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लोन लेने का दबाव बनाने वाले कमल और जमीर समेत 5 लोगों को CID ने भेजा जेल, कई बैंक अधिकारी भी रडार पर

सीआइडी की टीम के पास अब तक जो सबूत हाथ लगे हैं, उसमें कई बैंक अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आयी है. जांच के बाद इन पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है.

रामगढ़ : एसबीआइ की विभिन्न शाखाओं से फर्जी दस्तावेज पर लोन कराने का दबाव बनाने वाले सरगना पतरातू के कमल कुमार सिंह उर्फ रंजीत सिंह व मो जमीर समेत कमल के तीन स्टाफ बिट्टू रजक, मेहुल कुमार व राहुल कुमार को सीआइडी ने शनिवार को जेल भेज दिया. शुक्रवार को सीआइडी, रांची की टीम ने कमल व रंजीत के ऑफिस में छापामारी कर पांचों को पुख्ता सबूत के साथ पकड़ा था. रांची में पूछताछ के बाद सभी को जेल भेज दिया गया है. पूछताछ के लिए सीआइडी इन्हें फिर से रिमांड पर लेगी.

सीआइडी की टीम के पास अब तक जो सबूत हाथ लगे हैं, उसमें कई बैंक अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आयी है. जांच के बाद इन पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. सीअीइडी ने शुक्रवार को छापामारी से पूर्व पूरी तैयारी की थी. करीब दो माह पहले से सीआइडी की टीम एसबीआइ की विभिन्न शाखाओं में जाकर कमल व जमीर के कारनामों को खंगाल रही थी. सीआइडी की टीम ने एसबीआइ लपंगा, एसबीआइ सेंट्रल सौंदा, एसबीआइ रामगढ़ सहित जिले के कई अन्य शाखाओं में पहुंची थी. यहां से इन दोनों के खिलाफ मिले इनपुट ने सीआइडी को चौंका दिया था. जांच में सीआइडी को चौंकाने वाले कई तथ्य सामने आये हैं. इसमें यह बात सामने आयी कि एक-एक दिन में एक ही ब्रांच से कई-कई लोगों का लोन पास कराया था. लोन के एवज में भारी कमीशनखोरी होती थी.

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इसका तय हिस्सा शाखा के मैनेजर, लोन मैनेजर, एकाउंट ऑफिसर को भी दिया जाता था. सीआइडी को यह भी जानकारी मिली कि जिन शाखाओं में इनकी चलती थी, वहां लोन के लिए सीधे शाखा पहुंचने वाले व्यक्ति का लोन किसी न किसी कारण से रिजेक्ट कर दिया जाता था. बाद में बैंक के ही स्टाफ द्वारा लोन के लिए कमल व जमीर से संपर्क करने को कह दिया जाता था. इनके संपर्क में आते ही उसी व्यक्ति का उसी शाखा से दो-चार दिनों के अंदर लोन पास हो जाता था. यही वजह है कि एसबीआइ के कई अधिकारी भी सीआइडी की रडार पर हैं.

ज्यादातर सीसीएलकर्मी को बनाते थे सॉफ्ट टारगेट : 

कमल व जमीर के कारनामे की चर्चा खूब हो रही है. यह लोग पहले से बैंक कर्ज में डूबे ज्यादातर सीसीएलकर्मी को सॉफ्ट टारगेट बनाते थे. इनकी जान-पहचान कई जिलों के बैंक अधिकारियों से थी. वहां से लोन वाले ग्राहकों की सूची निकलवाने के बाद उससे संपर्क करते थे. उस ग्राहक की पुरानी शाखा का बकाया लोन चुका कर उसका खाता अपने होल्ड वाले ब्रांच में ट्रांसफर करा कर लोन पास कराते थे. लोन पास कराने से पहले तय कमीशन का चेक रख लिया जाता था. जैसे ही खाते में लोन का पैसा क्रेडिट होता था, बैंक अधिकारियों की मेहरबानी से उस चेक को कैश करा लिया जाता था.

अघोषित कंपनी खोल रखी थी :

कमल व जमीर दोनों ने लोन के धंधे को सामान्य रूप से चलाने के लिए अघोषित कंपनी खोल रखी थी. इसमें दर्जनों कर्मचारी मासिक सैलरी पर काम करते थे. इनलोगों का काम ग्राहक खोजना, उनके जरूरी दस्तावेज जमा करना व फॉर्म भरने था. इसके बाद का काम कमल व जमीर का था. कमल ने तो भुरकुंडा पटेल नगर स्थित एसबीआइ लपंगा ब्रांच के नीचे ही अपना बड़ा सा लोन ऑफिस खोल रखा था. इसमें दोनों ने खूब पैसा बनाया. इनके साथ जुड़े स्टाफ भी मालामाल हुए. इनके साथ के कई कर्मचारी वर्तमान में लग्जरी कार से घूम रहे हैं. सीआइडी जांच का दायरा बढ़ने पर ऐसे लोग भी जद में आयेंगे.

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