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केंद्र सरकार ने हाइकोर्ट को दी जानकारी, रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में आर्थिक गड़बड़ियों की जांच शुरू

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के फोर लेनिंग कार्य की धीमी प्रगति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए संबंधित सभी पक्षों को कार्य प्रगति की जानकारी देने का निर्देश दिया. […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के फोर लेनिंग कार्य की धीमी प्रगति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए संबंधित सभी पक्षों को कार्य प्रगति की जानकारी देने का निर्देश दिया.

खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद एनएच का तेेजी से निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है. यह गंभीर मामला है. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि रांची-जमशेदपुर सड़क में आर्थिक गड़बड़ी की जांच शुरू कर दी गयी है. केंद्र सरकार के कॉरपोरेट मंत्रालय की एजेंसी स्पेशल फ्रॉड इंवेस्टिगेशन अॉर्गेनाइजेशन मामले की जांच कर रही है. मामले से जुड़े पक्षों को नोटिस जारी किया गया है.

जांच के लिए अनुसंधानकर्ता भी नियुक्त किया गया है. उल्लेखनीय है कि एनएच-33 के रांची-जमशेदपुर मार्ग की जर्जर स्थिति व फोर लेनिंग कार्य की धीमी गति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. खराब सड़क की वजह से उक्त सड़क पर हुए हादसों में 1100 से अधिक लोगों की माैत हो चुकी है. राज्य सरकार ने पूर्व में बताया था कि सरायकेला में 600 लोगों की दुर्घटना में मौत हुई है. जनवरी 2011 से लेकर जनवरी 2017 तक रांची व जमशेदपुर के बीच सड़क हादसे में लगभग 500 लोगों की मौत हो चुकी है.

कार्य में देरी के लिए सिर्फ संवेदक जिम्मेवार नहीं
संवेदक कंपनी रांची एक्सप्रेस-वे के प्रबंध निदेशक ने सशरीर उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करना उचित नहीं है. सड़क का फोर लेनिंग कार्य किया जा रहा है. फोर लेनिंग कार्य में जो विलंब हो रहा है, उसके लिए सिर्फ संवेदक जिम्मेवार नहीं है. दूसरी एजेंसियों ने समय पर कई कार्य नहीं किया है. जमीन अधिग्रहण, पर्यावरण क्लीयरेंस के बिना ही कार्यादेश दिया गया. पत्थर उत्खनन के लिए लीज का नवीकरण भी नहीं हो पाया है. उक्त कारणों की वजह से एनएच का कार्य प्रभावित हुआ है.
करार रद्द हुआ, तो और देर होगी
वहीं नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) की अोर से बताया गया कि एनएच के फोर लेनिंग का कार्य 50 प्रतिशत पूरा होने के बाद ही वह सड़क को अपने अधीन ले सकता है. वैसी परिस्थिति में करार रद्द कर नया टेंडर जारी करने में समय लगेगा. इससे एनएच के इस प्रोजेक्ट और विलंब हो जायेगा. एनएचएआइ इस मामले में पूरा सहयोग कर रही है.
अधिग्रहण के मामले निबटा रही सरकार
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि भूमि अधिग्रहण के शेष बचे मामलों काे निबटाया जा रहा है. पत्थर उत्खनन के लिए माइनिंग लीज की बाधा समाप्त हो गयी है. बुंडू के समीप जिस भवन का मामला उठाया गया था, वह रैयती जमीन पर निर्मित है. यदि उक्त भवन चाैड़ीकरण कार्य में बाधा उत्पन्न करेगी, तो सरकार उसे अधिग्रहित कर सकती है.

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