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झारखंड में हर वर्ष दायर हो रहे 1.5 लाख मुकदमे

रांची: झारखंड हाइकोर्ट समेत निचली अदालतों में प्रत्येक वर्ष औसतन 1.5 लाख मुकदमे दायर होते हैं. हाइकोर्ट में दायर होने वाले मुकदमों की संख्या औसतन 30 हजार है. वहीं निचली अदालतों में औसतन 1.20 लाख मुकदमे दायर होते हैं. इनके अलावा हाइकोर्ट में पहले से लंबित मुकदमों की संख्या लगभग 80 हजार है. वहीं निचली […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट समेत निचली अदालतों में प्रत्येक वर्ष औसतन 1.5 लाख मुकदमे दायर होते हैं. हाइकोर्ट में दायर होने वाले मुकदमों की संख्या औसतन 30 हजार है. वहीं निचली अदालतों में औसतन 1.20 लाख मुकदमे दायर होते हैं. इनके अलावा हाइकोर्ट में पहले से लंबित मुकदमों की संख्या लगभग 80 हजार है. वहीं निचली अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या लगभग 3.33 लाख है. हाइकोर्ट में फिलहाल 14 न्यायाधीश कार्यरत हैं. ऐसे में प्रत्येक न्यायाधीश पर औसतन 5700 लंबित मामलों का बोझ पहले से है. इसी प्रकार निचली अदालतों में कार्यरत न्यायाधीश व कोर्ट की संख्या 616 है.
ऐसे में प्रत्येक न्यायाधीश व कोर्ट पर औसतन 542 लंबित मुकदमों का बोझ है. न्यायालयों पर बोझ कम करने के लिए लोक अदालत, मीडिएशन समेत कई विकल्प अपनाये जा रहे हैं. प्री लिटिगेशन से संबंधित लाखों मामलों को न्यायालय जाने से पहले लोक अदालत लगा कर निबटाया जा रहा है. इसके बावजूद अदालतों में लाखों की संख्या में मुकदमे पहुंच रहे हैं.
वर्षों से लंबित मुकदमों का हो रहा निष्पादन
झारखंड हाइकोर्ट ने निचली अदालतों में 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित मुकदमों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करने को लेकर जजों को टॉस्क सौंपा है. निचली अदालतों में जजों की ओर से ऐसे मामलों की सुनवाई कर इनका निष्पादन भी किया जा रहा है. अक्तूबर माह में ऐसे 63 मुकदमों का निष्पादन हुआ. इसमें से 11 सिविल व 52 आपराधिक मुकदमे थे. अभी भी निचली अदालतों में 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित मुकदमों की संख्या 12571 है.

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