणा के बाद भी सदन में गतिरोध बरकरार रहा़
मुख्यमंत्री के बयान पर विपक्ष का हमला
विपक्ष ने सदन में मुख्यमंत्री रघुवर दास के बयान पर (केला बेचने और स्कूटर दुकान में काम करने के लिए जनसंख्या न बढ़ायें) आपत्ति जतायी़ हेमंत सोरेन और प्रदीप यादव ने मुख्यमंत्री को घेरा़ वहीं सत्ता पक्ष के विधायकों ने मोर्चा संभाला़ हेमंत सोरेन का कहना था कि केला बेचने वाले और स्कूटर बनाने वालों को जनसंख्या बढ़ाने के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि बाहर के लोग यहां बस गये हैं. यहां के नौजवानों को नौकरियों नहीं मिल रही है़
स्पीकर दिनेश उरांव का कहना था कि किसी सभा में दिये गये भाषण पर यहां चर्चा नहीं होनी चाहिए़ आप भी बाहर कुछ बोलते है़ं श्री सोरेन का कहना था कि यह गंभीर मामला है़ विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री को इतनी हल्की बातें नहीं करनी चाहिए़ छोटे लोगों के प्रति मुख्यमंत्री का क्या नजरिया है, इसका पता चलता है़ वहीं सत्ता पक्ष के विरंची नारायण, अनंत ओझा व राज सिन्हा ने कहा कि विपक्ष बेवजह बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है़
स्पीकर ने रोका, तो बाहर चले गये अमित महतो
झामुमो विधायक अमित महतो सदन में स्पीकर के सामने खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे़ इस पर स्पीकर ने श्री महतो को अपनी जगह पर जाने को कहा़ इसके बाद विधायक श्री महतो सभा कक्ष से बाहर ही चले गये़ स्पीकर ने कहा जाइये़
इससे पहले श्री महतो कर्मचारी चयन आयोग में दारोगा के रिजल्ट को लेकर लाये गये कार्यस्थगन की कॉपी दूसरे सदस्यों को बांट रहे थे़ स्पीकर ने श्री महतो से कहा यह क्या कर रहे है़ं आप अपनी सीट पर जायें. इसके बाद मार्शल ने उनसे कागजात ले लिये.

विपक्ष तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है, सरकार इसके लिए तैयार नहीं

सदन के अंदर किसने क्या कहा
अफसर दुस्साहस कर रहे हैं, इनका मनोबल बढ़ेगा : प्रदीप यादव
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि पिछले कई दिनों से प्रतिपक्ष सवाल कर रहा है़ इसका जवाब सरकार को देना चाहिए़ अफसर राज्य में किस तरह के दुस्साहस कर रहे हैं, सामने आ रहा है़ सरकार कार्रवाई नहीं करेगी, तो पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा़ सरकार दागी अफसरों पर कार्रवाई नहीं करेगी, तो सरकार बेदाग नहीं हो सकती है़
हम सब चाहते हैं कि सदन चले. राज्य की जनता भी चाहती है कि सदन चले़ सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों पर आरोप लग रहा है़ यह हमारा कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है़
जेपीएएससी और एसएससी गलत कर रहा है़ अब तक 16 जेपीएससी की परीक्षा हो जानी चाहिए थी, लेकिन छठी परीक्षा हो रही है़
दारोगा बहाली में उम्र सीमा भी घटा दी गयी़ ऐसे सवालों पर सदन में चर्चा तो होनी ही चाहिए़ यह राज्य की सर्वोच्च पंचायत है़ सरकार को बताना चाहिए कि उसकी क्या मजबूरी है कि वह अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है़
उग्र व अराजक हो गये पदाधिकारी, जन भावना से मजाक कर रही सरकार: हेमंत
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन क्यों नहीं चल रहा है, इस पर विचार करना चाहिए़ सरकार गंभीर सवालों से क्यों भाग रही है़ गंभीर विषय सदन में क्यों नहीं लिये जाते है़
पदाधिकारियों पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है़ ऐसे में पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा़ सांसद-विधायक की बात अधिकारी नहीं सुनते है़ं आदिवासी, दलित, मूलवासी पर पुलिस हमले कर रही है़ सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध में कई नौजवानों पर मुकदमे हुए, सरकार एसे वापस नहीं कर रही है़ ऐसे में विपक्ष क्या करे़ जनभावना से सरकार मजाक कर रही है़ कार्यस्थगन अमान्य कर दिया जाता है़
जेपीएससी और एसएससी आरक्षण को लागू नहीं कर रहा है़ झारखंड के नौजवानों के साथ अन्याय हो रहा है़ राज्य की जनसंख्या बाहर के लोगों के आने से बढ़ी है़ सरकार को जवाब देना चाहिए़ सदन में श्री सोरेन ने कहा कि हमार कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है़ पदाधिकारी उग्र और अराजक हो गये है़ं सरकार कार्रवाई नहीं करेगी, तो माहौल और भी अराजक होगा़
व्यक्तिगत एजेंडा पर अधिकारी नहीं हटाये जा सकते : किशोर
सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि व्यक्तिगत एजेंडे पर अधिकारी नहीं हटाये जा सकते़ अधिकारियों पर कोई वित्तीय अनियमितता या आपराधिक मामला नहीं है़ सरकार ने पहले ही कह दिया है कि कोई मामला संज्ञान में आयेगा, तो कार्रवाई होगी़
किसी के दबाव में कोई अधिकारी नहीं हट सकते है़ं श्री किशोर ने कहा कि विपक्ष सदन को चलने नहीं देना चाहता है़ विपक्ष को कोई मुद्दा उठाना है, तो प्रक्रिया के तहत आये़ सरकार संचालन नियमावली से चल रही है़ कोई आरोप है, तो प्रक्रिया के तहत उसे सामने लाये़ं मुख्य सचेतक ने कहा कि सदस्यों के कई महत्वपूर्ण सवाल थे़ मुख्यमंत्री प्रश्नकाल बाधित किया गया़ विपक्ष चाहता तो मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के माध्यम से भी सरकार से जवाब मांग सकता था़
हो-हल्ला के बीच सदन में आये दो अल्पसूचित प्रश्न, नहीं निकला हल
रांची : पहली पाली में सदन अव्यवस्थित था़ हो-हल्ला हो रहा था़ विपक्ष वेल में घुस कर नारेबाजी कर रहा था़ इधर, स्पीकर दिनेश उरांव प्रश्नकाल चलाना चाहते थे़ उन्होंने अल्पसूचित प्रश्नों के लिए विधायकों का नाम पुकारना शुरू किया़ सबसे पहले स्टीफन मरांडी, फिर आलमगीर आलम का प्रश्न आया़ दोनों सदन में नहीं थे़
इसके बाद स्पीकर ने विरंची नारायण का नाम पुकारा़ हो-हल्ला के बीच विरंची ने सवाल उठाया कि पिछले दिनों बोकारो में एसबीआइ बैंक में लाखों की चोरी हुई थी. चोर 76 लॉकर तोड़ कर सामान ले गये़ चोरी की घटना के एक महीने गुजर गये, पर कार्रवाई नहीं हुई़
इस पर प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने अपने जवाब में कहा कि सरकार कार्रवाई कर रही है़ ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की गयी है़ 68 लॉकर के लोग उपभोक्ता फोरम में गये है़ं सरकार इन्हें विधि-सम्मत मदद करेगी़ इसके बाद स्पीकर ने सत्ता पक्ष के राज सिन्हा को प्रश्न पूछने को कहा, लेकिन हो-हल्ला में इनका प्रश्न पूरा नहीं हो पाया. विपक्ष के हंगामे के बाद बाकी प्रश्न सदन के पटल पर नहीं आ सके.
सदन के बाहर किसने क्या कहा
सरकार जवाब देती, तो सदन चलता : हेमंत
हेमंत सोरेन ने कहा कि हम सदन चलाना चाहते हैं. हम तो सरकार से बस अपने सवालों का जवाब मांग रहे थे.सरकार जवाब देने के लिए तैयार नहीं थी. कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सबकी अलग-अलग राय थी. सरकार विपक्ष के जन मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं थी. ऐसी स्थित में हम सदन से लेकर सड़क तक इन मुद्दों पर बात करेंगे. जब-जब सरकार ने हठधर्मिता की है, बाहर हमें न्याय मिला है. चाहे वह भूमि अधिग्रहण का मामला हो या सीएनटी-एसपीटी का. उम्मीद है कि इस मामले में भी हमें सदन के बाहर न्याय मिलेगा. सरकार कैबिनेट में मनमानी कर सकती है, लेकिन सदन में मनमानी नहीं करने देंगे. उन्होंने कहा कि सदन भी सरकार की गिरफ्त में है. विपक्ष की नहीं सुनी जा रही है.
सदन में भी रख सकते थे अपनी बात : किशोर
सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में कई सदस्यों ने कहा कि सदन चलना चाहिए. अरूप चटर्जी विपक्ष की मांगों पर विशेष चर्चा कराने की मांग कर रहे थे. बैठक में बताया गया कि बहुत विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा होगी.
विपक्ष इस दौरान अपनी बात रख कर सरकार से जवाब मांग सकता है, लेकिन विपक्ष इसके लिए भी तैयार नहीं था. विपक्ष सदन को सुचारु रूप से चलाने के लिए आश्वस्त नहीं कर रहा था. इस कारण तय किया गया कि मंगलवार को वित्तीय कार्यों का निबटारा करा कर सदन स्थगित कर दिया जाये. इस पर सदन ने भी अपनी सहमति दे दी. विपक्ष को समझना चाहिए कि किसी अधिकारी के रहने या नहीं रहने से समस्या समाप्त नहीं होती है.
अधिकारी इठलाते हुए जाते हैं, तो दुख होता है : भानु
विधायक भानु प्रताप शाही ने सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि असमय सत्रावसान से छोटी पार्टियां आहत हैं. काफी परेशानी के बीच जनता ने हम लोगों को सदन में भेजा है. जनता उम्मीद करती है कि हम उनकी समस्याओं का समाधान लेकर जायेंगे़ ऐसे में क्या बतायेंगे. पिछले पांच सत्र से ऐसा ही हो रहा है. सवाल नहीं होने पर अधिकारी दीर्घा में बैठ कर मुस्कुराते हैं.
जब बाहर निकलते हैं, तो इठलाते हुए जाते हैं. इससे हम लोगों की भावना आहत होती है. हम पुलिसकर्मियों के 13 माह के वेतन का मुद्दा लानेवाले थे. अंत में इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले. उन्होंने वहीं से कार्मिक सचिव और वित्त सचिव को जनवरी माह से यह सुविधा देने का निर्देश दिया. सदन में यह बात होती, तो कुछ और होता है.

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