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200मिलियन टन कोयला है‍ रेल लाइन के नीचे

धनबाद : धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन के नीचे करीब 200 मिलियन टन कोयला दबा हुआ है. इसमें 50 मिलियन टन कोकिंग कोल व 150 मिलियन टन नन कोकिंग कोल है. इसकी निकासी से बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के साथ-साथ देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. हालांकि 200 मिलियन टन […]

धनबाद : धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन के नीचे करीब 200 मिलियन टन कोयला दबा हुआ है. इसमें 50 मिलियन टन कोकिंग कोल व 150 मिलियन टन नन कोकिंग कोल है. इसकी निकासी से बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के साथ-साथ देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. हालांकि 200 मिलियन टन कोयला की निकासी बीसीसीएल प्रबंधन के लिए आसान नहीं होगा. बताते है कि डीसी रेलवे लाइन के किनारे अतिक्रमण कर बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं, जिसे खाली करना बीसीसीएल के लिए चुनौती होगी.
प्रतिदिन आठ रैकों का डिस्पैच बाधित : धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन बंदी से बीसीसीएल का प्रतिदिन आठ रैकों का डिस्पैच प्रभावित होगा. सबसे ज्यादा प्रभाव कतरास, सिजुआ व गोविंदपुर एरिया की रेलवे साइडिंग पर होगा. सूत्रों की माने तो प्रतिदिन दो रैक गोविंदपुर एरिया, दो रैक सिजुआ एरिया, जबकि चार रैक कतरास एरिया की साइडिंग से डिस्पैच नहीं हो सकेगा.
ट्रांसपोर्टिंग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी शुरू
बीसीसीएल प्रबंधन कोयला डिस्पैच को लेकर ट्रांसपोर्टिंग की वैकल्पिक व्यवस्था कर रहा है. सूत्रों के अनुसार सिजुआ रेलवे साइडिंग से डिस्पैच होने वाला कोयला, केडीएसके रेलवे साइडिंग, कतरास का कोयला केडीएस-टू रेलवे साइडिंग व गोविंदपुर का कोयला दामोदा स्थित बोकारो-झरिया (बीजे) रेलवे साइडिंग से डिस्पैच किया जायेगा. इसको लेकर कंपनी प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है.
डिस्पैच पर नहीं होगा खासा असर : डीटी
बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी (योजना व परियोजना) देवल गंगोपाध्याय ने कहा कि डीसी रेलवे लाइन बंदी से कंपनी के डिस्पैच पर खासा असर नहीं पड़ेगा. कंपनी प्रबंधन इसको लेकर पहले से ही वैकल्पिक व्यवस्था कर रहा है, जिससे कोयला का डिस्पैच हो सके.
धनबाद-झरिया रेल लाइन की यादें ताजा हुई
धनबाद. धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंद करने के निर्णय से एक बार फिर धनबाद-झरिया -पाथरडीह रेल लाइन बंदी की याद ताजा हो गयी. वर्ष 2002 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने भूमिगत आग व धंसान के खतरे के कारण ही झरिया-पाथरडीह रेल लाइन को बंद कर दिया था. उस वक्त यह घोषणा हुई थी कि बागडिगी एवं आस-पास के इलाका में फैली आग पर काबू पाने के बाद तथा रेल लाइन के नीचे से बेशकीमती कोकिंग कोल निकालने के बाद फिर से इस रेल लाइन को चालू किया जायेगा. आज 15 वर्ष बीत गये. केवल रेल लाइन हट गयी. न भूमिगत आग पर काबू पाया जा सका और न ही जमीन के नीचे से कोकिंग कोल निकला.

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