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ऑनलाइन दाखिल-खारिज में अफसर व दलाल बाधक

नामकुम व कांके अंचल में पांच-छह माह से म्यूटेशन कार्य बंद, मैनुअल म्यूटेशन में अफसर व कर्मचारी करते है मनमानी राणा प्रताप रांची : जमीन की दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) प्रक्रिया को पूर्ण रूप से ऑनलाइन करने में प्रशासन अब तक विफल रहा है. राज्य सरकार के कड़े निर्देश के बावजूद ईटकी, नामकुम व कांके अंचलों में […]

नामकुम व कांके अंचल में पांच-छह माह से म्यूटेशन कार्य बंद, मैनुअल म्यूटेशन में अफसर व कर्मचारी करते है मनमानी

राणा प्रताप

रांची : जमीन की दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) प्रक्रिया को पूर्ण रूप से ऑनलाइन करने में प्रशासन अब तक विफल रहा है. राज्य सरकार के कड़े निर्देश के बावजूद ईटकी, नामकुम व कांके अंचलों में इसे आधे-अधूरे तरीके से लागू किया गया है. इससे लोगों को इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है. मैनुअल म्यूटेशन में अंचलाधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी जारी है. बिना पैसा लिये किसी का म्यूटेशन नहीं किया जाता. यह स्थिति रांची शहरांचल सहित रातू, नामकुम, कांके, ओरमांझी, नगड़ी में है.

जानकारी के अनुसार अक्तूबर माह से नामकुम अंचल में म्यूटेशन कार्य बंद है. 15 नवंबर से ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण कांके अंचल में म्यूटेशन कार्य बंद है. पहले तो यहां आवेदन भी नहीं लिया जा रहा था. विरोध के बाद मैनुअल आवेदन जमा लिया जा रहा है. ईटकी अंचल में ऑनलाइन म्यूटेशन के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. खरीद-बिक्रीवाले जमीन का (यदि प्लॉट संख्या है तब) म्यूटेशन हो पा रहा है.

बताया जाता है कि अफसर और दलाल लॉबी म्यूटेशन व्यवस्था को पूरी तरह से ऑनलाइन करने में बाधक बन रही है. ये नहीं चाहते कि म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो पाये. हालांकि जो सॉफ्टवेयर लागू किया गया है, उसमें काफी त्रुटियां है. बिना सॉफ्टवेयर की त्रुटि दूर किये ऑनलाइन म्यूटेशन संभव नहीं है.

अपर समाहर्ता वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बिहार और ओड़िशा मॉडल को लागू करने पर सहमति हुई थी, लेकिन एनआइसी ने स्वयं का सॉफ्टवेयर तैयार कर आनन फानन में लागू कर दिया. उधर सरकार की ई-गवर्नेस से जुड़ी विभिन्न योजनाएं जैसे ई-निबंधन, ई-स्टांपिंग, ऑनलाइन म्यूटेशन, ई-पेमेंट गेटवे पोर्टल, ऑनलाइन परमिट, ई-नागरिक सुविधा पर भी बिचौलियों की वजह से असर पड़ रहा है. मुख्य सचिव आरएस शर्मा के प्रयास से व्यवस्था को ऑनलाइन किया गया है. वित्त विभाग द्वारा अब आवंटन भी ऑनलाइन करने की व्यवस्था की गयी है.

क्या है ऑनलाइन म्यूटेशन

अंचल कार्यालय में म्यूटेशन के लिए आवेदन करने पर, उसे कंप्यूटर ऑपरेटर अपलोड करेगा. नोटिस प्रक्रिया पूरी करने के बाद राजस्व कर्मचारी को रिपोर्ट के लिए भेज देगा. कर्मचारी को सात दिन का समय मिलेगा. उससे रिपोर्ट मिलने पर अंचल निरीक्षक तीन-चार दिन के अंदर रिपोर्ट लिखेंगे. इसके बाद अभिलेख अंचलाधिकारी के पास जायेगा. वे स्वीकृत या अस्वीकृत कर हस्ताक्षर करेंगे. स्वीकृत होने पर कार्यालय करेक्शन स्लिप निर्गत करेगा. वह ऑनलाइन नहीं होगा. आपत्ति नहीं होने पर 30 दिन के अंदर निष्पादित कर देना है. हालांकि ऑनलाइन व्यवस्था के लिए कर्मियों को सिस्टम उपलब्ध नहीं कराया गया है. कंप्यूटर ऑपरेटर पर ही रिपोर्ट अपलोड करने की जिम्मेवारी है.

आवेदन का निष्पादन तो दूर, देखते तक नहीं है कर्मी

आवेदक सैनिक कॉलोनी निवासी राजा राम सिंह व रातू रोड निवासी संदीप का कहना है कि अंचलों में जो स्थिति है, उसमें सामान्य तरीके से किसी जमीन का म्यूटेशन होना असंभव सा हो गया है. राजस्व कर्मचारी व अंचल निरीक्षक आवेदन को देखते तक नहीं है. फाइलों में ही आवेदन बंद रहता है. रखे-रखे कई कागजात फट जाते हैं, लेकिन उस पर कर्मचारी, निरीक्षक अपनी निरीक्षण रिपोर्ट तब तक नहीं लिखते है, जब तक की संबंधित आवेदक कार्यालय पहुंच कर पैरवी नहीं करता. बिना पैरवी व पैसा दिये अभिलेख आगे नहीं बढ़ाया जाता है. कर्मचारी अंचलाधिकारी के नाम पर पैसा वसूलते है.

सॉफ्टवेयर में है तकनीकी त्रुटियां

प्रशासन के एक वरीय अधिकारी के अनुसार ऑनलाइन म्यूटेशन होना आदर्श स्थिति है, लेकिन रांची में स्थिति बिल्कुल उलट है. एनआइसी ने ऑनलाइन म्यूटेशन का सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इसमें खरीद-बिक्री के आधार पर ही म्यूटेशन का प्रावधान है. खाता, प्लॉट, जमीन की चौहदी का ऑप्शन नहीं दिया गया है. मूल खाते से होनेवाली जमीन की खरीद-बिक्री का म्यूटेशन नहीं हो पा रहा है. उतराधिकार म्यूटेशन, गिफ्ट, लीज एग्रीमेंट म्यूटेशन के आधार पर भी ऑनलाइन म्यूटेशन नहीं हो पा रहा है. आनन-फानन में सॉफ्टवेयर को लागू कर दिया गया. सीओ, अंचल निरीक्षक, राजस्व कर्मचारी को न तो ट्रेंड किया गया और न ही कंप्यूटर व नेट की सुविधा दी गयी. सॉफ्टवेयर की त्रुटि पता होने के बावजूद इसे अब तक दूर नहीं किया गया है.

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