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सख्ती से लागू हो धर्मांतरण बिल : केंद्रीय सरना समिति

धर्मांतरण रोकने संबंधी विधेयक का एक ओर विरोध हो रहा है, तो दूसरी ओर उसका स्वागत भी किया जा रहा है. गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर एक वर्ग ने विरोध जताया, तो दूसरे ने इसका समर्थन भी किया. नेशनल काउंसिल ऑफ चर्चेज इन इंडिया (एनसीसीआइ), झारखंड काउंसिल ऑफ चर्चेज और संतालिया काउंसिल ऑफ चर्चेज के […]

धर्मांतरण रोकने संबंधी विधेयक का एक ओर विरोध हो रहा है, तो दूसरी ओर उसका स्वागत भी किया जा रहा है. गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर एक वर्ग ने विरोध जताया, तो दूसरे ने इसका समर्थन भी किया. नेशनल काउंसिल ऑफ चर्चेज इन इंडिया (एनसीसीआइ), झारखंड काउंसिल ऑफ चर्चेज और संतालिया काउंसिल ऑफ चर्चेज के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे राज्य की संवैधानिक प्रमुख और पांचवी अनुसूची क्षेत्र की अधिकारी के नाते भाजपा सरकार द्वारा लाये ‘झारखंड उचित मुआवजा, जमीन अधिग्रहण में पारदर्शित, पुनर्वास व पुनर्स्थापन संशोधन विधेयक 2017’ व ‘झारखंड धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2017’ के प्रभाव पर गंभीरता से विचार करें और राज्य के लोगों के हित में समुचित कदम उठायें. उधर केंद्रीय सरना समिति ने राज्यपाल से मिलकर इस विधेयक का समर्थन किया.
रांची: केंद्रीय सरना समिति के नेतृत्व में विभिन्न जिलाें और प्रखंडों की सरना समितियों का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने ‘झारखंड धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2017’ के प्रति समर्थन जताया. साथ ही इसे सख्ती से लागू करने की मांग की.

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि इस विधेयक से आदिवासी सरना समाज में काफी हर्ष है और इसका स्वागत करता है. इसके लागू होने से लोभ-लालच या भय दिखा कर धर्मांतरण कराने पर रोक लगेगी़ समाज का अस्तित्व बचाये रखने के लिए यह बिल आवश्यक है. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा.
राज्य में फैले छोटे बड़े प्रार्थना केंद्रों की जांच जरूरी
राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि प्रकृति पूजक आदिवासी समाज को संरक्षित रखने के लिए यह कानून सख्ती से लागू किया जाये, सरना धर्म कोड लागू हो, धर्मांतरित आदिवासियों को दोहरा लाभ न मिले, पूरे राज्य में प्रार्थना केंद्र के नाम पर चलने वाले छोटी-बड़ी संस्थानों की किसी एजेंसी से विस्तृत जांच करायी जाये, चर्च के लोगों द्वारा गैर आदिवासियों को आदिवासी गोत्र देकर आदिवासी के रूप में परिणत किया जा रहा है, इस असंवैधानिक कार्य की गोपनीय जांच आवश्यक है़
प्रतिनिधिमंडल में ये लोग थे शामिल
प्रतिनिधिमंडल में शोभा कच्छप, आकाश उरांव, संदीप उरांव, कृष्ण कांत टोप्पो, उषा बांडो, चडरी सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा, सबलू मुंडा, रवि मुंडा, झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा के अध्यक्ष मेघा उरांव, गुमला जिला सरना समिति के हांदू भगत, बेड़ो सरना समिति के अनिल उरांव व अन्य शामिल थे.
मौलिक अधिकारों पर हमला है धर्मांतरण बिल : चर्चेज कमेटी
रांची. एनसीसीआइ की ओर से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय संविधान ने धारा 25- 28 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता दी है. बिल में धर्मांतरण के लिए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को सूचना देने और उसकी अनुमति की बात प्रस्तावित है, जो अंतर्आत्मा की आजादी के खिलाफ है, जिसकी गारंटी संविधान की धारा 25 में है. भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 295-298 में जबरन और लोभ-लालच देकर धर्मांतरण के खिलाफ प्रावधान हैं.

सरकार ‘झारखंड उचित मुआवजा, जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास व पुनर्स्थापन संशोधन विधेयक 2017’ भी लायी है, जिसका मकसद पूंजीवादियों व उद्योगपतियों के लिए जमीन लूटना है. यह राज्य पांचवी अनुसूची के तहत है, जहां किसी भी उद्देश्य से जमीन हस्तांतरण के विषय पर ग्रामसभा का अधिकार सर्वोच्च है. यह विधेयक ग्राम सभा के ऐसे किसी अधिकार को नजरअंदाज करता है. यह पेसा कानून व सुप्रीम कोर्ट के समता निर्णय का खुला उल्लंघन है.
प्रतिनिधिमंडल में ये लोग थे शामिल
ज्ञापन सौंपने वालों में एनसीसीआई के महासचिव रेव्ह डॉ रोजर गायकवाड़, झारखंड काउंसिल ऑफ चर्चेज के सचिव रेव्ह अरुण बरवा, संतालिया काउंसिल ऑफ चर्चेज के सचिव जॉय राज एरिक टुडू, जीइएल चर्च के मॉडरेटर बिशप जाेहन डांग, एनडब्ल्यूजीइएल चर्च के बिशप दुलार लकड़ा, रेव्ह आशीषन बागे व एनसीसीआई के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप बनश्रीयर शामिल थे.

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