15.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कार्डियोलॉजी विंग पर निर्भरता खत्म वार्ड में ही होगी बच्चों के हृदय की जांच

रिम्स. शिशु रोग विभाग में लगी अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन रांची : रिम्स के शिशु रोग विभाग में भर्ती बच्चों के हृदय की जांच अब वार्ड में की जा सकेगी. रिम्स प्रबंधन ने वार्ड में ही अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन लगा दी है. यानी अब बच्चों के हृदय की जांच के लिए शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों […]

रिम्स. शिशु रोग विभाग में लगी अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन
रांची : रिम्स के शिशु रोग विभाग में भर्ती बच्चों के हृदय की जांच अब वार्ड में की जा सकेगी. रिम्स प्रबंधन ने वार्ड में ही अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन लगा दी है. यानी अब बच्चों के हृदय की जांच के लिए शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों की कार्डियोलॉजी विभाग पर निर्भरता खत्म हो जायेगी. हालांकि, विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी बच्चे के हृदय में किसी प्रकार की समस्या का अंदेशा होगा, तो उसे कार्डियोलॉजी विंग में ही भेजा जायेगा.
शिशु रोग विभाग में लगायी गयी अत्याधुनिक मशीन की कीमत 60 लाख रुपये बतायी जा रही है. मंगलवार को ही यह मशीन शिशु रोग विभाग में इंस्टॉल कर दी गयी है. इसमें हर प्रकार के अलट्रासाउंड की सुविधा मौजूद है. मशीन में बच्चों के हृदय की स्थिति का जायजा लेने के लिए विकल्प दिये गये हैं. इससे बच्चों का बीमारी का पता लगाकर डॉक्टर उसी हिसाब से परामर्श दे पायेंगे.
यूरोलॉजी में लगी अल्ट्रासाउंड मशीन
शिशु विभाग के अलावा यूरोलॉजी विभाग में भी अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन लगायी गयी है. मशीन लग जाने से यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर विभाग में ही पेशाब की नली सहित किडनी की स्थिति जायजा ले सकेंगे. मशीन नहीं लगने से डॉक्टरों को जांच के लिए रेडियोलॉजी विभाग में जांच कराने के लिए भेजना पड़ता था. इसमें मरीज की जांच में दो दिन लग जाते थे.
रांची. रिम्स के मेडिसिन विभाग में मरीजों की इकोकार्डियोग्राफी व इंडोस्कोपी की जांच के लिए मशीन लगायी जायेगी. इसके लिए विभाग ने प्रबंधन को मांगपत्र भेज दिया है. मशीन के आ जाने के बाद विभाग के डॉक्टर अपने यूनिट में ही मरीज की जांच कर बीमारी के हिसाब दवा का परामर्श कर देंगे. विभागाध्यक्ष डॉ जेके मित्रा ने बताया कि मेडिसिन विभाग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जहां इको, अल्ट्रासाउंड व इंडोस्कोपी जांच मशीन होना ही चाहिए. हमारे कई डॉक्टर इको, अल्ट्रासाउंड व इंडोस्कोपी जांच का प्रशिक्षण प्राप्त किये हुए हैं.
अगर जांच में कुछ संदेह होता है, तब रेडियोलॉजी विभाग की मदद ली जायेगी. लेकिन, प्रारंभिक जांच तो मेडिसिन विभाग में हाे जायेगी. निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने बताया कि मांगपत्र आने के बाद तुरंत मशीन की मंगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी.
एजेंसी ने प्रबंधन से मांगा 22 तक का समय
रांची. रिम्स के नेत्र विभाग में दो साल से खराब मशीन को दुरुस्त कराने के लिए सप्लायर इंदिरा सर्जिकल ने 22 जनवरी तक का समय मांगा है. सप्लायर ने प्रबंधन को आश्वासन दिया है कि हर हाल में निर्धारित समय में मशीन को दुरुस्त करा लिया जायेगा. हालांकि, कंपनी ने 10 जनवरी तक का समय मांगा था, लेकिन मशीन के खराब सामान के नहीं आने पर सप्लायर ने समय सीमा बढ़वा ली है. हालांकि, प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर निर्धारित समय में मशीन को दुरुस्त नहीं किया गया, तो जुर्माना वसूला जायेगा.
गौरतलब है कि प्रभात खबर ने चार जनवरी के अंक में नेत्र में फेको मशीन के एक साल से खराब होने की खबर प्रकाशित की थी. इसमें बताया गया कि मशीन के खराब होने से मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन स्मॉल इंसीजन कैटरेक्ट सर्जरी (एसआइसीएस) विधि से किया जा रहा है, जो पुरानी विधि है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें