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सीएनटी-एसपीटी का उल्लंघन कर जमींदार बना हेमंत परिवार : भाजपा
रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर प्रदेश भाजपा ने मोरचा खोल दिया है. प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू ने लगातार दूसरे दिन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन व उनके परिवार के खिलाफ सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन का परिवार एक्ट […]
रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर प्रदेश भाजपा ने मोरचा खोल दिया है. प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू ने लगातार दूसरे दिन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन व उनके परिवार के खिलाफ सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन का परिवार एक्ट का उल्लंघन कर जमींदार बन गया है. वहीं झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी हरमू में कॉव्स की जमीन को अपनी बहन के नाम पर बता रहे हैं. उनकी बहन गिरिडीह की रहनेवाली है. ऐसे में उन्हें बताना चाहिए कि कैसे रांची में उन्होंने जमीन खरीदी. पार्टी सरकार से बाबूलाल मरांडी की बहन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की मांगकरती है.
रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री साहू ने कहा कि जनता बाबूलाल से जानना चाहती है कि एक तरफ वे सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध कर रहे हैं. इसे आदिवासियों का सुरक्षा कवच बता रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ उनके परिवार के लोग निजी हित में सीएनटी-एसपीटी एक्ट का सुरक्षा कवच तोड़ कर कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं. श्री साहू ने कहा कि विपक्ष के तथाकथित आदिवासी नेताओं का चरित्र प्याज के छिलके की तरह है, जो परत-दर-परत खुलता जा रहा है. मौके पर भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव, दीनदयाल वर्णवाल व प्रदेश मीडिया प्रभारी शिव पूजन पाठक मौजूद थे.
एक्ट का उल्लंघन करने वालों पर हो कार्रवाई
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करनेवाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करनेवालों पर पहले कार्रवाई होनी चाहिए. इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. जिसने भी एक्ट का उल्लंघन किया है, उसके खिलाफ कानूनसम्मत कार्रवाई होनी चाहिए.
आदिवासी नेताओं को टारगेट कर रही भाजपा
झाविमो नेता बंधु तिर्की ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में जनविरोधी संशोधन से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा कुछ आदिवासी नेताओं को टारगेट कर रही है़ भाजपा के लोग सीएनटी-एसपीटी एक्ट के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे है़ सरकार उनकी है, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही़ सीएनटी-एसपीटी एक्ट के उल्लंघन को लेकर एसआइटी का गठन हुआ़ भाजपा के लोग एक्ट पर घड़ियाली आंसू बहा रहे है़ं
एक्ट में संशोधन पर बनी सहमति, लग सकती है मुहर
रांची : सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक को लेकर तीन जुलाई को दिन के 12 बजे से ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएससी) की बैठक होगी. इसमें गत दिनों भाजपा के आदिवासी नेताओं के साथ हुई बैठक में बनी सहमति पर मुहर लग सकती है. भाजपा के आदिवासी विधायक और नेताओं ने कृषि भूमि की प्रकृति को बदलने के प्रस्ताव को हटाने का सुझाव दिया था.
साथ ही सीएनटी एक्ट की धारा 49 (ए) में किये गये संशोधन को और स्पष्ट करने की बात कही थी. कहा गया था कि इसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया जाये कि सरकार किस कार्य के लिए अधिग्रहित भूमि का उपयोग करेगी. आदिवासी नेताओं ने एसआरए कोर्ट को समाप्त करने के फैसले पर भी सहमति जतायी थी. इसको लेकर आदिवासी नेताओं का शिष्टमंडल मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी मिला था. मुख्यमंत्री ने भी इनकी सुझाव पर अपनी सहमति प्रदान कर दी थी. फिलहाल ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल में भाजपा विधायकों की संख्या अधिक है. टीएसी के तीन सदस्य झामुमो विधायक दीपक बिरूआ, जोबा मांझी व आजसू विधायक विकास सिंह मुंडा ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है.
सभी बिंदुओं पर होगा विचार : तुबिद
टीएसी के सदस्य सह भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद ने कहा कि बैठक में सीएनटी-एसपीटी एक्ट के सभी बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया जायेगा. सदस्यों की आम राय पर सहमति बना कर उचित निर्णय लिया जायेगा. सीएनटी में आदिवासी के साथ-साथ अन्य रैयतों का भी हित समाहित है. ऐसे में उनके बारे में विचार-विमर्श किया जायेगा.
जमीन का नेचर न बदलें : रतन
टीएससी सदस्य रतन तिर्की ने कहा है कि टीएसी की बैठक में सीएनटी-एसपीटी एक्ट के कई बिंदुअों पर विचार होगा. इसमें सीएनटी एक्ट की धारा 21 ख अौर एसपीटी की धारा 13 क है. कृषि भूमि का नेचर नहीं बदलना चाहिए.
सीएनटी एक्ट की धारा 71 ए के तहत जो आदिवासी जमीन कंपनसेशन से संबंधित है, उस पर भी विचार होगा. 1969 के बाद से ही मुआवजा के आधार पर आदिवासी जमीन का हस्तातंरण बंद हो चुका था, इसके बावजूद जितनी भी सरकारें आयी, कंपनसेशन का खेल जारी रहा. हमलोग निजी कंपनियों को जमीन देने के खिलाफ है़ इससे राज्य के लोगों को कोई फायदा नहीं होगा. हम यह भी चाहते हैं कि आदिवासियों को हाउसिंग अौर एजुकेशन लोन मिले़
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