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ये है JHARKHAND के जुगाड़ इंजीनियर्स, कोई साइकिल से चला रहे Washing Machine, तो कोई…

आज पढ़ें जुगाड़ टेक्नोलॉजी वाले छह इंजीनियर्स के कारनामे िबना डिग्रीवाले इंजीिनयर जुगाड़ लाजवाब अपने देश में इंजीनियर की कमी नहीं है. हर वर्ष यहां से लाखों इंजीनियर डिग्री लेकर निकलते हैं. भारतीय इंजीनियर की दुनिया खासकर आइटी इंडस्ट्रीज में धूम है. इसके बावजूद हमारी सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी है : जुगाड़. यह बिना डिग्री धारक […]

आज पढ़ें जुगाड़ टेक्नोलॉजी वाले छह इंजीनियर्स के कारनामे
िबना डिग्रीवाले इंजीिनयर
जुगाड़ लाजवाब
अपने देश में इंजीनियर की कमी नहीं है. हर वर्ष यहां से लाखों इंजीनियर डिग्री लेकर निकलते हैं. भारतीय इंजीनियर की दुनिया खासकर आइटी इंडस्ट्रीज में धूम है. इसके बावजूद हमारी सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी है : जुगाड़. यह बिना डिग्री धारक इंजीनियर के पास है. ऐसे लोगों के पास बेशक डिग्री न हो या उन्होंने इंजीनियर की पढ़ाई नहीं की, लेकिन यह किसी इंजीनियर से कम नहीं हैं. इनका जुगाड़ लाजवाब है. आइये आज विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर पढ़िए कुछ ऐसी ही जुगाड़ टेक्नोलॉजी वाले इंजीनियर्स के कारनामे.
साइकिल से होगी कपड़े की सफाई
राहुल गुरु
रांची : पांच ग्रामीण बच्चों ने कपड़े की सफाई और कैलोरी बर्न एकसाथ करने का उपाय खोज निकाला है़ सभी बच्चे सुदूर गांव के रहनेवाले हैं. इन्होंने साइकिल से चलने वाली वाशिंग मशीन बनायी है. वे कहते हैं कि यह ऐसा साधन है, जो लोगों के स्वास्थ्य और सफाई दोनों के लिए मददगार होगा.
अब हर घर में कपड़े धोने के लिए वाशिंग मशीन का इस्तेमाल हो रहा है, वहीं लोग फिट रहने के लिए जिम आदि की मदद ले रहे हैं. यदि वे साइकिल कनेक्टेड वाशिंग मशीन को अपनाते हैं, तो इसका दोहरा फायदा मिलेगा. इसके लिए साइकिल को चलाना होगा. जब एक आदमी साइकिल चलायेगा, तो इससे निकलनेवाली मैकेनिकल एनर्जी से साइकिल के साथ जुड़े बॉक्स में लगा ड्रम घुमेगा, जिससे बॉक्स में रखे कपड़े की धुलाई होगी. जल्द ही इसमें ड्रायर भी लगाया जायेगा.
जुगाड़ तकनीक के फनकार हैं हैदर
संजीव भारद्वाज
जमशेदपुर : जुगाड़ तकनीक के फनकार हैं साकची के सैय्यद माेहम्मद हैदर. पुरानी-कंडम गाड़ियाें काे नया लुक देकर उन्हें बड़े बाजार में पहुंचाने में उनका नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है. पिछले दिनाें उन्हाेंने कबाड़ हाे चुकी एक एंबेसडर कार काे विदेशी कार का लुक प्रदान कर काफी सुर्खियां बटाेरी. इस कार का लुक पूरी तरह से बदल दिया गया है. बताने पर ही पता चल पायेगा कि यह पूर्व में एंबेसडर कार थी. चार दरवाजाें के बदले अब कार में फ्रंट दाे दरवाजे कर दिये गये हैं.
छत काे हटा कर आेपन हुड कर दिया गया है. कार की लंबाई काे बढ़ा दी गयी है. कार की लंबाई आैर दाे दरवाजाें काे कम करने पर उसकी बॉडी में कमजाेरी नहीं हाे, इसके लिए जमीन में अतिरिक्त चदरा आैर प्लेट लगाया गया है. फ्रंट आैर बैक लुक काे पूरी तरह से बदल दिया गया है. गाड़ी में दाे आगे आैर चार पीछे, छह लाेग काफी आराम से बैठ सकते हैं. आगे के दरवाजे का ही इस्तेमाल पीछे बैठनेवालाें काे भी करना पड़ेता है. सामनेवाली सीट काे बिना खाेल-पलटी किये, पीछे की सीट पर बैठनेवाली सवारी आसानी से पार हाे सकते हैं, इसका विशेष ख्याल रखा गया है.
इनाेवेशन में लगे हुए हैं
साकची पुराना बस स्टैंड के पास स्टार अॉटाेमाेबाइल नाम की शॉप चलानेवाले सैय्यद माेहम्मद हैदर इन दिनाें नये इनाेवेशन में लगे हुए हैं. उन्हाेंने दावा किया कि वे टू सीटर कार डिजाइन कर रहे हैं.
यह कार देश की सबसे छाेटी काराें में शुमार हाेगी. इस कार में दाे लाेगाें के बैठने की जगह हाेगी, जबकि पीछे एक झूला लगा हाेगा, जिसमें बच्चे काे सुलाया जा सकता है या फिर उसका इस्तेमाल सब्जी-फल रखने के लिए किया जा सकेगा. पुरानी कार काे काट कर उसे छाेटा किया जा रहा है.
लगन व मेहनत से प्रेरणास्रोत बनीं अविनाशी और आशा
शंकर प्रसाद साव
बाघमारा (धनबाद) : रोटी बेलने और घर का चौका-बर्तन करनेवाले हाथ जब मोटर, ट्रांसफार्मर समेत अन्य इलेक्ट्रिक मशीनों व उपकरणों की मरम्मत करते दिखते हैं, तो लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं.
बात हो रही है धनबाद जिले के बाघमारा कोयलांचल स्थित बीसीसीएल के ब्लॉक टू क्षेत्र के आरआर वर्कशॉप में कार्यरत महिला कर्मी आशा देवी और अविनाशी जयवंती सोई की. इनदोनों के पास न तो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और न ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है, लेकिन दोनों महिलाएं हैवी मशीन के मोटर, आर्मेचर, ट्रांसफार्मर और सभी तरह के एचपी पंप मोटर आदि इलेक्ट्रिक मशीनों की मरम्मत करने में पुरुषों की तुलना में काफी दक्ष हैं. इनका काम न सिर्फ चर्चा का विषय है, बल्कि प्रेरणास्रोत भी है.
रांची की रहनेवाली हैं अविनाशी
वाइंडर कर्मी अविनाशी जयवंती सोई मूलत: रांची की रहने वाली है़ं हिस्ट्री ऑनर्स में स्नातक अविनाशी के पति प्रभुदयाल सोई बीसीसीएल की सिनीडीह उत्खनन कार्यशाला में फीटर थ़े उनकी मौत के बाद अविनाशी की जिंदगी पर पहाड़ टूट पड़ा. तीन बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गयी.
वर्ष 2004 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली़ 51 वर्षीया अविनाशी बताती हैं : उन्हें बिजली करंट से काफी डर लगता था़, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में स्वीकारा. वाइंडर कर्मी रामचंद्र चौहान (अब सेवानिवृत्त) ने हौसला और प्रशिक्षण दिया. लगन से महज एक साल के अंदर अविनाशी क्षेत्र की प्रमुख वाइंडर कर्मी बन गयी.
पांचवीं तक पढ़ी हैं आशा
50 वर्षीया आशा देवी मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के बरोट गांव की रहनेवाली है़ं पांचवीं क्लास तक ही पढ़ी-लिखी हैं. पति ओमप्रकाश शॉवेल ऑपरेटर थ़े
उनकी मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली़ लगन व मेहनत से आशा जी भी आज एक बेहतर वाइंडर कर्मी के रूप में अपनी पहचान रखती हैं. महीने में 10-20 मोटर व ट्रांसफॉर्मर की मरम्मति करते देख अन्य मजदूर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. सभी तरह के मोटरों की बाइडिंग में दक्ष आशा जी वाइंडर कर्मी होने के साथ-साथ एक अच्छी समाजसेवी भी हैं. पति के गुजरने के बाद तीन बेटियों और एक बेटे की परवरिश कर रही हैं.
फरक्का डैम में फंसे जहाज की मरम्मत की
दीप सिंह
राजमहल : यहां किसी की साइकिल खराब हो जाये, मोटरसाइकिल खराब हो या पानी के जहाज का ब्रेक डाउन हो, ठीक कराने के लिए शर्माजी ही सबाें को याद आते हैं. जी हां, 75वर्षीय देवनारायण शर्मा हैं, तो नन-मैट्रिक पर अपने हुनर के बल पर अच्छे-अच्छे डिग्रीधारी इंजीनियरों को मात दे रहे हैं. यूं कहें कि मानो इनको भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त है.
राजमहल के नया बाजार में इनका एक छोटा-सा लेथ मशीन का मैकेनिकल शॉप है. यहां साइकिल, मोटरसाइकिल, चारपहिया, रोड रॉलर, जेसीबी, पॉकलेन तथा पानी के जहाज में से एलसीटी, मोटर लांच, मोटरबोट, स्टीमर के इंजन व बॉडी से संबंधित सभी तकनीकी खराबियों काे ठीक किया जाता है.
इनके काम की मिसाल इस क्षेत्र में काफी चर्चित है. शर्माजी राजमहल के लिए एक वरदान की तरह हैं. बताया जाता है कि वर्ष 1962 में कोलकाता से पटना जा रहा पानी का जहाज फरक्का डैम में खराब हो गया था. ठीक करने के लिए प्रबंधन ने कोलकाता से इंजीनियर को बुलाया. चार इंजीनियर की टीम पहुंची. दो बार मरम्मत करने के बावजूद इंजन की खराबी का पता नहीं लग पा रहा था. तब श्री शर्मा से संपर्क कर उन्हें बुलाया गया. उन्होंने इंजन की मरम्मत की. जहाज ठीक हो गया.
आज भी गंगा पर फेरी सेवा इन्हीं की भरोसे : राजमहल व साहेबगंज सहित अन्य फेरी सेवा के लिए उपयोग में लाये जानेवाले सभी पानी के जहाज की मरम्मत शर्माजी के भरोसे ही होती है. श्री शर्मा ने अपने ए-टू-जेड कार्य की कला अपने दो पुत्र अशोक शर्मा व संतोष शर्मा को विरासत में दिया है.
चोर अगर ताला तोड़ेगा तो बज उठेगा मोबाइल
संदीप सावर्ण
जमशेदपुर : एक ऐसा ताला भी कुछ दिनों में बाजार में आनेवाला है, जिसे अगर कोई खोले या तोड़ने की कोशिश करे, तो इसका मैसेज आपके मोबाइल पर आना शुरू हो जायेगा. ताले पर हाथ लगाते ही आपके मोबाइल फोन पर सूचना आने लगेगी. इस अनोखे ताले को ईजाद किया है जमशेदपुर के सिर्फ मैट्रिक पास विनय वर्मा ने. ऐसे काम करेगा डिवाइस : विनय द्वारा तैयार किये गये ताले में मोबाइल फोन का किट लगा रहेगा.
ताले में जो किट रहेगा, उसमें आपके परिवार के 10 सदस्यों के फोन नंबर फिट रहेंगे. उस ताले को जैसे ही कोई तोड़ने या जबरदस्ती खोलने की कोशिश करेगा, तो उस मकान मालिक के मोबाइल पर स्वत: कॉल आ जायेगी़ ऐसा फोन के ताले के अंदर लगे मोबाइल के किट के दबने से होगा. मोबाइल किट के दबने से एक साथ उन सभी 10 लोगों के मोबाइल फोन पर कॉल चली जायेगी, जिनके नंबर उक्त किट में सेव किये गये हैं.
यदि घर के मालिक ताला खोलने या तोड़ने वाले के बीच चल रही बातचीत सुनना चाहता है तो वह अपने मोबाइल में अॉन बटन दबायेगा अौर चोरों के बीच होने वाली बातचीत को भी मोबाइल पर सुन सकेगा. इस ताले को न सिर्फ घरों में लगाया जा सकता है, बल्कि बाइक अौर कार में भी फिट किया जा सकेगा. बाइक में उसे उस जगह लगाया जायेगा, जिस जगह पर चाबी लगायी जाती है.
चोर अगर किसी प्रकार हैंडल को क्षतिग्रस्त कर गाड़ी को आगे बढ़ायेगा, तो बाइक आॅनर के मोबाइल पर फोन जाने के साथ ही गाड़ी की पावर सप्लाई बंद हो जायेगी. इससे चोर गाड़ी को आगे नहीं बढ़ा सकेगा. इसी तरह का सिस्टम कार में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.
हाथ के हुनर ने महंगू को बनाया मिस्त्री
राकेश वर्मा
बेरमो (बोकारो) : कई नौकरियां मिली, मगर मन नहीं रमा. रमता भी कैसे? उनके हाथ की रेखाओं में तो ‘हाथ के हुनर’ की कहानी लिखी थी. बात हो रही है महंगू मिस्त्री की. मशीन के प्रति गहरे प्रेम व पैशन ने महंगू महतो को ‘महंगू मिस्त्री’ बना दिया और आज बेरमो में ‘महंगू मिस्त्री’ एक ब्रांड नेम है.
कहा जाता है कि लेथ मशीन से लेकर हाइड्रोलिक मशीन तक ‘महंगू मिस्त्री’ का इशारा समझती हैं. कोयला खनन में उपयोगी डंपर से लेकर विशालकाय शावेल व पोकलेन मशीनों के बड़े-बड़े शक्तिशाली बकेट का निर्माण महंगू मिस्त्री के वर्कशॉप में हो रहा है. कभी मशीनों से प्रेम को लेकर नौकरियां छोड़नेवाले महंगू मिस्त्री के बेरमो स्थित शिव इंजीनियरिंग वर्क्स नामक वर्कशॉप में आज डेढ़ दर्जन लोगों को काम मिला हुआ है.
चेचिस का डाला बनवाने नेपाल से आते थे लोग : बेरमो कोयलांचल स्थित कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी सीसीएल की विभिन्न खनन परियोजनाओं में उपयोगी बड़ी-बड़ी मशीनों को महंगू मिस्त्री के वर्कशॉप में दुरुस्त किया जाता है. खास बात यह कि डाला मिस्त्री और लेथ व हाइड्रोलिक मशीनों के मास्टर महंगू मिस्त्री ने किसी भी संस्थान से कोई डिग्री नहीं ली है.
दो दशक पूर्व तक अविभाजित बिहार के कोने-कोने से लोग टाटा मोटर्स समेत विभिन्न कंपनियों के ट्रकों का चेचिस खरीदने के बाद डाला बनवाने के लिए सीधे बेरमो में महंगू मिस्त्री के पास पहुंचते थे. बंगाल और नेपाल से भी यहां लोग छह चक्का ट्रक के चेचिस का डाला बनवाने आते थे. लखीसराय व जमुई के बीच नवीनगर के निवासी महंगू मिस्त्री के पिता अर्जुन महतो बेरमो में ही रेलवे में नौकरी करते थे.

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