रांची: राज्य के विज्ञान, प्रावैधिकी महकमे की ओर से वर्ष 2013-14 में 95 करोड़ से अधिक रुपये सरेंडर किये जायेंगे. 2013-14 वित्तीय वर्ष के लिए विभाग का योजना आकार 140 करोड़ तय किया गया था. 25 मार्च तक विभाग की ओर से सिर्फ 42.61 करोड़ रुपये ही खर्च किये गये हैं.
अब वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र तीन दिन बचे हैं. योजनाओं की समय पर स्वीकृति नहीं मिलने ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. विभाग के खराब प्रदर्शन की वजह से वित्तीय वर्ष 2014-15 में योजना का आकार 84 करोड़ रुपये किया गया है. विभागीय मंत्री, खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं.
कई पद हैं रिक्त, नहीं मिल रहा है वेतन
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी निदेशक का पद और विज्ञान प्रावैधिकी पर्षद के कार्यपालक अधिकारी का पद रिक्त रहने से योजनाएं धरातल पर नहीं उतर रही हैं. विभागीय निदेशक का पद तकनीकी शिक्षा के प्रचार-प्रसार समेत अभियंत्रण कॉलेजों के प्रबंधन जैसे कार्यो के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इतना ही नहीं विज्ञान प्रावैधिकी पर्षद के कार्यपालक निदेशक के नहीं रहने से वैज्ञानिक प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाओं का पैसा भी समय पर नहीं निकल पा रहा है. राजधानी के विज्ञान केंद्र और पर्षद कार्यालय के कर्मियों को भी सात महीने से वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है. विज्ञान केंद्र में 20 कर्मी कार्यरत हैं.