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कल्याण छात्रावास सिर्फ मूल निवासियों को
रांची: कल्याण विभाग के छात्रावासों में वैसे एससी, एसटी, अोबीसी व अल्पसंख्यक विद्यार्थी ही रह सकेंगे, जो झारखंड के मूल व स्थानीय निवासी हों. इसके लिए विद्यार्थियों को संबंधित क्षेत्र के सीअो द्वारा अॉनलाइन निर्गत जाति व आवासीय प्रमाण-पत्र देना होगा. कल्याण विभाग ने हॉस्टल के लिए नयी नियमावली बनायी है, जिसमें इसका जिक्र है. […]
रांची: कल्याण विभाग के छात्रावासों में वैसे एससी, एसटी, अोबीसी व अल्पसंख्यक विद्यार्थी ही रह सकेंगे, जो झारखंड के मूल व स्थानीय निवासी हों. इसके लिए विद्यार्थियों को संबंधित क्षेत्र के सीअो द्वारा अॉनलाइन निर्गत जाति व आवासीय प्रमाण-पत्र देना होगा. कल्याण विभाग ने हॉस्टल के लिए नयी नियमावली बनायी है, जिसमें इसका जिक्र है. अभी शिक्षण संस्थानों को हस्तांतरित या स्वतंत्र संचालित छात्रावासों में वर्ष 2003 की छात्रावास नियमावली के प्रावधान लागू थे, जिनमें ज्यादातर का पालन नहीं हो रहा है. पर इस नियमावली में मूल या स्थानीय निवासी होने संबंधी स्पष्ट शर्त नहीं थी.
मूल निवासी को छोड़ ज्यादातर शर्तें 2003 के नियमावली की ही किसे मिलेगी सुविधा
अब नयी नियमावली में छात्रावास में रहने की शर्त के साथ-साथ विभिन्न शिक्षण संस्थानों को सौंप दी गयी तथा स्वतंत्र रूप से संचालित छात्रावासों की देख-रेख, मरम्मत व संचालन संबंधी दिशा निर्देश भी दिये गये हैं. वहीं यह भी स्पष्ट किया गया है कि छात्रावास में रहने की सुविधा के पात्र वैसे एससी व एसटी विद्यार्थी ही होंगे, जिन्होंने गत परीक्षा में न्यूनतम 40 फीसदी अंक पाया हो. वहीं अोबीसी तथा अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए 45 फीसदी प्राप्तांक की बाध्यता रखी गयी है. एक ही अभिभावक के सभी बच्चों को, जो छात्रावास में रहने की शर्तें पूरी करते हों, उन सबको छात्रावास की सुविधा मिलेगी.
नयी नियमावली के अन्य प्रावधान
छात्रावास, जिला व राज्य स्तर पर तैयार होगा मास्टर डाटाबेस क्रमश: वार्डन, जिला कल्याण पदाधिकारी व आदिवासी कल्याण अायुक्त करेंगे यह काम छात्रावास की मांग करने वाले शिक्षण संस्थानों को अपने जिले के उपायुक्त को आवेदन देना होगा छात्रावास का निर्माण करने या उपलब्ध कराने संबंधी निर्णय उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति करेगी वार्डन का आवास छात्रावास परिसर में ही होगा किसी विद्यार्थी के बीमार होने पर वार्डन चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करायेंगे.
इन नियमों का रखना होगा ध्यान
इसके साथ ही छात्रावास में रहने व छात्रावास से बाहर जाने सहित अन्य बातों के लिए नियम बनाये गये हैं. छात्रावास के वार्डन को इन नियमों व शर्तों का पालन करवाना है. छात्रावास में रहने की समय सीमा स्कूली बच्चों तथा तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा के लिए पाठयक्रम अवधि तक, इंटर के लिए दो वर्ष, स्नातक- तीन वर्ष, स्नातकोत्तर- दो वर्ष तथा एमफिल व पीएचडी-पांच वर्ष निर्धारित की गयी है. वहीं छात्रावास में रहने के लिए गत परीक्षा में अच्छे अंक वाले, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) तथा दूर-दराज के विद्यार्थी को प्राथमिकता मिलेगी. नयी नियमावली के बाद पूर्व में निर्गत सभी अादेश विलोपित समझे जायेंगे.
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