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रांची : जान जोखिम में डाल कर लकड़ी के पुल से स्कूल जाते हैं बच्चे

रांची/बुढ़मू : बरौदी व काटमकुली गांव को जोड़ने वाली सड़क के मध्य में स्थित जुमार नदी को पार करने के लिए आज भी ग्रामीण लकड़ी के पुल का प्रयोग करते हैं. जुमार नदी पर ग्रामीण विकास विभाग से धोड़धोड़ा धाम के समीप 2014 में पुल का निर्माण कार्य आरंभ किया गया था, लेकिन पुल आज […]

रांची/बुढ़मू : बरौदी व काटमकुली गांव को जोड़ने वाली सड़क के मध्य में स्थित जुमार नदी को पार करने के लिए आज भी ग्रामीण लकड़ी के पुल का प्रयोग करते हैं. जुमार नदी पर ग्रामीण विकास विभाग से धोड़धोड़ा धाम के समीप 2014 में पुल का निर्माण कार्य आरंभ किया गया था, लेकिन पुल आज भी अधूरा है.
इस मामले से ग्रामीणों ने विभाग को अवगत भी कराया, लेकिन विभाग द्वारा मामले में चुप्पी साध लेने के बाद ग्रामीणों ने श्रमदान कर लकड़ी का पुल बनाया. इस पुल की चौड़ाई करीब चार फीट है.
इस लकड़ी के पुल के सहारे सैकड़ों ग्रामीण रोज जान जोखिम में डाल कर आवागमन करते हैं. गांव के बच्चे भी जान जोखिम में डाल कर स्कूल जाने के लिए रोजाना उक्त पुल का इस्तेमाल करते हैं. इस मार्ग से जाने से बच्चों को एक किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.दूसरे मार्ग से जाने पर चार किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. दोनों गांव की आबादी तीन हजार है.

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