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खुशखबरी: शहरी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण पर अब मुआवजे के साथ जमीन भी दी जायेगी

रांची : नगर विकास विभाग सड़क व अन्य योजनाओं में भूमि अधिग्रहण के एवज में मुआवजा के साथ-साथ ट्रांसफेरेबल डेवलपमेंट राइट्स(टीडीआर) भी देगा. यह टीडीआर जितनी जमीन ली जायेगी उसके एवज में एक सर्टिफिकेट होगा. टीडीआर के स्वामी चाहे तो इसका इस्तेमाल कर अन्यत्र समान मात्रा में जमीन ले सकता है अथवा किसी बिल्डर या […]

रांची : नगर विकास विभाग सड़क व अन्य योजनाओं में भूमि अधिग्रहण के एवज में मुआवजा के साथ-साथ ट्रांसफेरेबल डेवलपमेंट राइट्स(टीडीआर) भी देगा. यह टीडीआर जितनी जमीन ली जायेगी उसके एवज में एक सर्टिफिकेट होगा. टीडीआर के स्वामी चाहे तो इसका इस्तेमाल कर अन्यत्र समान मात्रा में जमीन ले सकता है अथवा किसी बिल्डर या किसी व्यक्ति को भी बेच सकता है, ताकि वह अपने भवन में फ्लोर एरिया रेशियो(एफएआर) बढ़ा सके.
विभाग द्वारा झारखंड ट्रांसफेरेबल डेवलपमेंट राइट्स रूल्स 2017 का ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जिसमें उक्त प्रावधान किया गया है. बुधवार को एटीआइ में बिल्डर, अार्किटेक्ट, क्रेडाइ व भवन निर्माण से जुड़े लोगों के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान टीडीआर के ड्राफ्ट और झारखंड रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट रूल्स 2017 के बारे में जानकारी दी गयी. कार्यक्रम का उदघाटन नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने किया. कार्यक्रम में विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह व टाउन प्लानर गजानंद राम ने विस्तार से टीडीआर की जानकारी दी.

प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया गया कि यह देश का पहला यूनिक रूल्स है, जिसमें विभाग मुआवजा के साथ-साथ टीडीआर भी दे रहा है. सड़क किनारे यदि किसी का भवन है और सड़क चौड़ीकरण में उसकी जमीन का पांच फीट हिस्सा लिया जाता है, तो इसके एवज में उसे इतने का ही टीडीआर मिल जायेगा. वह चाहे तो एफएआर में इसका इस्तेमाल कर अपने भवन को ऊंचा कर सकता है. अथवा किसी अन्य बिल्डर को भी बेच सकता है. बिल्डर इस एफएआर का इस्तेमाल अपने भवन में कर एक फ्लोर बढ़ा सकता है. टीडीआर धारक चाहे तो राज्य के किसी भी हिस्से में समान मात्रा की जमीन भी ले सकता है.

उसे उस एरिया की सर्किल दर के हिसाब से टीडीआर देने पर जमीन दी जायेगी. इसमें टीडीआर धारक से रजिस्ट्रेशन व स्टांप शुल्क नहीं लिया जायेगा. केवल म्यूटेशन का शुल्क लिया जायेगा. पक्की संरचना तोड़े जाने पर भी मुआवजा दिया जायेगा. बताया गया कि यदि किसी का भवन सड़क किनारे अनधिकृत बना हुआ है और उसकी भूमि ली जाती है, तो भवन सड़क के किनारे आ जाने पर भी उसे रेगुलराइज कर दिया जायेगा. बशर्ते जमीन विवादित नहीं होनी चाहिए. इस ड्राफ्ट पर सभी से सोमवार तक अपनी आपत्ति जमा करने का अाग्रह किया गया है.

सेमिनार में झारखंड रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट रूल्स 2017 के बाबत कहा गया कि इसमें बिल्डर अब ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकता. दर से लेकर तमाम बातें पूर्व में ही बतानी होगी. इसके लिए ट्रिब्यूनल और अपालेट अॉथोरिटी भी बनायी गयी है, जहां बिल्डर और फ्लैट धारक के बीच विवादों का समाधान होगा. भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है. कहा गया है कि वर्ष 2006 के बाद जो भी भवन बने हैं, उसमें बिल्डर को वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करनी होगी. 2006 के पहले बने भवनों में सोसाइटी को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा.
कानून जनता के हित में हो : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि कानून जनता के हित में बने. अॉनलाइन आवेदन जमा करना हो या अॉफ लाइन, पर जो कानून बना है उसका अक्षरश: पालन होना चाहिए. जितने भी नक्शे जमा हुए हैं, यदि उसमें त्रुटि है तो उसमें सुधार का वक्त देना चाहिए. वहीं बिल्डर जिस दाम में फ्लैट के लिए एग्रीमेंट करते हैं, उसी दाम में देना होगा, ऐसा न हो कि दाम बढ़ने पर बहाना करने लगे. श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने तीन हजार वर्ग फीट से अधिक वाले मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया है, पर कितनों ने बनवाया है. इसकी जांच होनी चाहिए.
नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि कई बार इच्छा के मुताबिक काम करने में विभाग के अफसर सक्षम नहीं हो पाते. इस कारण काम में विलंब होता है. पर जो उद्देश्य है, उसे प्राप्त करने के लिए समय-समय पर नियमों में संशोधन भी किये जाते हैं. उन्होंने कहा कि विभाग की प्रक्रियाओं को सरलीकरण किया जा रहा है.
कार्यक्रम में निदेशक नागरीय प्रशासन आशीष सिंहमार, विशेष सचिव भवानी प्रसाद, संयुक्त सचिव एके रतन, बीएन चौबे, क्रेडाइ के चंद्रकांत रायपत, कुमुद झा, आर्किटेक्ट सुजीत भगत व अन्य उपस्थित थे.

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