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कभी पलामू के इस गांव में दशहरा पर्व पर कई दिनों तक नौटंकी कला की प्रस्तुति से रहता था गुलजार, अब हो गई विलुप्त

पलामू के हैदरनगर में दशहरा पर्व पर गांव-गिरांव पारंपरिक नाट्य कला ड्रामा अथवा नौटंकी से गुलजार रहता था, लेकिन ब विलुप्त हो चला है. इसकी बड़ी वजह क्षेत्र में नक्सलवाद की समस्या है

Jharkhand News, Palamu News पलामू : एक जमाने में दशहरा पर्व पर गांव-गिरांव पारंपरिक नाट्य कला ड्रामा अथवा नौटंकी की प्रस्तुति से कई दिनों तक गुलजार हुआ करते थे. मनोरंजन का यही बड़ा माध्यम था. जिसमें कलाकार भी स्थानीय लोग ही हुआ करते थे. साल भर ग्रामीणों व कलाकारों को इसी वजह से दशहरा पर्व के आने का इंतजार रहता था. हैदरनगर में इसका प्रचलन करीब 100 साल पहले ही शुरू हो गया था. हैदरनगर में संचालित इंडियन ड्रामेटिक क्लब के प्रमुख कलाकार रह चुके कुंडल तिवारी ने इस पर विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि लगभग 15-16 वर्षों तक ड्रामा में भाग लेते रहे थे.

रावण,कंस , मेघनाथ व हरिश्चन्द्र जैसे पात्रों की भूमिका निभाई थी. तब दशहरा पर्व में 10 दिनों तक के ड्रामा में उनके लगभग-5-6 पाठ तो होते ही थे. आसपास के गांवों से लोग इस मौके पर कार्यक्रम को देखने आते थे. भीड़भाड़ काफी होती थी. खुशी इस बात की है कि कलाकारों व दर्शकों में अनुशासन अच्छी होती थी. यही वजह था कि कभी कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई. इसका प्रचलन पूर्ण रूप से 1997-98 तक कायम रहा.

जब क्षेत्र में उग्रवाद की समस्या खड़ी हो गई तो इसके बंद होने का एक बड़ा कारण रहा. तब भीड़भाड़ जुटाना उचित नहीं समझा गया. उन्होंने क्लब में 1968 से 1996 तक बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर सामाजिक दायित्व का निर्वहन किया. बाद में नौकरी में जिम्मेदारी बढ़ने के कारण सक्रिय नहीं रहे. उन्होंने बताया कि इनके अलावा श्यामा पाटवा, लाल कुमार द्विवेदी, भारद्वाज दास, मुंद्रिका प्रसाद, रामस्वरूप सोनी, शिक्षक बृजमोहन प्रसाद व रामप्रवेश मेहता समेत कई मुस्लिमों ने काफी वर्षों तक अपनी नाट्य कला की प्रस्तुति दी.

उनके अनुसार यूनियन ड्रामेटिक क्लब की स्थापना जो पर्दे पर लिखा गया था, वह सन् 1920 है. लेकिन उससे पहले से मां दुर्गा जी की पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्य तौर पर रामलीला से प्रारम्भ हुई थी. उसके संस्थापकों में स्व. जानकी चौधरी और बतौर सदस्यगण स्व. पृथ्वीनाथ साहिदेव( प्रथम मुखिया ), जानकी प्रसाद , युगल किशोर अग्रवाल व कई ग्राम वासियों के सहयोग से सम्पन्न होता था. अन्य ग्रामीणों से चन्दा भी नहीं लिया जाता था.

इनके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सदस्यों में शिक्षक राम रतन प्रसाद, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, नरेश सिंह, डोमन प्रसाद, नागेश्वर सिंह, भानू प्रताप, जहुर मियां, शिक्षक गोपाल वर्मा के पिता परमेश्वर राम सहित अन्य ग्रामीण शामिल थे. अध्यक्षों में स्व. रघुबर जायसवाल, गुलाबचंद प्रसाद व कोदु प्रसाद के कृतित्व चिर स्मरणीय रहेगा.

ड्रामेटिक क्लब के डायरेक्टर शिक्षक रामनारायण पाठक, गोपाल वर्मा, मेकअप डायरेक्टर बीएन ठाकुर, सेक्रेट्री नन्हकू प्रसाद भी याद किए जाते रहेंगे. अनवरत पूजा को जारी रखने व इंडियन ड्रामेटिक क्लब के 101 वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर उन्होंने वर्तमान अध्यक्ष पूर्व प्रमुख संतोष कुमार सिंह सहित सभी नवयुवकों व ग्राम वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई दी है.

कभी मशहूर थी मोहम्मदगंज की नौटंकी कला

मोहम्मदगंज में करीब 90 वर्षो से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आया है. इस दौरान पहले इस मौके पर ड्रामा अथवा नौटंकी का आयोजन होता रहा था. जिसे देखने काफी दूर से यहां दर्शक का हुजूम उमड़ पड़ता था. कई दिनों तक लोग रात्रि में पहुंच कर सभी स्थानीय कलाकारों की सधी हुई प्रस्तुति इस प्राचीन कला का आंनद लेते थे. दिवंगत मुखिया अक्षयबर नाथ सिंह के निर्देशन व मार्गदर्शन में प्रस्तुत ड्रामा अथवा नौटंकी कला ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी. बाद में उनके पुत्र दिवंगत श्रवण कुमार सिंह उर्फ माना सिंह ने कई वर्षों तक इस विरासत को संभाला. उनके बाद यहां यह कला विलुप्त हो गई है.

Posted By : Sameer Oraon

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