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धर्मांतरण बिल को राज्यपाल की मंजूरी

रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 और भूमि अधिग्रहण विधेयक 2017 को मंगलवार को मंजूरी दे दी. अब धर्मांतरण बिल को राज्य सरकार अधिसूचित करेगी. जबकि भूमि अधिग्रहण विधेयक को प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति के समक्ष अंतिम स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. दोनों विधेयक को मॉनसून सत्र के दौरान 12 अगस्त को […]

रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 और भूमि अधिग्रहण विधेयक 2017 को मंगलवार को मंजूरी दे दी. अब धर्मांतरण बिल को राज्य सरकार अधिसूचित करेगी. जबकि भूमि अधिग्रहण विधेयक को प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति के समक्ष अंतिम स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. दोनों विधेयक को मॉनसून सत्र के दौरान 12 अगस्त को विधानसभा ने पारित किया था. इसके बाद अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था. राज्यपाल ने दोनों विधेयक को विशेषज्ञों से राय लेने के बाद स्वीकृति प्रदान कर दी.

धर्मांतरण बिल को अब सरकार करेगी अधिसूचित

बिल में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने को संज्ञेय अपराध माना गया है. ऐसा करनेवाले के खिलाफ 50 हजार रुपये का दंड और तीन साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. एसटी-एससी के मामले में सजा की अवधि बढ़ा कर चार साल और दंड की रकम एक लाख की गयी है.

  • विधेयक में लालच शब्द को नकद, कोई उपहार या सामग्री, आर्थिक लाभ आदि के रूप में परिभाषित किया गया है. जबरन शब्द को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाने के लिए धमकी देना, सामाजिक बहिष्कार के रूप में परिभाषित किया गया है.
  • किसी भी व्यक्ति या पुरोहित को धर्मांतरण के लिए समारोह आयोजित करने से पहले उपायुक्त से अनुमति लेनी होगी. ऐसा नहीं करने पर एक साल के लिए जेल और पांच हजार रुपये के दंड का प्रावधान किया गया है.
  • स्वेच्छा से धर्मांतरण करने से पहले भी इसकी जानकारी उपायुक्त को देनी होगी
  • जबरन धर्मांतरण से संबंधित किसी भी मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के अधिकारी नहीं करेंगे. मुकदमा चलाने के लिए उपायुक्त या उपायुक्त द्वारा अधिकृत अधिकारी की स्वीकृति आवश्यक होगी.

हुआ था विरोध

12 अगस्त : झारखंड विधानसभा में विपक्षी दलों ने दोनों बिल का विरोध किया था. इन्हें प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया था. हालांकि सदन ने दोनों बिल को ध्वनि मत से पारित कर दिया था. झामुमो ने सदन का बहिष्कार किया था

13 अगस्त : झामुमो के विधायक व नेता राजभवन गये थे और दोनों बिल पर आपत्ति जतायी थी.

22 अगस्त : आरसी चर्च रीजनल विशप्स काउंसिल का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिल कर धर्मांतरण बिल पर आपत्ति जतायी थी और कहा था कि इसे भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन से ध्यान हटाने के लिए लाया गया है.

24 अगस्त : नेशनल काउंसिल चर्चेज इन इंडिया का एक प्रतिनिधमंडल राज्यपाल से मिल कर धर्मांतरण बिल का विरोध जताया था.

भाजपा ने जताया हर्ष : प्रदेश भाजपा ने राज्यपाल की ओर से दोनों बिल को मंजूरी दिये जाने का स्वागत किया है. प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा : विपक्ष की विकास विरोधी मुहिम को करारा तमाचा लगा है. राज्य सरकार की ओर से जनहित में उठाये गये कदम को बल मिला है. धर्मांतरण में लिप्त राष्ट्र विरोधी ताकतों को अब जेल की हवा खानी होगी. भूमि अधिग्रहण में संशोधन कानून से सरकारी योजनाओं में तेजी आयेगी और झारखंड का विकास तेजी से होगा.

ऑल चर्चेज कमेटी : ऑल चर्चेज कमेटी के अध्यक्ष बिशप अमृतजय एक्का ने कहा : धर्म स्वतंत्र बिल के संबंध में पूर्व में भी राज्यपाल को कमेटी के विचारों से अवगत करा दिया था. सरकार ने जो निर्णय लिया है, उसका हम विरोध नहीं करते, क्योंकि यह सरकार का निर्णय है. यह सरकार के विवेक पर है कि यह निर्णय सही है या गलत.

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