रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को बच्चों के अधिकार व जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों को लागू करने काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि झारखंड में बच्चों की ट्रैफिकिंग व बाल श्रम एक गंभीर समस्या है.
खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह नवीनतम कानून के मुताबिक बच्चों के लिए नया एक्शन प्लान बनाये. पूर्व में वर्ष 2012 में एक्शन प्लान (2012-2016) बनाया गया था. कानून में हुए संशोधन को देखते हुए पूर्व प्लान में सुधार कर एक्शन प्लान को नया रूप दिया जाये. चाइल्ड लेबर व ट्रैफिकिंग पर प्लान ऑफ एक्शन तैयार करने का निर्देश दिया. सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय बना कर चाइल्ड ट्रैफिकिंग, चाइल्ड लेबर की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाया जाये.
खंडपीठ ने इस बात से नाराजगी जतायी कि झारखंड में स्टेट कमीशन फॉर चाइल्ड राइट को आर्थिक व बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं उपलब्ध करायी गयी है. बुनियादी सुविधा मिलने से यह कमीशन संवैधानिक तरीके से कार्य करेगा. खंडपीठ ने कहा कि वर्ष 2013 से लेकर अब तक ट्रैफिकिंग से संबंधित कितने लोगों के खिलाफ प्रथामिकी दर्ज की गयी आैर कितने बच्चों का पुनर्वास किया गया. खंडपीठ ने यह भी जानना चाहा कि चिल्ड्रेन होम, शेल्टर हो, प्रोबेशन होम आदि बनाये गये हैं या नहीं. डिटेल स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाये. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तिथि निर्धारित की. प्रार्थी की अोर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जगजीत सिंह छाबड़ा ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बचपन बचाअो आंदोलन की अोर से जनहित याचिका दायर की गयी है.