इस दौरान इन्होंने राज्य व देश के विभिन्न सीमाओं पर काम किया. ट्रेनिंग के दौरान लिकेज ऑफ ब्लड के कारण इनकी दायीं आंख की रोशनी पर प्रभाव पड़ा. इनकी आंख का विजन घट कर 6/9 हो गया. इस बीच दो बार मेडिकल बोर्ड में इनकी जांच हुई. इसके बाद जब याचिकाकर्ता ने आवेदन दिया तो इन्हें लो मेडिकल कैटेगरी बता कर प्रोन्नति देने से इंकार कर दिया गया. यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता बीएसएफ के रिक्रूटमेंट रूल-8, 2001 के तहत डिप्टी कमांडेंट के पद पर प्रोन्नति के लिए योग्य हैं. मेडिकल रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता को पहली बार ट्रेनिंग के दौरान आंख में प्रॉब्लम आयी थी. यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता से जूनियर लोगों को प्रोन्नति मिल गयी है.
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नौकरी के दौरान विकलांग होने वाला प्रोन्नति का हकदार
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि बीएसएफ में नौकरी के दौरान दुर्घटना या कम चिकित्सा श्रेणी (लो मेडिकल कैटेगरी) की वजह से विकलांग होने पर संबंधित व्यक्ति को प्रोन्नति के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. विकलांगता की वजह से प्रोन्नति पर रोक लगाना अनुचित है. यदि नौकरी में आने से […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि बीएसएफ में नौकरी के दौरान दुर्घटना या कम चिकित्सा श्रेणी (लो मेडिकल कैटेगरी) की वजह से विकलांग होने पर संबंधित व्यक्ति को प्रोन्नति के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. विकलांगता की वजह से प्रोन्नति पर रोक लगाना अनुचित है. यदि नौकरी में आने से पहले मेडिकल बोर्ड में लो मेडिकल कैटेगरी की पुष्टि नहीं हुई है, तो यह माना जायेगा कि उनकी विकलांगता नौकरी में रहने के दौरान हुई है.
क्या है मामला : जस्टिस पी पटनायक की अदालत ने ओशिहर प्रसाद की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है. अदालत ने अपने आदेश में केंद्र सरकार व बीएसएफ को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता के डिप्टी कमांडेंट के पद पर प्रोन्नति के मामले में विचार करे. याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता सौरभ शेखर ने कहा कि ओशिहर प्रसाद ने 15 नवंबर 1997 को बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर योगदान दिया था.
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