रांची: राज्य के विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया. कुछ शिक्षक संगठनों ने जहां काला बिल्ला लागकर अपना विरोध जताया, वहीं कुछ ने राजभवन के समक्ष धरना दिया.
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विरोध: राजभवन के समक्ष दिया धरना, किया प्रदर्शन सड़क पर उतरे शिक्षक
रांची: राज्य के विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया. कुछ शिक्षक संगठनों ने जहां काला बिल्ला लागकर अपना विरोध जताया, वहीं कुछ ने राजभवन के समक्ष धरना दिया. झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने नौ सूत्री मांग को लेकर राजभवन के समक्ष धरना दिया. शिक्षकों ने मोरहाबादी से जुलूस […]
झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने नौ सूत्री मांग को लेकर राजभवन के समक्ष धरना दिया. शिक्षकों ने मोरहाबादी से जुलूस निकाला. वहीं, झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने भी राजभवन के समक्ष धरना दिया. झारखंड अल्पसंख्यक प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय शिक्षक-शिक्षकेत्तर समन्वय समिति के आह्वान पर मंगलवार को गैर सरकारी अल्पसंख्यक प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने शिक्षक दिवस का बहिष्कार किया. शिक्षकों के ड्रेस कोड अनिवार्य किये जाने के विरोध में भी कुछ शिक्षक संगठनों ने कला बिल्ला लगाया.
प्राथमिक शिक्षकों ने दिया राजभवन के समक्ष धरना
झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने राजभवन के समक्ष धरना दिया. धरना में राज्य भर से आये शिक्षकों ने भाग लिया. धरना के बाद संघ ने राष्ट्रपति आैर प्रधानमंत्री के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. संघ के महासचिव योगेंद्र तिवारी ने कहा कि सरकार शिक्षकों की पुरानी पेंशन योजना को लागू करे. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाया जा रहा है. जब तक मांग पूरी नहीं होगी, आंदोलन जारी रहेगा. शिक्षक संघ के तत्वावधान में विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर रैली निकाली गयी. प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने राजभवन के समक्ष धरना दिया. प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों का विरोध किया. शिक्षकों ने सरकार विरोधी नारेबाजी की. अंत में राज्यपाल के नाम मांगों से संबंधित ज्ञापन दिया गया. वक्ताअों ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाये. छठे वेतनमान की विसंगतियों को दूर करते हुए सातवें वेतनमान की अनुशंसाअों को सभी कोटि के शिक्षकों के लिए लागू किया जाना चाहिए. राष्ट्रीय प्राथमिक शिक्षा आयोग का गठन किया जाये. मांगों की पूर्ति तक संघ द्वारा चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलाया जा रहा है. यदि मांगे पूरी नहीं हुई, तो पांच अक्तूबर को शिक्षक दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे. इस अवसर पर मेल प्रकाश टोप्पो, श्रवण कुमार मिश्रा, गोपाल प्रसाद सिंह, आशीष कुमार मिश्रा, अरुण कुमार सिंह, श्याम किशोर सिंह गांधी, गाैतम सिंह, उपेंद्र प्रसाद, विवेकानंद पंडा, मनिषा धवन, रानी पूनम, भारती कुमारी, मनोज भगत, उमेश शर्मा, वीरेंद्र राय, अजय कुमार, मनोहर वैद्य सहित सैकड़ों शिक्षक उपस्थित थे.
वित्तरहित शिक्षण संस्थान के शिक्षकों ने नहीं मनाया शिक्षक दिवस
झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को राजभवन के समक्ष महाधरना का आयोजन किया गया. महाधरना में विभिन्न जिलों से आये सैकड़ों वित्तरहित शिक्षाकर्मी शामिल हुए. राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों के विरोध में 20,000 शिक्षाकर्मियों ने शिक्षक दिवस का बहिष्कार किया. महाधरना के अंत में माेर्चा के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मांगों से संबंधित राज्यपाल को ज्ञापन समर्पित किया. आंदोलन के अगले चरण में 15 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रांची आगमन पर उनका घेराव करने की घोषणा की गयी. यह भी कहा गया कि मांगे पूरी नहीं होने पर दो अक्तूबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जायेगा. चार अक्तूबर के बाद 1250 शिक्षण संस्थानों में ताला लगा कर चाबी स्थानीय विधायक को साैंप दी जायेगी. इस अवसर पर रघुनाथ सिंह, सुरेंद्र झा, अरविंद कुमार सिंह, डाॅ देवनाथ सिंह, नरोत्तम सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, बलदेव पांडेय, फजुल कादरी, विजय झा, अमरकांत ठाकुर, कुंदन सिंह सहित सैकड़ों शिक्षाकर्मी उपस्थित थे.
गैर सरकारी अल्पसंख्यक विद्यालय के शिक्षकों ने भी किया बहिष्कार
झारखंड अल्पसंख्यक प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय शिक्षक-शिक्षकेत्तर समन्वय समिति के आह्वान पर मंगलवार को गैर सरकारी अल्पसंख्यक प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने शिक्षक दिवस का बहिष्कार किया. हालांकि, शिक्षकों ने काला बिल्ला लगा कर दैनिक कार्यों का निष्पादन किया. शिक्षक पठन-पाठन कार्य में शामिल हुए. समिति के महासचिव निरंजन कुमार शांडिल ने बताया कि राज्य के 982 गैर सरकारी अल्पसंख्यक स्कूलों के छह हजार से अधिक शिक्षकों ने लंबित मांगों का समाधान नहीं होने का विरोध किया है. समिति का कहना था कि एकीकृत बिहार के समय सरकार द्वारा स्वीकृत पद के विरुद्ध विधिवत रूप से नियुक्त शिक्षाकर्मियों को सरकारी शिक्षाकर्मियों के समान वेतन सहित सारी सुविधाएं देने का स्पष्ट आदेश है. नियमित वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है. शिक्षाकर्मियों को मार्च 2017 से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. अंशदायी पेंशन योजना, अव्यवहृत अवकाश के समतुल्य नगद राशि का भुगतान, लंबित नियुक्ति व वेतन निर्धारण का अनुमोदन, प्रवरण वेतनमान, परिवहन भत्ता आदि की समस्या बरकरार है.
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