रांची : पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) संगठन सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का काम कर रहा है. यह कई वीडियो और तकरीर को प्रसारित कर शासन और प्रशासन के खिलाफ समुदाय विशेष के युवाओं को भड़का रहा है. इससे विधि-व्यवस्था की गंभीर समस्या पाकुड़ सहित पूरे देश में उत्पन्न हो सकती है. मामले की गंभीरता को देखते हुए पाकुड़ के डीसी और एसपी ने पीएफआइ को प्रतिबंधित करने की अनुशंसा गृह विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे से की है. इसकी कॉपी डीजीपी को भी भेजी गयी है.
पाकुड़ एसपी शैलेंद्र वर्णवाल ने रिपोर्ट भेजे जाने की पुष्टि की है. पांच जुलाई 2017 को इस संगठन के सदस्यों द्वारा पाकुड़ में पुलिस को निशाना बनाया गया था. इसमें एसडीपीओ और इंस्पेक्टर सहित कई पुलिस अफसर और पत्रकार घायल हुए थे. इसके बाद से पीएफआइ के सदस्यों और समर्थकों द्वारा संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है.
सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तेजित और भड़काऊ वीडियो क्लीप सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया के नाम से पाकुड़ शहर और आसपास के क्षेत्रों में वायरल किया जा रहा है. इसके जरिये एक खास संप्रदाय के लोगों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे में सरकार के स्तर से अगर इस संगठन को प्रतिबंधित नहीं किया गया, तो भविष्य में देश के लिए गंंभीर खतरा उत्पन्न होने से इंकार नहीं किया जा सकता है.
जांच में यह बात सामने आयी कि एनसीएचआरओ के सदस्यों द्वारा मामले की एक पक्षीय जांच की गयी. जांच को सार्वजनिक नहीं किया. यह लोग जांच की आड़ में गुप्त एजेंडे के तहत समुदाय विशेष के युवाओं को प्रशासन के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया, जो कि सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास है. यह राज्यहित में नहीं है. एनसीएचआरओ में कई बुद्धिजीवी, अधिवक्ता और बीएमसी के सदस्य शामिल हैं. जाे पीएफआइ को विधिक संरक्षण देने का काम कर रहे हैं. इनके द्वारा पूरे देश में घटित घटना की जांच कर वस्तुस्थिति से अलग हटकर अपनी रिपोर्ट के जरिये देश में असहिष्णुता के नाम पर हाय-तौबा मचा रहे हैं. अफसरों ने कहा है कि एनसीएचआरओ द्वारा देश के विभिन्न भागों में जाकर गुप्त एजेंडे के तहत फैक्ट फाइनडिंग के नाम पर एक पक्षीय जांच कर प्रतिवेदन समर्पित किया गया होगा. उन सभी जांच प्रतिवेदनों का किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच कराकर उसकी समीक्षा और विश्लेषण जरूरी है. ताकि उसकी असलियत सामने आ सके.