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झारखंड : डीजीपी ने उग्रवाद के खात्मे की डेडलाइन एक साल बढ़ायी

बदलाव. 2017 से बढ़ा कर 2018 कर दी गयी टाइमलाइन रांची : झारखंड पुलिस मुख्यालय की वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के मुताबिक झारखंड से उग्रवाद के खात्मे की डेडलाइन एक साल बढ़ा दी गयी है. वेबसाइट के मुताबिक डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि वर्ष 2018 के अंत तक राज्य को पूरी तरह से […]

बदलाव. 2017 से बढ़ा कर 2018 कर दी गयी टाइमलाइन
रांची : झारखंड पुलिस मुख्यालय की वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के मुताबिक झारखंड से उग्रवाद के खात्मे की डेडलाइन एक साल बढ़ा दी गयी है. वेबसाइट के मुताबिक डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि वर्ष 2018 के अंत तक राज्य को पूरी तरह से नक्सली और उग्रवाद मुक्त कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा है कि कुछ सीमावर्ती इलाकों को छोड़ कर राज्य से पूरी तरह नक्सलवाद का सफाया कर दिया गया है. पिछले तीन वर्षों में राज्य पुलिस पूरे प्रदेश में सुरक्षा का वातावरण देने में सफल रही है और राज्य में माओवादियों के सभी 13 प्रभाव क्षेत्रों को चिह्नित कर वर्ष 2017 के अंत तक वहां से पूरी तरह सफाया कर दिया गया है.
डीजीपी ने कहा है कि झारखंड में सारंडा, सरयू, पारसनाथ, चतरा, बानाताल, गिरिडीह-कोडरमा सीमावर्ती क्षेत्र, दुमका-गोड्डा सीमावर्ती क्षेत्र, खूंटी-चाईबासा सीमावर्ती क्षेत्र, खूंटी-सिमडेगा सीमावर्ती क्षेत्र, गढ़वा-लातेहार सीमावर्ती क्षेत्र, झुमरा पहाड़ी, जमशेदपुर (गुड़ाबंधा, डुमरिया एवं मुसाबनी) एवं पलामू-चतरा सीमावर्ती क्षेत्र में कार्य योजना बनाकर पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने एरिया डॉमिनेशन कर वहां सुरक्षा बलों के शिविर स्थापित किये. परिणामस्वरूप इन इलाकों से नक्सली भागने के लिए मजबूर हो गये.
उन्होंने बताया कि नक्सलवाद से कुछ वर्षों पूर्व तक बुरी तरह से ग्रस्त इन 13 इलाकों में सुरक्षा बलों के कुल 18 कैंप स्थापित किये गये. वर्ष 2016 में पारसनाथ में पांच कैंप (धोलकट्टा, मनियाडीह, एमबी 01, एमबी 02 एवं एमबी 03), गुमला में चार कैंप (जोरी, जमटी, बानाताल एवं कुरुमगढ़), लोहरदगा के चैनपुर में एक कैंप, पलामू में दो कैंप (ताल एवं कुकुकलां), बोकारो में दो कैंप (चतरो चट्टी एवं जमेश्वर बिहार), चाईबासा के गुदड़ी में एक कैंप, लातेहार में तीन कैंप (कुमंडीह, सेरेनदाग एवं चैपट) स्थापित किये गये.
2017 में 50 से अधिक नक्सली हुए गिरफ्तार : डीजीपी डीके पांडेय ने बताया कि वर्ष 2017 में राज्य में विभिन्न संगठनों के एरिया कमांडर एवं उससे ऊपर के 50 से अधिक नक्सली गिरफ्तार हुए. इन क्षेत्रों में वर्ष 2015 से पहले उग्रवादी अपनी समानांतर व्यवस्था चलाते थे और विकास कार्य नहीं होने देते थे. अब ऐसा नहीं है़ विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं
उग्रवाद उन्मूलन अभियान से आयी नक्सली घटनाओं में कमी :डीजीपी ने बताया कि उग्रवाद उन्मूलन के लिए उठाये गये कदमों एवं कठोर कार्रवाई के कारण वर्ष 2015 एवं 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में नक्सली घटनाओं में भारी कमी आयी. वहीं पुलिस को कई सफलता मिली.
30 छावनी बनायी जायेगी
डीजीपी ने बताया कि इन सभी पहाड़ी एवं घने जंगल वाले इलाकों में सुरक्षा बलों के 30 अतिरिक्त कैंप स्थापित किये जाने की योजना है, जिससे कि भविष्य में भी कभी नक्सली यहां आने के बारे में न सोच सकें. उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में मिशन मोड में राज्य के इन सघन उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चला कर जहां बड़ी संख्या में नक्सलियों की धड़-पकड़ की गयी, वहीं इन सभी इलाकों में एक कार्य योजना के तहत विकास कार्य भी किये गये.
अब भी कुछ इलाकों में नक्सली सक्रिय
डीजीपी ने कहा कि झारखंड के छत्तीसगढ़ की सीमा से जुड़े बूढ़ा पहाड़ इलाके एवं गुमला से जुड़े सामरी इलाके में कुछ उग्रवादी सक्रिय हैं. वहीं बिहार सीमा से जुड़े चतरा, पलामू-औरंगाबाद इलाके विशेषकर इमामगंज-रहरिया में अभी भी समस्या है. गढ़वा में काला पहाड़ इलाका भी उग्रवाद प्रभावित है. हालांकि इस क्षेत्र को डॉमिनेट कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का संकल्प है कि वर्ष 2018 में झारखंड को पूर्णतया उग्रवाद मुक्त कर दिया जाये और इसमें राज्य पुलिस निश्चित तौर पर सफल होगी.
छावनियों को समेकित विकास केंद्र में बदला गया
डीजीपी श्री पांडेय ने बताया कि राज्य में बड़े पैमाने पर विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह सुरक्षा बलों की छावनी स्थापित की गयी और उन्हें समेकित विकास केंद्रों (इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट सेंटर) में तब्दील कर दिया गया. ये छावनियां केवल सुरक्षा बलों के लिए नहीं, विकास एवं कल्याण कार्यों में लगे सभी लोगों के लिए विश्राम एवं कार्य के स्रोत बन गयीं.

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